साहित्य - संस्कृति

“ जिस झूठ को तुम चाहो फैलाओ जमाने में, अखबार तुम्हारे हैं चैनल भी तुम्हारे हैं ”

स्टार चेरिटेबुल ट्रस्ट ने आयोजित किया चौथा सैयद मज़हर अली शाह मेमोरियल आल इंडिया मुशायरा एवं कवि सम्मेलन 
सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर , 12 नवम्बर.स्टार चेरिटेबुल ट्रस्ट की जानिब से चौथा सैयद मज़हर अली शाह मेमोरियल आल इंडिया मुशायरा एवं कवि सम्मेलन शनिवार को  बक्शीपुर स्थित एमएसआई इंटर कालेज में रवायती अंदाज में आयोजित हुआ। मुशायरा व कवि सम्मेलन रात 11:00 बजे के करीब शुरु हुआ। पिछले तीन मुशायरों की तुलना में मुशायरा हल्का रहा। हालांकि आयोजकों ने प्रोग्राम को सफल बनाने की हर मुमकिन कोशिश की थी।
मशहूर शायर प्रो. वसीम बरेलवी देर रात 12:15 बजे स्टेज पर पहुंचे। जब तक उन्होंने माइक (करीब प्रात: 4:00) संभाला तो काफी देर हो चुकी थी। काफी पब्लिक जा चुकी थीं। उन्होंने 25 मिनट तक अपना कलाम पेश किया। मुशायरे में देश के एक दर्जन से अधिक शायरों व कवियों ने कलाम पेश किया। किसी कारणवश मशहूर शायर मंजर भोपाली कार्यक्रम में शिरकत नहीं कर सकें। मुशायरा व कवि सम्मेलन को नाम दिया गया था ‘एक शाम प्रेमचंद व फिराक के नाम’।
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मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद आईएएस अखिलेश मिश्र व अध्यक्षता कर रहे पूर्व न्यायाधीश कलीमुल्ला खां  ने शमां रोशन कर महफिल का आगाज किया। संचालन के लिए जैसे ही कलीम कैसर  स्टेज पर आये लोगों ने तालियों से इस्तकबाल किया। मुशायरे के दौरान बहुत से शेरों पर पब्लिक बिना सोचे समझे बेवजह वाह-वाह कर रही थीं। खासतौर से स्टेज के सामने दरी पर बैठी पब्लिक हो हल्ला ही करती नजर आयी। जैसे उन्हें यह जलसा कम तमाशा ज्यादा नजर आया। कुछ शायरों में पब्लिक का मिजाज समझने में परेशानी हुई।
सबसे पहले मशहूर शायर इकबार अशहर ने अपना कलाम पढ़ उर्दू को समर्पित किया-
उर्दू है मेरा नाम में “ख़ुसरो” की पहेली
में “मीर” की हमराज़ हूँ “ग़ालिब” की सहेली
दक्कन के वली ने मुझे गोदी में खिलाया
“सौदा” के क़सीदों ने मेरा हुस्न बढ़ाया
है “मीर” की अज़मत कि मुझे चलना सिखाया
में “दाग़” के आंगन में खुली बन के चमेली
उर्दू है मेरा नाम में “ख़ुसरो” की पहेली
“ग़ालिब” ने बुलंदी का सफ़र मुझ को सिखाया
“हाली” ने मुरव्वत का सबक़ याद दिलाया
 ” इक़बाल” ने आईना हक़ मुझ को दिखाया
“मोमिन” ने सजाई मेरे ख्वाबों की हवेली
उर्दू है मेरा नाम में “ख़ुसरो” की पहेली
है ” ज़ौक़ ” की अज़मत कि दिए मुझ को सहारे
“चकबस्त” की उलफ़त ने मेरे ख़्वाब संवारे
“फ़ानी” ने सजाए मेरी पलकों पे सितारे
“अकबर” ने रचाई मेरी बेरंग हथेली
उर्दू है मेरा नाम में “ख़ुसरो” की पहेली
क्यों मुझ को बनाते हो तास्सुब का निशाना
मैंने तो तुझे कभी मुसलमां नहीं माना
देखा था कभी मैंने भी ख़ुशियों का ज़माना
अपने ही वतन में में हूँ मगर आज अकेली
उर्दू है मेरा नाम में “ख़ुसरो” की पहेली
ताजमहल की तरफ इशारा करते हुए पढ़ा-
“पत्थर की इमारत हूं, मगर मोम का दिल है
पूनम का हंसीं चांद मेरे गाल का तिल है
मुमताज सी पाकीजा मोहब्बत का कंवल हूं
कायम है मेरी शान कि मैं ताजमहल हूं “
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इसके बाद उस्मान मीनाई ने सरकार पर निशाना साध वाह-वाही लूटने की कोशिश की-
“बस्ती भी तुम्हारी हैं जंगल भी तुम्हारे हैं
हाथी भी तुम्हारे हैं पैदल भी तुम्हारे हैं
जिस झूठ को तुम चाहो फैलाओ जमाने में
अखबार तुम्हारे हैं चैनल भी तुम्हारे हैं “
फिर पढ़ा-
“तुम्हारा दबदबा खाली तुम्हारी जिंदगी तक है
किसी की कब्र के अंदर जमींदारी नहीं चलती”
“लखनऊ की जो फज़ाओं का मजा जानते हैं
 वो परिंदे कभी लाहौर नहीं जायेंगे”
“हकीकत रूबरू हो तो अदाकारी नहीं चलती
खुदा के सामने बंदों की मक्कारी नहीं चलती”
चुनाव पर तंज करते हुए पढ़ा-
