जनपद

इश्क-ए-रसूल की खुशी में बीता ईद मिलादुन्नबी

गोरखपुर, 12 दिसम्बर। सिरों पर इस्लामी टोपियां। हाथों में इस्लामी परचम। जुंबा पर नारे तकबीर अल्लाहु अकबर, नारे रिसालत या रसूलल्लाह , हुजूर की आमद मरहबा, मुस्तफा जाने रहमत पे लाखों सलाम की सदायें, या नबी सलाम अलैका, या रसूल सलाम अलैका । हर एक मुसलमान का चेहरा खिला हुआ। बच्चों से लेकर बड़ों में खुशियां बेहिसाब। परचम कुशाई के बाद लोगों ने एक दूसरे को गले मिलकर दी मुबारकबाद। सड़कों पर जुलूस-ए-मुहम्मदी का काफिला देर रात तक गुजरता रहा। लोगों ने जगह-जगह जुलूसों का खैर मकदम किया। घरों, मस्जिदों, मदरसों, दरगाहों पर ईद मिलादुन्नबी की महफिल सजायी गयी। अलसबुह बाद नमाज फज्र परचम कुशाई हुई। मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में जश्न का माहौल रहा। बेहतरीन किस्म के खाने बनाये गये। खुद भी खाया और गरीबों, यतीमों, पड़ोसियों में तकसीम भी किया गया।

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यह नजारा सोमवार को देर रात तक जारी रहा। मौका था 12 रबीउल अव्वल शरीफ यानी जश्न-ए-ईदमिलादुन्नबी का। लोगों ने गुस्ल किया। बेहतरीन कपड़े पहने। खुशबू लगायी। इसके बाद कदम मस्जिदों की तरफ बढ़ चले। फज्र की नमाज के बाद परचम कुशाई हुई। ईद मिलाद का प्रोग्राम शुरू हुआ। परचम कुशाई के बाद जुलूस-ए-मुहम्मदी निकलना शुरू हुआ जो देर रात तक चलता रहा। जुलूस में विभिन्न मुहल्लों से निकलने वाली राशन चौकियां(मस्जिद व रौजों के माडल) आकर्षण का केंद्र रही। मुहल्ला गाजीरौजा स्थित गाजी मस्जिद में बाद नमाज फज्र परचम कुशाई मुफ्ती अख्तर हुसैन व पेश इमाम रेयाज अहमद ने की। इसके बाद मिलाद का प्रोग्राम हुआ। इसके बाद मुफ्ती अख्तर हुसैन ने हजरत मुहम्मद साहब के फजाइल बयान किये। सलातो सलाम पढ़ा गया। इसके बाद भव्य जुलूस शमसुल हुदा के नेतृत्व में निकाला गया। जिसमें दर्जन बग्घी,  दो दर्जन फ्लैक्स बोर्ड जिन इस्लामी पैगाम दिये गये थे आकर्षण का केंद्र रहे। इस दौरान मौलाना हाफिज अयाज अहमद ने कहा कि हजरत मुहम्मद साहब केवल मुसलमानों में ही नहीं बल्कि हर मजहब में कद्र की ऊंची मंजिल पर फाइज है। नात शरीफ रईस अनवर, शफीक अहमद ने पढ़ी। जिसमें मोहम्मद आजम, शहबाज, हाजी उबैद अहमद खान बरकाती, सिराज, शुऐब, फैसल, काजी ईनामुर्ररहमान , ताबिश सिद्दकी, मसूद कलीम,   मोहम्मद जकी, फैज खान, फैज अहमद, फहीम , नसीम अहमद, एजाज अहमद, हाजी औरंगजेब, इमरान, शादाब, सज्जू, नासिफ खान, मुख्तार अहमद, यासिर, मो. आसिफ, दानिश शामिल रहे।

मोहल्ला अस्करगंज दुपट्टा गली से नौजवान कमेटी की जानिब से जुलूस-ए-मुहम्मदी निकाला गया। जिसका नेतृत्व मोहम्मद फैजान ने किया।

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इसी तरह मुहल्ला रहमतनगर से मगरिब की नमाज के बाद भव्य जुलूस निकाला गया। जिसमें दो दर्जन घोड़े 10 बघ्घी, 20 बोर्ड, 100 इस्लामी परचम व रौशन चौकी आकर्षण का केंद्र रही। जुलूस खोखरटोला, घासीकटरा, मिर्जापुर, बसंतपुर, घंटाघर,  नखास चैक से पुनः मुहल्ला रहमतनगर में खत्म हुआ। जिसमें इमरान अहमद, अली गजनफर, शहजादे,नसीम, आसिफ, फैज, मोनू, औसाफ अहमद मौजूद रहे।

