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दो से तीन गुना कम वेतन पर कार्य कर रहे हैं इंसेफेलाइटिस वार्ड के नर्स व कर्मचारी

-वार्ड संख्या 12 और नए इंसेफेलाइटिस वार्ड के नर्सों को मिलता है सिर्फ 16500 रूपए जबकि नियमित स्टाफ नर्स पाती हैं 38 से 60 हजार
-तृतीय श्रेणी कर्मचारी सिर्फ सात हजार और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी आठ हजार रूपए वेतन पर कार्य करने को मजबूर
-वार्ड संख्या 14 में कार्यरत नर्स व कर्मचारियों को इनसे मिलता है दोगुना वेतन
-मुख्य सचिव से मिल सुनाई व्यथा, कहा एक ही तरह का काम करने वालों के साथ यह भेदभाव क्यों

गोरखपुर, 30 सितम्बर। बीआरडी मेडिकल कालेज में इंसेफेलाइटिस मरीजों के इलाज की व्यवस्था से जुड़े नर्सों तथा तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी मामूली वेतन पर दिन-रात कार्य कर रहे हैं और पैसे की कमी नहीं होने का डायलाग बार-बार देने वाली केन्द्र व प्रदेश सरकार उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रही है।

मेडिकल कालेज 100 बेड वाले इंसेफेलाइटिस वार्ड और 12 नम्बर वार्ड के स्टाफ नर्सो को सिर्फ 16500, तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को आठ हजार तो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 7 हजार रूपए पर काम करना पड़ रही है जबकि उन्हीं की तरफ कार्य करने वाले नियमित स्टाफ नर्सो व कर्मचारियों को दो से तीन गुना अधिक वेतन मिल रहा है।

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बीआरडी मेडिकल कालेज में इंसेफेलाइटिस मरीजों के लिए मुख्यतः तीन वार्ड है। वार्ड संख्या 14 में इंसेफेलाइटिस के वयस्क मरीज भर्ती होते हैं तो वार्ड संख्या 12 और नए इंसेफेलाइटिस वार्ड में इंसेफेलाइटिस से पीडि़त बच्चों को भर्ती किया जाता है। तीनों वार्डों में संविदा और आउट सोर्स पर चिकित्सक, स्टाफ नर्स व कर्मचारी रखे गए हैं। एक तो मानक के अनुरूप स्टाफ नर्स व कर्मचारी नहीं हैं जिसके वजह से उनके उपर काम का बोझ काफी है। उल्टे उनका वेतन काफी कम हैं। वार्ड संख्या 14 का संचालन राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा है जबकि 14 और नए इंसेफेलाइटिस वार्ड केन्द्र सरकार द्वारा संचालित किया जा रहा है।

इन्सेफेलाइटिस वार्ड की नर्सें
राज्य सरकार ने वार्ड संख्या 14 में कार्यरत नर्सो व कर्मचारियों का वेतन 16 अप्रैल 2014 को बढ़ाकर अनुमन्य वेतनवैण्ड तथा ग्रेड वेतन का न्यूनतम कर दिया। यही नहीं उन्हें राज्य कर्मचारियों के समान महंगाई भत्ता भी देने का आदेश कर दिया गया लेकिन वार्ड संख्या 12 और नए इंसेफेलाइटिस वार्ड के नर्सों व कर्मचारियों का वेतन पहले की ही तरह काफी कम मिल रहा है। इस तरह एक ही कार्य करते हुए तीनों वार्ड के नर्स व कर्मचारी मेडिकल कालेज में नियमित स्टाफ नर्स व कर्मचारियों के मुकाबले दो से तीन गुना कम वेतन पा रहे हैं।
वार्ड संख्या 12 और नए इंसेफेलाइटिस वार्ड के स्टाफ नर्सो को 16500 रूपया वेतन मिल रहा है जबकि वार्ड संख्या 14 की स्टाफ नर्सों को 30,441 रूपए मिल रहे हैं। जबकि मेडिकल कालेज में ही कार्य कर रही नियमित स्टाफ नर्सों को 38 हजार से 60 हजार रूपए तक प्रतिमाह वेतन मिल रहा है।
इसी तरह वार्ड संख्या 12 और नए इंसेफेलाइटिस वार्ड के तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को सिर्फ आठ हजार रूपए प्रतिमाह तो वार्ड संख्या 14 में 17147 रूपए प्रतिमाह वेतन मिल रहा है। मेडिकल कालेज के नियमित तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को सभी सुविधाओं से 26 हजार से 40 हजार रूपए मिल रहे हैं।
वार्ड संख्या 12 और नए इंसेफेलाइटिस वार्ड के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को सिर्फ सात हजार रूपए प्रतिमाह मिलता है जबकि वार्ड संख्या 14 में कार्य करने वाले कर्मचारियेां को 15330 रूपए प्रतिमाह मिलते हैं। नियमित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियेां को 22 हजार से 30 हजार रूपए प्रतिमाह वेतन मिल रहा है।
यही नहीं वार्ड संख्या 12 व नए इंसेफेलाइटिस वार्ड के स्टाफ नर्स व तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को सिर्फ 14 आकस्मिक अवकाश मिलता है। उन्हें किसी तरह का भत्ता नहीं मिलता जबकि वार्ड संख्या 14 के स्टाफ नर्सों व कर्मचारियों को 20 आकस्मिक अवकाश व प्रतिवर्ष महंगाई भत्त मिलता है।
एक ही कार्य करने वाले नर्सों व कर्मचारियों के वेतन व अन्य सुविधाओं में दो गुने व तीन गुने का अंतर चकित करने वाला है और इसका कोई जवाब केन्द्र व राज्य सरकार के पास नहीं है जो यह कहते थकते नहीं हैं कि इंसेफेलाइटिस के इलाज के लिए धन की कमी नहीं है।
इंसेफेलाइटिस वार्ड में कार्यरत नर्स व कर्मचारी इस भेदभाव के विरूद्ध लगातार मंत्रियों, बड़े अफसरों को ज्ञापन देते रहे हैं लेकिन आज तक इस सम्बन्ध में कोई कार्यवाही नहीं हुई। कल गोरखपुर के दौरे पर आए मुख्य सचिव राहुल भटनागर को भी कर्मचारी कल्याण सेवा संघ के राष्टीय अध्यक्ष सूर्य प्रकाश पांडेय, संविदा नर्सेज संघ की जिलाध्यक्ष श्वेता श्रीवास्तव तथा संविदा कर्मचारी संघ की अध्यक्ष शशिबाला हेनरी ने ज्ञापन देकर अपने साथ हो रहे भेदभाव से अवगत कराया। तीनों पदाधिकारियों ने वेतन विसंगति दूर करने और समान कार्य के लिए समान वेतन देने की मांग की।

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