“इलेक्शन तक गरीबों का वो हुजरा देखते हैं
हुकूमत मिल गई तो सिर्फ वो मुजरा देखते हैं”
नेताओं पर कटाक्ष किया –
“न वो काशी न वो मथुरा की तरफ जायेगा
वह विधायक है वो गोवा की तरफ जायेगा”
सरकार पर निशाना साधते हुए पढ़ा-
” लगे हैं खून के जितने वो दाग साफ करो
सड़क को छोड़ो तुम अपना दिमाग साफ करों “
इसके बाद यह शेर पढ़ दाद पायीं-
“दफन हो जायेंगे मिट्टी में वतन की उस्मान
हम तो मर कर भी कहीं और नहीं जायेंगे “
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इसके बाद युवा कवियत्री अंशूप्रिया ने कविताएं व गीत सुना कर श्रोताओं से दाद पायीं। उन्होंने पढ़ा-
“अपना अगर माना है छोड़कर न जाऊंगी
तेरे साथ हर रिश्ता उम्र भर निभाऊंगी
आपके नगर में, मैं पहली बार आयीं हूं
आप प्यार देंगे तो बार-बार आऊंगी”
जाने माने शायर डा. माजिद देवबंदी ने बेहतरीन शेर पढ़ लोगों का दिल जीत लिया।  उन्होंने पढ़ा
” खुद को भी आजमाओ तो पहले
कुछ नया कर दिखाओ तो पहले
बन ही जायेंगे मंदिर-मस्जिद
दिल से दिल को मिलाओ तो पहले “
इसके बाद शाईस्ता सना ने पढ़ा
” ये जिंदगी अजब अंदाज से गुजरने लगी
बिछड़ गई जो तुमसे रोज मरने लगी “
डा. अखिलेश मिश्रा ने पढ़ा
” उसे पाला था,  टुकड़ा था, वह दिल का
जनाजे में वहीं कांधा नहीं था “
डा. नसीम निकहत ने पढ़ा
ये नफरत के पुजारी जेहन बीमार कर देंगे
हमें एक दूसरे के नाम से बेजार कर देंगे।”
फिर पढ़ा
” तुम तो जैसे पत्थर हो, हम है आईना लेकिन
हम भी टूट जाते है, तुम भी टूट जाते हो
तुम जो तोड़ देते हो क्या कोई खिलौना है
जो बना नहीं सकते हो, क्यों उसे मिटाते हो।”
इसके बाद बारी थी शायर हसन काजमी की उन्होंने पढ़ा
“सबके हाथों में हैं बातों से भरा मोबाइल
बात आपस में मगर करने की जरूरत न रही “
प्रोफेसर वसीम बरेलवी को सुनने के लिए महफिल उतावली नजर आ रही थी। उन्होंने शानदार लहजे में अपना कलाम सुनाया। उन्होंने पढ़ा-
वो मेरे चेहरे तक अपनी नफरतें लाया तो था,
मैने उसके हाथ चूमे और बेबस कर दिया
उन्होंने कहा-
वो मेरी पीठ में खंजर जरूर उतारेगा
मगर निगाह मिलेगी तो कैसे मारेगा
वे एक से एक शेर सुनाते गए और लोग बड़ी तन्मयता से दाद देते हुए सुनते रहे-
तू समझता है कि रिश्तों की दुहाई देंगे
हम तो वो हैं जो तेरे चेहरे से दिखाई देंगे।
फिर तो एक शमां बंध गया। अपने मख्सूस अंदाज में पढ़ा
“तू क्या समझा तुझसे बिछड़कर बिखरुंगा
 देख ये मैं हूं मुझको संभलना आता हैं “
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इसके बाद बारी थी हरदिल अजीज शबीना अदीब की उन्होंने स्टेज पर ऐसा जादू चलाया कि सब वाह-वाह कहते रह गये। इसके अलावा अन्य शायरों डा. महताब आलम,  अना देहलवी, प्रमोद तिवारी आदि
ने सभी का दिल जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सुनील कुमार तंग, डा. अनिल चौबे आदि ने अपने कलाम से खूब गुदगुदाया।
इस दौरान डा. विजाहत करीम, डा. सुरहीता करीम, डा. अजीज अहमद, फरूख जमाल, शरीफुल हक, हमीदुल्लाह, जफर अमीन डक्कू, वकील अहमद खान, अनवर हुसैन, राशिद,  दिलशाद गोरखपुरी, तमाम लोग मौजूद रहे।
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 ‘जज्बाते माएल’ व ‘कशमकश’ का विमोचन
प्रोग्राम में युवा स्कॉलर अशफाक अहमद उमर की ‘पुस्तक’ ज़ज्बाते माएल’ व हेमलता ओझा की पुस्तक ‘कशमकश’ (कहानी संग्रह) का विमोचन मुख्य अतिथि आईएएस अखिलेश मिश्रा व पूर्व न्यायाधीश कलीमुल्ला खां ने किया।
शहर की चार हस्तियां सम्मानित
मुशायरा व कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि आईएएस अखिलेश मिश्रा व पूर्व न्यायाधीश कलीमुल्ला खां ने शहरनामा गोरखपुर के संपादक डा. वेद प्रकाश पांडेय, युवा स्कॉलर अशफाक अहमद उमर, वरिष्ठ साहित्यकार डा. दरख्शां ताजवर, गोविवि के शिक्षक व पत्रकार डा. कुमार हर्ष को सम्मानित किया।

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