छोटे काजीपुर स्थित मस्जिद गौसिया में परचम कुशाई पेश इमाम मौलान मोहम्मद अहमद के नेतृत्व में हुई। इसके बाद मिलाद पढ़ी गयी। इस दौरान मोहम्मद उजैर खान, मखदूम हुसैन, मुल्ला, सिमू, आफाक, फैसल, अब्दुल कादिर, नूर मोहम्मद शामिल रहे। मस्जिद खादिम हुसैन तिवारीपुर में परचम कुशाई मौलाना अफजल बरकाती ने की। खूनीपुर चौक पर विभिन्न मुहल्लों द्वारा सामूहिक परचम कुशाई फज्र की नमाज के बाद हुई। । जुलूस में कुरआन व हदीस के पैगाम से लोगों को जागरूक किया जा रहा था। सामूहिक रूप से नौजवानों द्वारा की जा रही नातख्वानी लोगों को सुब्हानल्लाह कहने पर मजबूर कर रही थी। जगह-जगह जुलूस-ए-मुहम्मदी का स्वागत हुआ। जुलूस का मुख्य केंद्र नखास चौराहा रहा। जुलूस के मार्गों पर जगह-जगह स्वागत द्वारा बनाये गये। जिसे गुब्बारों व झालरों से सजाया गया। जगह-जगह जुलूसों का स्वागत कर बिस्किट, केक, इमरती आदि बांटी गयी।  इसके अलावा मोहल्ला अस्करगंज, खूनीपुर, खोखरटोला,, घासीकटरा, पिपरापुर, बहरामपुर, तिवारीपुर, बक्शीपुर, मोहनलालपुर, बहरामपुर, इस्माईलपुर, बेनीगंज, जाफरा बाजार, मियां बाजार, घोस कम्पनी, मेवातीपुर, शेखपुर, इलाहीबाग, के जुलूस शानौ शौकत से गुजरे। जुलूस में इस्लामी पैगाम की तख्तियां भाईचारगी का संदेश दे रही थी। जुलूस में घोड़ा, बघ्घी, इस्लामी परचम लोगों को रोमांचित कर रहे थे। इसके अलावा मोहनलालपुर, पुराना गोरखपुर, दशहरी बाग रसूलपुर, चक्शा हुसैन, हुमायूंपुर, अंसारी रोड, जमुनहिया बाग, हीरागंज, उमरपुर, गुलहरिया, झुगिंया बाजार, मेडिकल कालेज, डीहवापुर, फतेहपुर, करमहां से भी जुलूस-ए-मुहम्मदी निकला। तहरीक दावते इस्लामी हिंद की जानिब से खुनीपुर पाकीजा होटल के पास से निकाला गया। जेल विजिटर आदिल अमीन ने जाफरा बाजार में जुलूस का खैर मकदम किया।

मदरसा दारूल उलूम हुसैनिया का जुलूस आकर्षण का केंद्र रहा

मदरसा दारूल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार की ओर से जुलूस-ए-मुहम्मदी पूरे शानौं शौकत से हाजी सैयद तहव्वर हुसैल के नेतृत्व में निकाला गया। जो अपने निर्धारित मार्ग दीवान बाजार, बक्शीपुर, अलीनगर, चरनलाल चौक, बेनीगंज, हरीश चैक, जाफरा बाजार, घासीकटरा, खोखरटोला, नसीराबाद, चैरहिया गोला होते हुए निकला जो पुनः मदरसें पर सम्पन्न हुआ। जुलूस में इस्लामिक परचम के साथ मदरसें के छात्र-छात्राओं के हाथों में झण्डियों व बैनर थे। जिन पर इस्लाम धर्म की शिक्षाएं लिखी थी। बच्चे नात-ए-पाक व इस्लामी नारों की सदाएं बुलंद करते हुए चल रहे थे। जुलूस समाप्ति के बाद ईद मिलाद की महफिल हुई। जिसमें मुफ्ती अख्तर हुसैन, सूफी निसार अहमद, मौलाना मुहम्मद रियाजुद्दीन, ने हजरत मुहम्मद साहब की जिदंगी पर प्रकाश डाला। कहा कि नबी ने पूरी दुनिया को मानवता, एकता, भाईचारा, अमन का पैगाम दिया। इसके बाद मुल्क के अमनों अमान की दुआं मांगी गयी। दुआं के बाद शीरीनी तकसीम की गयी। इस मौके पर प्रधानाचार्य नजरे आलम कादरी,  मोहम्मद आजम, नवेद आलम, मौलाना फिरोज अहमद,  हाफिज रहमत अली, महमूद रजा, अली रजा, सद्दाम हुसैन, मो. अनीस,  इमामुद्दीन, मो. अनीस, हिमायतुल्लाह, मो. सरफुद्दीन, मो. कासिम, अनीसुल हसन, इस्माईल, हाशिम, वकील अहमद, वसीम अहमद, अनीसुल हसन, अबू अहमद, हाफिज रियाज अहमद, मो नसीम खान, बदरे आलम, गौसिया , शबाना बेगम, सैयद जफर हसन, मोहम्मद आसिफ, मोहम्मद दानिश, नूर मोहम्मद सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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गरीबों में बांटा गया कम्बल
अल खिदमत सोसाइटी की जानिब से मोहल्ला रहमतनगर जामा मस्जिद पर दोपहर 3 बजे गरीबों को कम्बल वितरणअलीम आलमी ने किया।इस मौके पर वकील अहमद खान, सज्जाद अब्दुल्लाह, सैयद नफीस अहमद, सऊद, मन्नान, तालिब सिद्दीकी, शारिक, समर, जमील, इशरत, आदिल, इनामुल, खुस्तर रईस, इरशाद लारी आदि मौजूद रहे।

मुए मुबारक की हुई जियारत

शहर के छोटे काजीपुर में बाद नमाज जोहर पैगम्बर साहब के पवित्र बाल की जियारत करायी गयी। इस दौरान मिलाद पढ़ी गयी। इस दौरान अतीकुर्रहमान, सैयद महबूब अहमद, सैयद मंजर हसन, सैयद आमान सहित तमाम लोगों ने मुए मुबारक की जियारत की।  यहां पर पुरूषों व महिलाओं दोनों को जियारत करायी गयी। बड़े काजीपुर में मरहूम शाह मुहम्मद अबरारूल हक के मकान में बाद नमाज जोहर पवित्र बाल की जियारत व गुस्ल कराया गया। इस दौरान मौलाना अफजल व नूरुल होदा ने तकरीर की। बक्शीपुर थवई पुल के पास स्थित मकाम-ए-कदम रसूल पर भी अकीदतमंदों की भीड़ लगी रही। लोगों ने दरूद व सलाम पेश किया।

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