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पूर्व मंत्री अमरमणि के ‘ अवैध कब्जे ’ से 23 वर्ष बाद मुक्त हुआ दुर्गा आयल मिल

वर्ष 1993 में आवंटित करा अपना कार्यालय बना लिया था पूर्व मंत्री अमरमणि ने
हाईकोर्ट ने आवंटन को खारिज कर कब्जा हटाने का दिया था आदेश
डीएम और एसपी ने खुद मौके पर जाकर कब्जा हटाया, भवन मालिक के प्रतिनिधि को सुपुर्द किया भवन

महराजगंज, 23 मई। कवयित्री मधुमिता की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे दबंग नेता पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के अवैध कब्जे से आज नौतनवां स्थित दुर्गा आयल मिल मुक्त हो गया। हाईकोर्ट के सख्त आदेश पर आज दोपहर साढ़े चार घंटे की कार्यवाही के बाद डीएम और एसपी ने पूर्व मंत्री के कब्जे को हटाकर भवन मालिक कमालिया परिवार के प्रतिनिधि अब्दुर्रहमान उर्फ साजिद को भवन सौंप दिया।
हालांकि साजिद प्रशासन की कार्यवाही से आंशिक रूप से ही संतुष्ट हैं। उनका कहना है कि भवन परिसर के उत्तर के हिस्से को उन्हें सुपुर्द नहीं किया गया है जबकि आदेश सम्पूर्ण परिसर को कब्जा मुक्त कर उन्हें सुपुर्द करने का था। इस बारे में वह हाईकोर्ट में अपनी बात रखेंगें।
पूर्व में दो बार भी इस तरह की कार्यवाही कर कब्जा हटाने की खानापूर्ति हुई थी लेकिन हाईकोर्ट द्वारा डीएम और एसपी को पूर्व मंत्री का कब्जा हटाने और अब्दुर्रहमान को कब्जा दिलाकर कोर्ट में हलफनामा दाखिल करने के स्पष्ट आदेश के कारण डीएम और एसपी को खुद मौके पर जाकर यह कार्रवाई करनी पड़ी।

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नौतनवां कस्बे के मुख्य मार्ग पर रेलवे स्टेशन के पास दुर्गा मिल आयल मिल स्थित है जहां पर सरसो तेल का उत्पादन होता था। यह मिल मशहूर व्यवसायी दुर्गा प्रसाद कमालिया की थी जो वर्ष 1939 में स्थापित हुई थी। दुर्गा प्रसाद कमालिया के परिवार का नेपाल, बिहार, झारखंड में व्यवसाय है। यह मिल करीब 90 डिस्मिल एरिया में है और इसमें राम जानकी मंदिर भी बना हुआ है। आयल मिल 1988 तक चलती रही। मिल बंद होने के बाद मिल के कर्मचारी और कमालिया परिवार के लोग इसमें रहते थे। पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की नजर इस भवन पर थी और उन्होंने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए 23 जून 1993 में रेट कन्ट्रोल एक्ट के तहत आवंटित करा लिया। आवंटन के तुरंत बाद उन्होंने पूरे परिसर पर कब्जा कर लिया और अपना जनसम्पर्क कार्यालय बना लिया। कमालिया परिवार ने अमरमणि त्रिपाठी को भवन आंवटित करने के विरूद्ध कानूनी लड़ाई लड़ी और 23 वर्ष बाद आज उन्हें अपने संघर्ष का परिणाम हासिल हुआ।

