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पांच शिक्षकों ने तनख्वाह से डेढ़ लाख खर्च कर चमका दिया प्राथमिक विद्यालय

प्रोजेक्टर, लैपटाप, साउंड सिस्टम, व्हाइट बोर्ड, बेंच, डेस्क, पंखा का इंतजाम कर विद्यालय को कान्वेंट सरीखा बनाया

सैयद फरहान अहमद

गोरखपुर, 3 नवम्बर। प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। संसाधनों की कमी से जूझ रही प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था की स्थिति नाजुक है। इन्हीं दुश्वारियों के बीच पिपराइच के पांच शिक्षक नई रोशनी बनकर उभरे है। इन शिक्षकों ने अपनी तनख्वाह से प्राथमिक विद्यालय अराजी बसडीला पिपराइच को न केवल आधुनिक बना दिया बल्कि प्राथमिक विद्यालय को कांवेंट स्कूलों के मुकाबिल खड़ा कर दिया है। आज प्राथमिक विद्यालय अराजी बसडीला में प्रोजेक्टर, लैपटाप, साउंड सिस्टम, व्हाइट बोर्ड, बेंच, डेस्क, पंखा सब कुछ है. विद्यालय की  दीवारों पर चमक रही हैं.  इन्हीं सब वजहों से इस विद्यालय में नामांकन 57 से बढ़कर 150 तक पहुंच गया और यही नहीं रोजना स्कूल आने वाले बच्चों की तादाद 15-20 से बढ़कर 120 तक पहुंच गई।

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यह विद्यालय गोरखपुर मुख्यालय से तक़रीबन 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।  पिपराइच थाना क्षेत्र का  प्राथमिक विद्यालय अराजी बसडीला में जहां बच्चों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए शिक्षकों ने अपनी तनख्वाह से सबसे पहले विद्यालय में कांवेंट स्कूलों की तर्ज पर मूलभूत सुविधा यानी पढ़ने के लिए बेंच-डेस्क और बैठने के लिए कालीन का इंतजाम किया. दीवारों पर चारों तरफ सभी कमरों में शिक्षा से सम्बंधित पोस्टर और कैलेण्डर लगाये । व्हाइट बोर्ड का इंतजाम किया।

यहां के हेडमास्टर आशुतोष कुमार सिंह ने बताया कि 2 जुलाई 2016 को उन्होंने विद्यालय ज्वाइन किया। तब विद्यालय की हालात बेहद खराब थी। उन्होंने विद्यालय की दशा सुधारने की ठानी और सहयोग मिला साथी शिक्षिका अर्चना सिंह, संयोगिता सिंह, श्यामा रानी गुप्ता व मोनिका श्रीवास्तव का। सभी ने अपनी तनख्वाह से 60 हजार जुटाए और विद्यालय के लिए प्रोजेक्टर, लैपटॉप व साउंड सिस्टम खरीदा।  दस हजार रुपया में पंखे, व्हाइट बोर्ड खरीदा गया। डेस्क-बेंच में करीब सत्तर हजार रुपया खर्च हुआ जिसमें कानपुर के डिप्टी कमिश्नर सेल्स टैक्स राजेश गुप्ता का भी सहयोग रहा। पन्द्रह हजार रुपया दीवारों की अंदरुनी व बाहरी दीवारों की पेटिंग में खर्च हुअा।

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आशुतोष ने बताया कि विद्यालय में कुल 3 कमरे व एक बरामदा है। तीन कमरे की और जरूरत है। विद्यालय की बाउंड्री हो गई है। कामचलाऊ शौचालय भी है। सरकार की तरफ से पांच हजार मरम्मत का और साढ़े छह हजार पेटिंग के मद में मिलता है। इसके अलावा किताब, ड्रेस, जूता-मोजा व बैग भी मिलता है। मिड-डे मिल का भी इंतजाम है। बाकी सारा इंतजाम शिक्षक अपने पैसों से करते है। प्रतिदिन दो से तीन कक्षाओं में प्रोजेक्टर की मदद से पढ़ाई होती है।

उन्होंने बताया कि इस माध्यम से बच्चों की रुचि बहुत बढ़ी है। अंग्रेजी वगैरह पढ़ने में बच्चों को परेशानी नहीं हो रही है। वहीं अन्य विषयों को रोचक ढ़ंग से सिखाया व पढ़ाया जा रहा है। यूट्यूब व एनसीईआरटी की नेट पर मौजूद शौक्षणिक सामग्री बहुत कारगर साबित हो रही है।

आशुतोष सिंह
आशुतोष सिंह

आशुतोष ने बताया कि पहले तो बच्चो को पढ़ाने में कुछ कठिनाईयां जरुर आयीं, लेकिन धीरे-धीरे सब ठीक हो गया, और अब ये बच्चे कान्वेंट स्कूलो के बच्चों को टक्कर देने के लिए तैयार है। पूरे  यूनिफार्म में टाई बेल्ट, आई कार्ड लगाये ये बच्चे आज बेंच पढ़ाई कर रहे है। पिपराइच में मौजूद इस प्राथमिक विद्यालय ने  शिक्षा की एक अनोखी अलख जगाई है। अगर दिल में कुछ कर गुजरने की चाह और अपनी जिम्मेदारी का एहसास हो तो हर एक सरकारी स्कूल अराजी बसडीला बन सकता है

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