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एक रूपए में मिली मैत्रेय प्रोजेक्ट ट्रस्ट को 195.81 एकड भूमि

सरकार ने हमेशा के लिए पट्टे पर दी जमीन, 35 करोड़ की स्टाम्प ड्यूटी भी माफ
एमओयू के 13 वर्ष बाद मिली जमीन, अब आकार लेगी मैत्रेय परियोजना

गोरखपुर, 19 अगस्त। कुशीनगर में मैत्रेय परियोजना के लिए प्रदेश सरकार ने आज 195.81 एकड भूमि एक रूपए में मैत्रेय प्रोजेक्ट ट्रस्ट को सौंप दी। यह भूमि हमेशा के लिए मैत्रेय प्रोजेक्ट ट्रस्ट को हमेशा के लिए लीज पर दी गई है। आज कुशीनगर के रजिस्ट्रार आफिस में लीज डीड की रजिस्ट्री हुई। रजिस्ट्री मद में स्टाम्प ड्यूटी का करीब 35 करोड़ रूपए भी ट्रस्ट को नहीं देने पड़े हैं क्योंकि सरकार ने इसे माफ कर दिया है। जमीन के बदले एक रुपया ट्रस्ट ने लखनऊ में चालान के जरिये सरकारी खजाने में जमा किया।

आज पट्टा रजिस्ट्री पर मैत्रेय प्रोजेक्ट ट्रस्ट के चेयरमैंन भानते कबीर और संस्कृति विभाग की ओर से विशेष सचिव ने हस्ताक्षर किए।
मैत्रेय ट्रस्ट कुशीनगर को दी गई भूमि चार गांवों-कसया, सबया, विशुनपुर बिन्दवलिया और अनिरूद्धवा की है। इसमें 179.12 एकड़ किसानों की है जबकि 16.69 एकड़ सरकारी भूमि है। यह भूमि प्रदेश के संस्कृति विभाग के नाम है जिसने मैत्रेय प्रोजेक्ट ट्रस्ट कुशीनगर को हमेशा के लिए दी है। इस लीज को लीज्ड इन प्रीपेच्यूटी कहा जाता है। आम तौर पर लीज 99 वर्ष के लिए दी जाती है लेकिन शायद यह पहला मामला है जिसमें सरकार ने भूमि को हमेशा के लिए लीज पर दी है।
मैत्रेय ट्रस्ट को 16 वर्ष बाद मैत्रेय परियोजना के लिए भूमि मिली है। इस परियोजना को कुशीनगर में स्थापित करने की कवायद वर्ष 2000 में शुरू हुई थी। तेरह वर्ष बाद 13 दिसम्बर 2013 को परियोजना का शिलान्यास मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था लेकिन परियोजना के एक ईंट भी नहीं रखी जा सकी। भूमि स्थानान्तरित करने और परियोजना के लिए पहले हुए एमओयू में संशोधन करने की प्रक्रिया में ढाई वर्ष और लग गए।
यह परियोजना फाउंडेशन फार द प्रिजरवेशन आफ महायान ट्रेडिशन एफपीएमटी की परिकल्पना है जिसकी स्थापना 1974 में तिब्बती धर्मगुरू लामा तिबुतेन येशे ने की थी। इस संस्था का मानना है कि लोगों में प्रेम, दया, करूण जैसे उद्दात्त भावों को जगाने के लिए दुनिया भर में मैत्रेय बुद्ध की विशाल प्रतिमाएं स्थापित की जानी चाहिए। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए मैत्रेय प्रोजेक्ट इंटरनेशनल की स्थापना की गई जो कई देशों में मैत्रेय बुद्ध की विशाल प्रतिमाएं स्थापित करने का कार्य कर रहा है। कुशीनगर का मैत्रेय प्रोजेक्ट इसी की एक कड़ी है। एफपीएमटी के अनुसार तिब्बती बौद्ध ग्रन्थों में उल्लेख है कि भगवान बुद्ध का भावी अवतार मैत्रेय के रूप में कुशीनगर में होगा। यहीं पर बुद्ध शाक्य मुनि ने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था। इसलिए यहां पर मैत्रेय बुद्ध की विशाल प्रतिमा स्थापित करने की योजना बनी।
तत्कालीन मुलायम सरकार ने इस परियोजना के लिए मैत्रेय ट्रस्ट को सात गांवों की 750 एकड़ भूमि निःशुल्क देने की घोषणा की थी जिसमें 660 एकड़ भूमि किसानों की थी। इसके लिए प्रदेश सरकार और मैत्रेय ट्रस्ट के बीच 9 मई 2003 को एमओयू हुआ था। ट्रस्ट यहां पर 500 फीट मैत्रेय बुद्ध की प्रतिमा स्थापित करने के साथ-साथ शैक्षिक व स्वास्थ्य सेवाओं के लिए संस्थान स्थापित करना चाहता था।
भूमि अधिग्रहण के खिलाफ किसानों ने भूमि बचाओ संघर्ष समिति बनाकर आंदोलन शुरू कर दिया। किसानों के आंदोलन के कारण अधिग्रहीत भूमि पर सरकार कब्जा नहीं कर सकी जिससे परियोजना में देरी होती गई।
इससे क्षुब्ध होकर ट्रस्ट के आध्यात्मिक निदेशक लामा जोपा रिनपोछे ने नवम्बर 2012 को मैत्रेय परियोजना कुशीनगर से वापस लेने की घोषणा कर दी। इस घोषणा के बाद प्रदेश सरकार परियोजना को यूपी से बाहर जाने से बचाने के लिए सक्रिय हुई। नए सिरे से 945 रूपए प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से मुआवजे की घोषणा हुई और किसानों से 28 नवम्बर 2012 से करार पर भूमि ली गई। मुआवजा दर बढ़ाने के बावजूद तीन गांवों की एकड़ भूमि ही मिल सकी। विन्दवलिया गांव के 49 किसान भूमि देने के लिए राजी नहीं हुए और हाईकोर्ट चले गए जहां से फरवरी 2013 में उन्हें स्टे मिल गया।
कम भूमि मिलने के कारण अब परियोजना का आकार सीमित हो गया है। अब यहां 200 फीट उंची मैत्रेय बुद्ध की प्रतिमा स्थापित होगी।

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