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देर से बजट मिलने के कारण 47.40 लाख रुपया वापस, 138 गरीब अल्पसंख्यक बेटियां शादी अनुदान से वंचित

64 लाख रुपये मिला था अनुदान वितरण के लिए, 16.60 लाख रुपये की धनराशि का हो सका इस्तेमाल

गोरखपुर। वित्तीय सत्र के समापन और बैंक के पब्लिक फाइनेंसियल मैनेजमेंट सिस्टम ( पीएफएमएस ) पर रिस्पांस न मिलने के चलते गरीब अल्पसंख्यक बेटियों की शादी के लिए आया हुआ 47.40 लाख रुपया जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को वापस करना पड़ा है।  करीब 138 गरीब अल्पसंख्यक बेटियां शादी अनुदान पाने से वंचित हो गई। सरकार ने अल्पसंख्यक विभाग को योजना के लिए बजट भेजने में काफी देरी की। मार्च में बजट भेजा गया जिसके कारण इसका उपयोग नहीं हो पाया.

जिला समाज कल्याण विभाग एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग को इस योजना के अंतर्गत अनुदान का बजट जनवरी माह में ही मिल गया था। अल्पसंख्यक विभाग का मानना है कि उन्हें भी बजट समय से मिल गया होता तो ज्यादा आवेदक लाभांवित हो पाते।

अनुदान के भरोसे बेटियों की शादी का सपना संजोए अल्पसंख्यक समुदाय के 138 परिवारों को समय सीमा खत्म होने के कारण शादी अनुदान योजना का लाभ अब नहीं मिल सकेगा। योजना की अवशेष राशि 47 लाख 40 हजार रुपये शनिवार को सरेंडर कर दी गयी। सिर्फ 83 बेटियों की शादी के लिए अनुदान वितरित किया जा सका।

अल्पसंख्यक परिवारों की बेटियों के विवाह के लिए 20 हजार रुपये की सहायता देने की शादी अनुदान योजना संचालित होती रही है। सूबे की सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार में इस योजना पर मौखिक रूप से रोक लग गई। कहा गया कि समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत सामूहिक विवाह योजना के अंतर्गत लाभ प्रदान किया जाएगा। हालांकि बाद में प्रदेश सरकार ने अल्पसंख्यक शादी अनुदान योजना को प्रभावी करते हुए अपने अनुपूरक बजट में 74 करोड़ रुपये का प्रावधान किया। 25 जनवरी को प्रदेश सरकार की प्रमुख सचिव मोनिका गर्ग ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को इस बाबत कार्रवाई के आदेश दिए। इसके बाद sspy-up.gov.in वेेबसाइट्स पर आवेदन के लिए लिंक ओपन किए गए। योजना के अंतर्गत तकरीबन 400 आवेदन मिले। योजना में अल्पसंख्यक समुदाय से मुस्लिम, सिख, इसाई, बौद्ध, जैन और पारसी लाभांवित होने थे। हालांकि इस बार लाभांवित होने वालों में सभी मुस्लिम हैं। वर्ष 2016-17 में 304 लाभार्थियों को अनुदान मिला था। जिसमें करीब दो ईसाई समुदाय से थे।

अनुदान से वंचित होने की कारण
1. बजट मिलने में हुआ विलम्ब

जिला अल्पसंख्यक विभाग को 320 का लक्ष्य आवंटित हुआ, लेकिन बजट मार्च माह में मिला। 9 मार्च को 69 बेटियों के लिए 13 लाख 80 हजार रुपये मिला। उसके बाद 19 मार्च को 50.20 लाख रुपये मिला। लेकिन अनुदान का लाभ सिर्फ 83 बेटियों को ही उपलब्ध कराया जा सका।

2. सामूहिक विवाह योजना को लेकर भ्रम

शुरुआती दौर में योजना सामूहिक विवाह योजना के कारण मौखिक रूप से स्थगित हुई। उसे दोबारा शुरू करने में विलम्ब हुआ। ऐसे में योजना का प्रचार-प्रसार भी नहीं हो सका। बजट मार्च में मिला जिस माह में अवशेष धनराशि 31 मार्च तक वापस जानी थी। दूसरे विभागों के अधिकारी अपने विभागीय क्रियाकलाप में व्यस्त रहे।

लाभार्थियों के लिए काफी अहम थी अनुदान की धनराशि

योजना के अंतर्गत आवेदन की आय शहरी क्षेत्र में 56 हजार 460 रुपये वार्षिक एवं ग्रामीण क्षेत्र में 46 हजार 80 रुपया वार्षिक होनी चाहिए। इससे ही समझ सकते हैं कि 20 हजार रुपये की यह धनराशि इन परिवारों के लिए कितनी अहमियत रखती थी।
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी संजय कुमार मिश्र ने कहा कि वित्तीय सत्र के समापन और बैंक के पब्लिक फाइनेंसियल मैनेजमेंट सिस्टम (पीएफएमएस) पर रिस्पांस न मिलने के चलते यह राशि सरेंडर करनी पड़ी है। हमारी को कोशिश ज्यादा से ज्यादा लोगों को योजना का लाभ पहुंचाने की थी लेकिन वक्त कम मिला। 83 लोगों को योजना के अंतर्गत लाभ पहुंचाया गया।’

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