जनपद

इस्लाम की शिक्षा में प्यार, भाईचारा व अदब : प्रोफेसर अफरोज कादरी

-भव्य इस्लाहे उम्मत सम्मेलन

गोरखपुर, 7 फरवरी। डलास यूनिवर्सिटी केपटाउन, साउथ अफ्रीका के प्रोफेसर मोहम्मद अफरोज कादरी ने कहा कि इस्लाम की शिक्षा में प्यार, मोहब्बत, भाईचारगी व अदब हैं। इस्लाम की सभी शिक्षायें सिर्फ और सिर्फ इंसानियत की भलाई के लिए हैं। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि इंसानियत के हित में जितना भी तरीका और शिक्षा इस्लाम में दी गयी वो दुनिया के किसी भी धर्म में नहीं मिलेगी। साजिशों से दुनिया इस्लाम को बदनाम करें मगर हकीकत तो ये है कि इस्लाम की शिक्षायें और इस्लाम की मोहब्बत लोगों के दिलों में रचती बसती जा रही और लोग इस्लाम अपनाते जा रहे हैं। इस्लामी शरीयत मुसलमान की जान हैं। इस्लामी शरीयत के मामलों में सरकार का दखल बर्दाश्त नहीं हैं। चाहें किसी भी मुल्क की सरकार हो।

यह बातें प्रोफेसर अफरोज ने तुर्कमान तिराहे पर तंजीम कारवाने अहले सुन्नत की जानिब से आयोजित भव्य इस्लाहे उम्मत सम्मेलन में बतौर मुख्य वक्ता कहीं।

उन्होंने कहा कि इस्लामिक मुल्क पश्चिमी देशों के एजेंट की तरह काम कर रहे हैं। उम्मते मुहम्मदिया को दीवार से लगाया जा चुका हैं। मुस्लिम मुल्कों के पास दौलत की कोई कमी नहीं हैं उसके बाद भी दुनिया में सबसे ज्यादा गरीब मुसलमान हैं। मुसलमानों के आने जाने पर पाबंदी लगायी जा रही हैं। हम पर जुल्म ज्यादती हो रही हैं और सब खामोश हैं। जब तक हम खुद नहीं बदलेंगे तब तक हमारे हालात नहीं बदलेंगे। लिहाजा उस रोशनी के केंद्र नबी-ए-पाक की जात से खुद को जोड़ना होगा। सहाबा वाला दीनी जज्बा बेदार करना होगा। कुरआन पर मुकम्मल अमल करना होगा। इल्म हासिल करना होगा। बुराईयों से दूरी अख्तियार करनी होगी। दूसरों के दुख दर्द में शरीक होना होगा। सुन्नते रसूल पर चलना होगा। फर्ज की वक्तों पर अदायगी करनी होगी। तब जाकर हमारा मुस्तकबिल रोशन होगा।

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उन्होंने कहा कि दुनिया में मुसलमान सबसे ज्यादा जुल्म सहन कर रहा हैं। दुनिया में मुसलमानों की बस्तियां जला दी जाती हैं और मुसलमान इंसाफ का इंतज़ार करता है। जब चाहें जहां चाहें मुस्लिमों को मार दिया जाता चाहे वो गुजरात, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, दादरी, मुंबई, मालेगांव हो या दुनिया में सीरिया, फिलिस्तीन, म्यांमार, अफगानिस्तान, इराक में जिस तरह से मुस्लिमों को मारा-काटा जलाया जा रहा है । क्या आपने कभी सुना की मुसलमानों ने कभी बदला लेने के लिए किसी गैर-मुस्लिम  बस्ती में जा कर आगजनी की हो मारा-काट की हो तो इसका जवाब नहीं में मिलेगा। दंगाई दंगा कर के चले जाते हैं और मुसलमान धर्म के नाम पर उनके धर्म के किसी भी बेगुनाह पे हमला नहीं करता । किसी मासूम की बस्तियां धर्म के नाम पर नहीं जलाता। आखिर में उन्होंने मतदान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने की अपील भी की।

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विशिष्ट अतिथि जामिया शमसुल उलूम के मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने किताबी खिताब करते हुए कहा कि इस्लाम किसी मजलूम पर हाथ उठाने की अनुमति नहीं देता। इस्लाम इंसानियत की दावत देता है । मुसलमान मजलूम हैं इनकी शराफत और इनकी  मासूमियत और इनकी इंसानियत का फायदा गैर उठा कर जुल्म कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस्लाम में महिलाओं का बड़ा ऊंचा स्थान है। इस्लाम ने महिलाओं को अपने जीवन के हर भाग में महत्व प्रदान किया है। तात्पर्य यह कि इसलाम ने हर परिस्थितियों में महिला को सम्मान प्रदान किया है। तीन तलाक पर बैन लगाने की बात करने वाले इस्लामी कानून से नावाकिफ हैं। जो महिलाओं को इंसाफ नहीं देते वह महिलाओं के हक की बात करते हैं। तारिक फतेह, तस्लीमा नसरीन, सलमान रुश्दी जैसे लोग बिके हुए हैं।

नात शरीफ कच्छ गुजरात के मौलाना सैयद सलमान रजा ने शानदार अंदाज में प्रस्तुत की। आखिर में सलाते सलाम पढ़ उम्मते मुहम्मदिया व हिन्दुस्तान की सलामती के लिए दुआ की गयी। अध्यक्षता मुफ्ती अख्तर हुसैन अजहरी ने व संचालन घोषी के मुफ्ती मोहम्मद शादाब अमजदी ने किया।
इस मौके पर कार्यक्रम संयोजक मनौव्वर अहमद, मुफ्ती खुर्शीद अहमद, हाफिज व कारी अबुजर नियाजी, मौलाना मोहम्मद असलम, मोहम्मद अतहर, तौहीद अहमद एडवोकेट, मोहम्मद कमर, सेराज अहमद, तनवीर अहमद, नईम अहमद, तस्लीम अहमद, जाबिर अली, कलाम, सहाब, मोहम्मद फैज अहमद फैजान, अशरफ, समीर अहमद, हाफिज सलमान, मोहम्मद अहमद, हाफिज नूर आलम, हाफिज कलाम, मौलाना शम्सुज्जमा, हाफिज रहमत अली, मेहताब आलम, मो. अहमद, मोहम्मद कैफ सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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