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पांडेहाता की दारोगा खां मस्जिद में चल रही है पहले रोजे से रमजान की पाठशाला

गोरखपुर, 12 जून। पांडेहाता की दारोगा खां मस्जिद में चल रही है पहले रोजे से रमजान की पाठशाला जिसमें 8 साल के बच्चे से लेकर 70 साल के बुजुर्ग शामिल हो रहे हैं।

इस पाठशाला के अध्यापक है युवा मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी। जब दोपहर की जौहर नमाज खत्म होती है तो शुरु हो जाती है रमजान की पाठशाला जो करीब 45 मिनट की होती हैं. जिसमें 30 मिनट कुरआन व हदीस से मजहब की बारीकियां बतायी जाती है और 15 मिनट लोगों के सवाल का जवाब दलील के साथ दिया जाता हैं।
पाठशाला में आधुनिक तरह के सवाल का मुफ्ती अजहर सलीके से जवाब देते हैं। मोहम्मद सैफ ने मुफ्ती साहब से सवाल किया कि अगर नमाज में मोबाइल बज जायें तो क्या किया जायें..मुफ्ती साहब ने बताया अगर नमाज में मोबाइल बजे तो ऊपर से बटन दबा दें.अगर टच स्क्रीन वाला मोबाइल हो तो नात, कुरआन टोन हो तो छोड़ दे लेकिन अगर गाना वगैरह बजे तो नमाज तोड़कर पहले मोबाइल बंद करें फिर से नियत करके नमाज पढ़ें।

चैन वाली घड़ी पहन कर नमाज पढ़ने का सवाल सेराज अहमद ने किया तो मुफ्ती साहब ने बताया कि चैन वाली घड़ी पहनकर नमाज पढ़ना उचित नहीं हैं यह मकरुहें तहरीमी है नमाज दोबारा पढ़नी होगी.

जुबैर अहमद ने सवाल किया कि अगर वजू करते समय हलक में पानी चला जायें तो क्या रोजा टूट जाता है. इस पर मुफ्ती साहब ने बताया कि वजू करते समय हलक से पानी नीचे उतरने से रोजा टूट जायेगा. यह रोजा अन्य दिनों में फिर से रखना होगा.

इसी तरह एक सवाल शिप पर काम करने वाले व्यक्ति ने किया तो मुफ्ती साहब ने बताया कि अगर शिप दरिया के किनारे पर हो तो शिप से उतर कर जमीन पर नमाज पढ़े और अगर शिप दरिया में चल रही हो तो चलती शिप में नमाज पढ़े.
इसी तरह वाशिंग मशीन में कपड़ा कैसे पाक करें, पुरुषों का अंगूठी पहनना, शेयर बाजार, बचत खाता पर ब्याज, सदका फित्रा व जकात, रमजान में इंजेक्शन लगवाना, इत्र, तेल लगाना सहित तमाम मसायल का हल मिनटों में दलील के साथ दिया जा रहा हैं।

पहले दिन पाठशाला में इल्म की अहमियत बतायी गयी. दूसरे दिन वुजू और गुस्ल का तरीका बताया गया साथ ही पाकी व नापाकी का बयान हुआ. तीसरे दिन नजासतें गलीजा व नजासतें खफीफा का बयान हुआ. चौथे दिन नमाज की शर्त व फरायज का बयान हुआ.पांचवें दिन नमाज का तरीका बताया गया. नमाज के वाजिबात व सुन्नतों को बताया गया। रविवार यानी छठवें दिन रमजान की फजीलत व रमजान के मसायल बयान किये गये।

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