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नबी-ए-पाक व कुरआन-ए-पाक सारी इंसानियत के लिए हिदायत : मुफ्ती अलाउद्दीन

गोरखपुर, 21 जुलाई। नार्मल स्थित आस्ताना हजरत मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां का सालाना तीन दिवसीय उर्स-ए-पाक शुक्रवार को जश्न ए-ईदमिलादुन्नबी व  जलसा-ए-दस्तारबंदी के साथ शुरु हुअा।

मुख्य अतिथि मेंहदावल के मुफ्ती अलाउद्दीन मिस्बाही ने के ‘खुत्बा-ए-हज्जतुल विदा’ विषय पर बोलते हुए कहा कि हजरत आदम अलैहिस्सलाम से लेकर आखिर नबी हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहौ अलैही वसल्लम तक जितने भी नबी इस दुनिया में आये, वह सब इंसानों को एकता और इंसानियत की दावत देने के लिए आए। आखिरी नबी ( सल्लल्लाहौ अलैही वसल्लम) इंसानियत के लिए  रहमत बनकर आए। आप ( सल्लल्लाहौ अलैही वसल्लम) ने इंसानों को उस के हकीकी मालिक से मिलाया। नबी पर नाज़िल होने वाली किताब कुरआन-ए-पाक भी एक विशेष क़ौम व मिल्लत के लिए नहीं बल्कि उसमें सभी इंसानों के लिए अल्लाह का संदेश है व हिदायत हैं।

नबी-ए-पाक ने अपने अंतिम धर्मोपदेश (खुत्बा–ए-हज्जतुल विदा) में स्पष्ट शब्दों में फ़रमाया है कि कोई इंसान किसी दूसरे इंसान पर कोई श्रेष्ठता नहीं रखता, किसी गोरे को काले, किसी अरबी का अजमी पर कोई बड़ाई नहीं है, लेकिन केवल अपनी अच्छाईयों, अल्लाह का खौफ, इंसानों में जिसका रिश्ता अल्लाह से मजबूत होगा और बंदों को जिससे अधिक लाभ होगा, वह ही बेहतर इंसान है।

दरगाह

विशिष्ट वक्ता घोषी के मुफ्ती रिजवान शरीफी ने कहा कि आस्ताना मुबारक खां शहीद जहां आज हम सब इकट्ठा हैं यहां सदियों से उन्हीं सूफियों के रास्ते पर चलते हुए शांति के पैगंबर और शांति की शिक्षाओं का प्रचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस्लाम में तालीम हासिल करने को कर्तव्य करार दिया गया है जिससे साफ पता चलता है कि इस्लाम तालीम पर ज्यादा तवज्जोह देता है। इस्लाम में तालीम हासिल करना और दूसरों तक पहुंचाना जरुरी है। औरतों  के अधिकार पर बोलते हुये कहा कि इस्लाम में 14 सौ साल पहले से ही औरतों का दर्जा बुलंद किया। उस वक्त के तमाम मुल्कों में औरतों की स्थिति दयनीय थी। नबी-ए-पाक ने औरतों को शादी की इजाजत का अधिकार, जायदाद में अधिकार प्रदान किया। तालीम का हक दिया। आज हजरत आयशा रजियल्लाहु अन्हा की वजह से पूरी दुनिया में औरतों को हुकूक मिलें।

अध्यक्षता सैयद मोहम्मद अली मोहतिसम कबीर ने व संचालन मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही ने किया। तिलावत-ए-कुरआन शरीफ से आगाज कारी शराफत हुसैन कादरी ने किया। नात शरीफ रजब मनकापुरी, सनाउर्रहमान व एजाज अहमद ने पेश की।

इस दौरान दरगाह सदर इकरार अहमद, मुफ्ती अख्तर हुसैन, मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी, कारी हुसैन अहमद बरकाती, शमशीर अहमद, शेरु, मंजूर आलम, रमजान, कुतुबुद्दीन, पप्पू, अब्दुस समद, राजू, दिलदार, अकबरअहमद हुसैन,  हाफिज नजरे आलम कादरी, मौलाना मोहम्मद अहमद, अब्दुल कादीर, नूर मोहम्मद दानिश, मारुफ, आफताब, अली हसन, सैयद शहाब अहमद, हाफिज रहमत अली, अब्दुल रहीम, मोहम्मद सैफ, मोहम्मद अहमद, सेराज अहमद, मोहम्मद अतहर, तनवीर अहमद, हाफिज अफजल बरकाती, मुनव्वर अहमद, रमजान अली,  मौलाना मोहम्मद असलम रजवी सहित तमाम लोग मौजूद रहें।

काजी-ए-गोरखपुर व मुफ्ती-ए-गोरखपुर का हुआ ऐलान

जलसा में तंजीम उलेमा-ए-अहले सुन्नत गोरखपुर द्वारा चुने गए  ‘मुफ्ती-ए-गोरखपुर’  मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी  व ‘काजी-ए-गोरखपुर’ मुफ्ती खुर्शीद अहमद मिस्बाही का ऐलान मुख्य अतिथि मुफ्ती अलाउद्दीन मिस्बाही, मुफ्ती रिजवान शरीफी ने किया और दस्तार बांधी। इनका कार्यकल केवल एक वर्ष के लिए तय हुआ। वहीं मुफ्ती व काजी के मुख्य सलाहकार के रुप में मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी का भी ऐलान कर दस्तार बांधी गयीं।

शहादत, अशरफ व अजीम की हुई दस्तारबंदी

जलसा में हजरत मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां के आस्ताने पर स्थित मदरसा दारुल उलूम अहले सुन्नत फैजान-ए-मुबारक खां शहीद के तीन विद्यार्थियों मोहम्मद शहादत हुसैन, मोहम्मद अशरफ रजा, मोहम्मद अजीम की दस्तारबंदी मुख्य अतिथियों के हाथों हुई।

आज होगा कुल शरीफ 

शनिवार 22 जुलाई को बाद नमाज फज्र कुरआन ख्वानी होगी। सुबह 10 बजे कुल शरीफ होगा। शाम 5 : 30 बजे सरकारी चादर व गागर का शानदार जुलूस निजामपुर से सुहेल अहमद के यहां से  निकलेगा। रात्रि 10:00 बजे कव्वाली का मुकाबला जुनैद सुल्तानी व रेयाज अहमद वारसी के बीच होगा।

मजार की हुई संदल पोशी

नार्मल स्थित हजरत बाबा मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां के सालाना उर्स-ए-पाक में मुस्लिम समुदाय के अलावा अन्य धर्मो के लोगों ने शिरकत कर अमन चैन व खुशहाली की दुआएं मांगी। भोर में गुस्ल एवं संदल पोशी हुई।

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