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गौतम बुद्ध की ननिहाल देवदह का सीमांकन शुरू

लक्ष्मीपुर (महराजगंज), 2 नवम्बर. प्राचीन बौद्ध स्थल गौतम बुद्ध का ननिहाल माने जाने वाले देवदह बनर्सिहा कला की भूमि का सीमांकन करने के लिए राज्य पुरातत्व विभाग लखनऊ की तीन सदस्यीय टीम बुधवार को कम शुरू कर दिया।

टीम के सदस्यों ने प्राचीन स्थल के टीलों को नजदीक से देखा और स्थानीय लोगों से बात की। बनर्सिहा कला देवदह में करीब 88 एकड़ भूमि में फैले हुए प्राचीन टीले, इतिहासकार कलिंगम स्तम्भ, राजमहल अवशेष, आधा दर्जन पोखरे आदि को पुरातत्व विभाग ने 1978 में संरक्षित कर लिया था।
इसी बीच बर्ष 2006 से देवदह बौद्ध विकास समिति ने जितेंद राव की अगुवाई में इस प्राचीन बौद्ध स्थल के विकास के लिये स्थानीय स्तर पर कार्यक्रम शुरू किया. यह कार्यक्रम प्रति वर्ष अक्टूबर माह में होता है। समिति ने शासन से मांग की कि देवदह को संरक्षित कर प्राचीन स्थल का विकास किया जाय जिससे विश्व स्तर पर पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। समिति की मांग पर बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट के तहत  करीब 24 लाख रुपये शासन से स्वीकृत हुआ। देवदह की जमीन के सीमांकन के बाद इसके चारों तरफ तार के बाड़ लगने हैं.
इसके आसपास कुछ स्थानीय लोग पहले से ही खेती कर रहे हैं। इस मौके पर नरसिंह त्यागी क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी, मनमोहन डिमरी सर्वे अधिकारी, प्रदीप सिंह संरक्षण सहायक, जितेंद राव, लक्ष्मीचन्द्र पटेल, प्रह्लाद, रहमतुल्लाह राजस्व निरीक्षक, हरिशंकर लेखपाल, रामनयन चकबन्दी, अनुज सिंह लेखपाल, शिवटहल प्रधान आदि उपस्थित रहे।

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