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‘ इस्लाम में औरतों को बराबर का अधिकार हासिल है ‘

इस्लाम एक मुकम्मल पूर्ण जीवन व्यवस्था-तस्नीम नुज़हत

-‘मुस्लिम महिलाओं की समस्याएं और उनका समाधान’ विषय पर जलसा का आयोजन

गोरखपुर, 23 अप्रैल। जमाअते इस्लामी हिन्द पूरे देश में आज से सात मई तक मुस्लिम पर्सलन ला जागरुकता अभियान चला रही है। इस कड़ी में रविवार को ‘मुस्लिम महिलाओं की समस्याएं और उनका समाधान’ विषय पर सवेरा मैरेज हाउस पुराना गोरखपुर में जलसे का आयोजन किया गया।

अध्यक्षता कर रहीं श्रीमती तस्नीम नुज़हत (इंचार्ज, महिला विभाग, जमाअते इस्लामी हिन्द, उ0प्र0 ) ने कहा कि इस्लाम एक मुकम्मल पूर्ण जीवन व्यवस्था हैं जो जिंदगी के तमाम मसलों पर बहस करता हैं और उनका सही हल पेश करता हैं।आजकल तीन तलाक, मर्द का एक से ज्यादा शादियां करना और हलाला को लेकर पूरे देश में मीडिया के जरिए गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं और यह समझाने की कोशिश की जा रही हैं कि इस्लाम में औरतों को बराबर के अधिकार हासिल नहीं हैं। हालांकि ऐसा है नहीं। इस्लाम का खानदानी निजाम इंसानियत के लिए रहमत हैं। इस्लाम ने औरतों को मां, बेटी, बीबी हर दर्जें में बुलंदी अता की। सात आसमानों पार जन्नत एक मां के कदम में ही तो होती हैं। एक विधवा से शादी करके नबी पाक ने विधवाओं को जिंदगी जीने का हौसला दिया। बेटी को जिंदा दफन होने से इस्लाम ने बचाया। औरतों को जो कुछ वकार और इज्जत मिली सिर्फ इस्लाम के दामन से मिलीं। कुछ दीन से नवाकिफ लोगों की वजह से शरीयत पर उंगली उठाने का हक किसी को नहीं हैं। हां यह जरुर है कि शरई कवानीन को हर मुसलमान तक पहुंचाना इल्म वालों की अहम जिम्मेदारी हैं।

मुसलमानों को इस बात पर तैयार करने की जरूरत है कि वह अपनी पारिवारिक समस्याओं को शरई अदालतों के द्वारा हल करायें। जरूरत इस बात की है कि शरीअत के आदेशों को उनकी असल भावना के साथ मुस्लिम समाज में जारी किया जायें। परिवार के बड़ों की जिम्मेदारी है कि वह अपने परिवार को शरीअत का पाबन्द बनायें। उन्होंने कहा कि आइये हम सब मिल कर ये तय करें कि अपनी पूरी जिन्दगी मुख्यतः अपनी पारिवारिक जीवन को पूरी तरह इस्लाम के मिजाज के अनुरुप गुजारेंगे।

जलसे का संचालन कर रही अफसाना खातून (इंचार्ज महिला विंग गोरखपुर) ने कहा कि भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ अगर एक तरफ बाहरी हमलों का शिकार है तो वहीं दूसरी तरफ हमारा समाज खुद एक चैलेंज बना हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर मुस्लिम समाज निकाह, तलाक, विरासत आदि के मामलों में पूरी तरह से शरीअत की पाबन्दी करें तो हमारा समाज न केवल अमनों सुकून का गहवारा बन सकता है बल्कि इस देश के दूसरे लोग भी इस्लाम की पारिवारिक व्यवस्था के फायदे और इंसानी जीवन में पड़ने वाले अच्छे प्रभाव को देखकर इससे प्रभावित होंगे। जलसे में बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं उपस्थित रहीं।⁠⁠⁠⁠