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दर्जनों सारस पक्षियों ने सिसवा क्षेत्र में बनाया आशियाना

सिसवा ब्लाक के गेरमा,रायपुर,रुद्रापुर सहित कई गांव में झुण्ड में देखे जा रहे है सारस
गुफरान अहमद
सिसवा बाजार (महराजगंज) 23 अक्टूबर. लम्बी उडान वाले पक्षी सारस को सिसवा क्षेत्र के वातावरण रास आने लगे है।कुछ दिनों से इस क्षेत्र में इन पक्षियों का आवागमन बढ़ने लगा है। सिसवा ब्लाक के ग्राम गेरमा,रायपुर सहित कई गांव के खेतों में दर्जनों सारस एक साथ झुण्ड के रूप में दिख रहे हैं.
सारस सुखद गृहस्थ जीवन और नि:स्वार्थ प्रेम का प्रतीक है। सारस पक्षी की इस खूबी का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है वहीं वैज्ञानिकों ने भी इसे अद्भुत बताया है। समय-समय पर इन पक्षियों का आगमन लोगों को इनकी ओर आकर्षित करता है। सारस एक ही जीवनसाथी के साथ पूरा जीवन बिताने के कारण आदर्श दाम्पत्य का प्रतीक भी माना जाता है। वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही यह जोड़ा प्रणय नृत्य करता है। धान के खेत इसके आदर्श आवास है। नम भूमि एवं तालाबों में इसका बसेरा होता है।सारस विश्व का सबसे ऊँची उडान वाला पक्षी है। इस पक्षी को क्रौंच के नाम से भी जाना जाता है। अंग्रेजी में इसे क्रेन कहते है।

crane 2

पूरे विश्व में भारत  में इस पक्षी की सबसे अधिक संख्या पाई जाती है। सबसे बड़ा पक्षी होने के अतिरिक्त इस पक्षी की कुछ अन्य विशेषताएं इसे विशेष महत्व देती हैं। उत्तर प्रदेश के इस राजकीय पक्षी को मुख्यतः गंगा के मैदानी भागों और भारत के उत्तरी और उत्तर पूर्वी और इसी प्रकार के समान जलवायु वाले अन्य भागों में देखा जा सकता है। भारत में पाये जाने वाला सारस पक्षी यहां के स्थाई प्रवासी होते हैं और एक ही भौगोलिक क्षेत्र में रहना पसंद करते हैं।

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