जनपद

इमाम हुसैन की कुर्बानी ने दीन को बचा लिया : मुफ्ती अख्तर

गोरखपुर, 22 । मुहर्रम बातिल के ऊपर हक की जीत, जुल्मत (अंधेरा) पर नूर के गालिब आने का महीना है। नवासा-ए-रसूल इमाम हुसैन नें मैदाने कर्बला में अपनी और अपने भूखे प्यासे बच्चों, जानिसारों की कुर्बानी पेश करके दुनिया को यही पैगाम दिया कि यजीद जैसे बातिल के सामने कभी झुकना नहीं, जो गलत है उसे गलत कहना चाहिए।
उक्त बातें मदरसा दारूल उलूम हुसैनिया के मुफ्ती अख्तर हुसैन ने मस्जिद गाजी रौजा में ‘जिक्रे शोहाद-ए-कर्बला’ की मजलिस के पहले दिन कही। उन्होंने कहा कि इमामे हुसैन ने जो बेमिसाल कुर्बानी पेश की जमीनों-आसमान ने ऐसे मंजर नहीं देखे होंगे। कयामत तक ऐसी नजीर नहीं मिल पायेगी कि  बेटों, भाईयों, भांजो, दोस्तों की लाशे बे गौरो कफन खून में लथपथ पड़ी हो और काफिला सालार की पेशानी पर शिकन तक न हो और जुबान पर एक सदा हो मेरे अल्लाह इस हक व बातिल की लड़ाई में अगर तू इसी हाल पर राजी है तो तेरे नबी का नवासा भी इसी में राजी है। जिन हालात में इमामे हुसैन आली मुकाम ने मुकाबला किया अगर रूस्तमें वक्त होता तो वह भी लरज जाता। इमामे हुसैन की अजमतों को लाखों सलाम जान तो कुर्बान कर दी लेकिन रुहे इस्लाम बचा लिया। अब यह दीन कयामत तक जारी व सारी रहेगा।
मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने कहा कि  मुहर्रम का महीना शुरु हो चूका है माहौल सोगवार है। ऐसे में मुसलमानों से गुजारिश है कि शोहदा-ए- कर्बला के नाम से फातिहा ख्वानी, कुरआन ख्वानी, इसाले सवाब, गरीबों व फकीरों की हाजत रवाई उन को खिलाना-पिलाना सवाब है। आगे कहा कि जो बुरा है उसकी बुराई दुनिया के सामने पेश करके बुराई को खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए चाहे जिस चीज की कुर्बानी देनी पड़े। ताकि दुनिया में जो अच्छी सोसाइटी के ईमानदार लोग है वह अमनो-अमान के साथ अपनी जिंदगी गुजार सकें। दुनिया चन्द दिन के लिए है इसके आरामो ऐश परस्ती को गलत तरीके से इस्तेमाल करना औेर गलत लोगों की हिमायत करके जिंदगी गुजरना बुजदिली और हिकायत से मुहं मोड़ना है। इस जिदंगी से बड़ी जिंदगी एक और है जो असली जिंदगी है जिसको आखिरत कहा जाता है। जिसमें अल्लाह की बारगाह में पेश होना है और हर चीज का जवाब देह होना है।
इस दौरान हाफीज रेयाज अहमद, मोहम्मद आजम,  सैयद मेहताब अनवर, औंरगजेब,  ताबिश सिद्दीकी,  नूर मोहम्मद, शिराज, शहबाज, दबीर सिद्दीकी, मुजीब, मोहसिन खान सहित तमाम लोग मौजूद रहें।