कमालिया परिवार ने रेट कन्ट्रोल एक्ट के तहत इस भवन के आवंटन को गैरकानूनी बताते हुए जिला जज के अदालत में चुनौती दी। उन्होंने यह दलील रखी कि आवंटन करते समय भवन मालिक की रजामंदी नहीं ली गई जो कि जरूरी होती है। साथ ही यह भवन कारखाना था जिसे किसी को आवास के लिए आवंटित नहीं किया जा सकता। दस वर्ष की कानूनी लड़ाई के बाद 10 सितम्बर 2013 को जिला जज की अदालत ने अमरमणि त्रिपाठी का आवंटन रद कर दिया। इसके खिलाफ पूर्व मंत्री हाईकोर्ट गए लेकिन वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली। हाईकोर्ट ने रेट कन्ट्रोल अधिकारी और अमरमणि त्रिपाठी पर 50 हजार रूपए का हर्जाना भी लगाया। बाद में पूर्व मंत्री के प्रभाव में महराजगंज के रेट कन्ट्रोल अधिकारी ने सरकार की तरफ से आवंटन खारिज करने के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की लेकिन हाईकोर्ट के सख्त रूख देख अपील वापस ले ली। पूर्व मंत्री हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी गए लेकिन वहां अपनी स्थिति कमजोर देख अपील वापस ले ली।

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हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी जब प्रशासन ने पूर्व मंत्री का कब्जा नहीं हटाया और तो अब्दुर्रहमान द्वारा हाईकोर्ट में इस वर्ष अवमानना वाद 1454 / 2016 दाखिल किया गया। इस पर हाईकोर्ट ने डीएम महराजगंज को आदेश किया कि 23 मई को 11 बजे तक अब्दुर्रहमान को भवन पर कब्जा दिला दिया जाए और डीएम व एसपी व्यक्तिगत रूप से हाईकोर्ट में उपस्थित होकर कब्जा दिला देने का हलफनामा दाखिल करें।
इस आदेश के बाद आज डीएम और एसपी खुद नौतनवां आएं और साढे़ चार घंटे की कार्यवाही के बाद पूर्व मंत्री का कब्जा हटाकर अब्दुर्रहमान को कब्जा दिला दिया।
इस दौरान शुरू में अमरमणि के समर्थकों ने क्षीण प्रतिरोध किया और अधिकारियों के सामने यह दलील दी कि चूंकि अब्दुर्रहमान के खिलाफ आपराधिक मुकदमा है इसलिए उसे गिरफतार किया जाए। लेकिन पुलिस ने उनकी एक न सुनी और उन्हें खदेड़ दिया। इस दौरान विरोध करने पर बांकेलाल नाम के एक नौजवान को हिरासत में भी ले लिया गया।
दोपहर करीब तीन बजे पूर्व मंत्री का सारा सामान नगर पालिका की दो कूड़ा गाडि़यों में लाद कर थाने भेज दिया गया। आधे घंटे बाद डीएम मीडिया के सामने आए और उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश का अक्षरशः अनुपालन करते हुए भवन मालिक के प्रतिनिधि को कब्जा सौंप दिया गया है। हालांकि अब्दुर्रहमान उर्फ साजिद प्रशासन की कार्यवाही से पूरी तरह संतुष्ट नहीं दिखे और कहा कि भवन परिसर के उत्तरी हिस्से पर उन्हें कब्जा नहीं दिया गया है और वहां पर पूर्व मंत्री का अस्थायी निर्माण मौजूद है। प्रशासन ने मौके पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया है।

अमर मणि त्रिपाठी

आज पूर्व मंत्री का कब्जा हटाने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था। गोरखपुर से कस्बे में जाने वाले रास्ते पर चार पहिया वाहनों को आवागमन को रोक दिया गया था। पीएसी के साथ-साथ बम स्कवायड भी तैनात किया गया था। मीडिया को कब्जे की कार्यवाही की रिपोर्ट करने के लिए परिसर में जाने से रोक दिया गया। प्रशासन की कार्यवाही को देखने के लिए भारी भीड़ जुट गई थी जिसे नियं़ि़त्रत करने में पुलिस बल को खासी मशक्कत करनी पड़ी। अमरमणि के समर्थकों कृष्णमोहन और मुन्नु ने आरोप लगाया कि उन्हें कार्यवाही के दौरान मौके पूर मौजूद नहीं रहने दिया गया। उनका यह भी आरोप था कि कमालिया परिवार के प्रतिनिधि साजिद पर एक किशोरी के यौन शोषण का केस दर्ज है। उसे गिरफ्तार करने के बजाय प्रशासन उनकी आवाभगत करते हुए भवन परिसर का कब्जा सौंप रहा है।

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