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हिंदुओं के पलायन व हत्या की हुकूम सिंह की सूची फर्जी – रिहाई मंच

ढाई दशक पहले मारे गए लोगों को डाल दिया सूची में, हत्यारोपी अधिकतर हिंदू ही
रिहाई मंच का आरोप -भाजपा हिंदुओं पर उत्पीड़न का माहौल बनाकर कर रही है दंगे की तैयारी
लखनऊ 11 जून । रिहाई मंच ने भाजपा सांसद हुकुम सिंह द्वारा कैराना के 21 हिंदुओं की हत्याओं और 241 हिंदू परिवारों के पलायन की सूची को फर्जी करार देते हुए भगवा गिरोह द्वारा फिर से पश्चिमी यूपी को सांप्रदायिकता की आग में झोकने की साजिश करार दिया है। मंच ने गोरखपुर के रोजदार मुस्लिम व्यक्ति की पुलिस द्वारा बेरहमी से पिटाई व पेशाब पिलाने की धमकी को अखिलेश यादव की सांप्रदायिक पुलिस के चेहरे का ताजा उदाहरण बताया है।
रिहाई मंच द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में मंच के महासचिव राजीव यादव ने कहा कि मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा के आरोपी हुकुम सिंह ने जिन 21 हिंदुओं की हत्याओं की सूची जारी की है उनमें से एक भी सांप्रदायिक हिंसा या द्वेष के कारण नहीं मारे गए हैं और उनमें से कईयों की तो ढाई दशक पहले हत्याएं हुई थीं। उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार पंकज चतुर्वेदी द्वारा इस सूची की की गई तथ्यान्वेषण के आधार पर बताया कि इस सूची में दर्ज मदनलाल की हत्या 20 वर्ष पहले, सत्य प्रकाश जैन की 1991, जसवंत वर्मा की 20 साल पहले, श्रीचंद की 1991, सुबोध जैन की 2009, सुशील गर्ग की 2000, डा0 संजय गर्ग की 1998 में हत्याएं हुई थीं। इन सभी हत्याओं में आरोपी भी हिंदू समाज से थे। रिहाई मंच महासचिव ने कहा कि रिहाई मंच कार्यालय सचिव ने जब इस बाबत सीओ कैराना भूषण वर्मा से बात की तो उन्होंने भी भाजपा सांसद द्वारा जारी सूची को फर्जी और तोड़ा-मरोड़ा बताया। उन्होंने कहा कि थाना कैराना में पिछले डेढ़ साल में कोई भी सांप्रदायिक कारणों से हत्या नहीं हुई है और जो घटनाएं हुई भी हैं वो विशुद्ध आपराधिक प्रवृत्ति की रही हैं। रिहाई मंच प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि पूरी दुनिया में भारत की बदनामी का कारण बने मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा के पीड़ित मुसलमानों की हजारों फरियादें मानवाधिकार आयोग के दफ्तर में धूल फाक रही हैं। जिसपर आजतक आयोग ने किसी को भी तलब नहीं किया। लेकिन हिंन्दुत्ववादी निजाम आते ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सांप्रदायिक हिंसा के आरोपियों द्वारा प्रस्तुत फर्जी सूचियों पर संज्ञान लेने लगा है। उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सचमुच अपनी भूमिका में होता तो हुकुम सिंह जैसे तत्व खुद जेल में होते जिनकी मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा में स्पष्ट भूमिका साबित करने वाले तमाम मांगपत्र मानवाधिकार आयोग के सामने पड़े हैं। शाहनवाज आलम ने आरोप लगाया कि हुकुम सिंह जैसे तत्व आज सूबे को फिर से सांप्रदायिक हिंसा की आग में झोंकने के लिए इसलिए उतारू हैं कि अखिलेश यादव सरकार ने मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की।
आजमगढ़ रिहाई मंच प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि गोरखपुर के गगहा थाने के ग्राम गजपुर निवासी परवेज आलम को जिस तरह से सूदखोरों के दबाव में पुलिस ने बुरी तरह पीटा और पानी मांगने पर थानेदार आरएन दूबे ने उसे पेशाब पिलाने की धमकी दी वह प्रदेश सरकार के मुस्लिम विरोधी चेहरे का ताजा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि जिसतरह से शिवसेना के सांसद रोजेदार मुसलमानों के साथ सांप्रदायिक उत्पीड़न करते हैं वही व्यवहार अखिलेश यादव की पुलिस कर रही है। मसीहुद्दीन संजरी ने दोषी पुलिस कर्मी को तत्तकाल निलंबित कर जेल भेजने की मांग की है।

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