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सम्पूर्ण अर्थ में आजादी की लड़ाई लड़ने के लिए व्यापक एकता, संवाद और संघर्ष की जरूरत- दीपंकर

‘ मोदी प्रधान सेवक नहीं प्रधान ठेकेदार हैं जो हमारे आर्थिक जीवन को अमेरिका का और सामाजिक जीवन को आरएसएस का गुलाम बनाने की कोशिश कर रहे हैं ’ 

 ‘ अम्बेडकर और आज का सन्दर्भ’ विषय पर आयोजित में बोले भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य

गोरखपुर, 5 अक्टूबर। भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा है कि आज सम्पूर्ण अर्थ में आजादी की लड़ाई लड़ने के लिए व्यापक एकता, संवाद और संघर्ष की जरूरत है। स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व पर आधारित आधुनिक जनवादी समाज बनाने की लड़ाई में भगत सिंह और अम्बेडकर के विचार हमारे लिए आज प्रासंगिक हो उठे हैं। आज गुलामी व तानाशाही के खिलाफ पक्की आजादी और लोकतंत्र को और अधिक विस्तारित करने के लिए संघर्ष को तीखा और बड़ा करने की जरूरत है।

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श्री भट्टाचार्य आज गोरखपुर के सिविल लाइंस स्थित गोकुल अतिथि भवन के सभागार में भाकपा माले की जिला इकाई द्वारा ‘ अम्बेडकर और आज का सन्दर्भ’ विषय पर आयोजित परिचर्चा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने अपने सम्बोधन में मोदी सरकार पर बड़ हमला बोला और कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रधान सेवक नहीं प्रधान ठेकेदार हैं जो हमारे आर्थिक जीवन को अमेरिका का और सामाजिक जीवन को आरएसएस का गुलाम बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

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उन्होंने कहा कि आज के समय और सन्दर्भ में अम्बेडकर और ज्यादा प्रासंगिक हो गए हैं क्यांेकि उनके विचारों को नष्ट करने, विकृत करने की कोशिश आरएसएस-भाजपा द्वारा किया जा रहा है। संघ और भाजपा की आजादी के आंदोलन में कोई भूमिका नहीं है। इतिहास में कांग्रेस , कम्युनिष्ट, अम्बेडकर, समाजवादी तो हैं लेकिन लेकिन संघ-भाजपा नहीं है। इसलिए वह सर्जिकल स्ट्राइक कर इतिहास को आपने हिसाब से गढने की कोशिश कर रहे हैं और इसके लिए गांधी, नेहरू, अम्बेडकर को हड़पने की कोशिश कर रहे है। उनका सबसे बड़ा दुस्साहस अम्बेडकर को अपनी परियोजना में प्रयोग करने का है लेकिन यह संभव नहीं है क्योंकि अम्बेडकर और भगत सिंह देश के जनमानस में बसे हुए हैं। अम्बेडकर का साफ कहना था कि राष्ट्र का निर्माण करना हो तो जाति को खत्म करना होगा जबकि आरएसएस-भाजपा जाति, वर्णव्यवस्था को बनाए रखना चाहती हैं। आरएसएस-भाजपा देश को पीछे ले जाने वाली ताकत है जो देश पर हिन्दुत्व, फासीवाद और मनुवाद को थोपने की कोशिश कर रही है जबकि अम्बेडकर जाति, सामाजिक गैरबराबरी, आर्थिक गैरबराबरी का खात्मा कर आधुनिक भारत का खाका पेश करते हैं जिसके लिए दलित और वाम ताकतें आज संघर्ष कर रही है। अम्बेडकर हर तरह की गुलामी से लड़ने वाले आजादी के आंदोलन के नेता हैं।

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रोहित वेमुला की संस्थागत हत्या, उना में दलितों पर हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इन घटनाओं के प्रतिरोध में आज एक बड़ा दलित जन उभार पैदा हुआ है जो जमीन, रोजगार, सम्मान जैसे बुनियादी सवाल उठा रहा है। सरकार में भागीदारी तक सीमित कर दिए दलित आंदोलन को इस नए उभार ने देश के सभी बुनियादी सवालों से जोड़ने का काम किया है। अम्बेडकर ने कहा था कि ब्राह्मणवाद ने श्रमिकों को विभाजित किया है इसलिए इसके खात्मे के लिए किसानों, मजदूरों, मेहनतकशों की एकता कायम करनी होगी। जाति व्यवस्था के खात्मे के लिए सभी मेहनतकशों की एकता और आधी आबादी की पूरी आजादी का संघर्ष मजबूती से छेड़ना होगा। उन्होंने कहा कि देश प्रतिरोध का इंतजार नहीं कर रहा है। जिसको जहां जितनी जगह मिल रही है प्रतिरोध को खड़ा कर रहा है।

परिचर्चा में लोगों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वर्ग संघर्ष के दायरे में केवल आर्थिक लड़ाई नहीं है बल्कि जिंदगी का सारा सवाल इसके एजेंडे में है।

इसके पूर्व भाकपा माले के राज्य सचिव रामजी राय ने कहा कि साम्प्रदायकिता महज धार्मिक मध्ययुगीन प्रवृत्ति नहीं है। आजादी की लड़ाई से यह एक प्रवृत्ति के रूप में मौजूद है जो आधुनिक जनतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष देश बनाने के बजाय हिन्दू राष्ट्र और सदियों की जाति व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कार्य कर रही है जिसके खिलाफ हमारा संघर्ष है। परिचर्चा का संचालन जन संस्कृति मंच के सचिव मनोज कुमार सिंह ने तथा धन्यवाद ज्ञापन भाकपा माले के जिला सचिव राजेश साहनी ने किया।

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