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‘ पिता बैंक पर भीड़ में कुचल गए और मै बेबस कुछ न कर सका ’

पिता शब्बीर के साथ बेटा रईस भी आया था पेंशन की रकम निकलवाने
बैंक पर भीड़ में कुचलकर घायल हुए रेलवे के रिटायर गेटमैन की मौत का मामला
20 दिन में तीन बार में सिर्फ छह हजार निकाल सके थे शब्बीर
चौथी बार बैंक की यात्रा जीवन की आखिरी यात्रा बनी
बृजमनगंज ( महराजगंज), 20 दिसम्बर। बृजमनगंज स्थित स्टेट बैंक पर लाइन में लगे रिटायर रेल कर्मी शब्बीर की भगदड़ में चोट लगने के बाद हुई मौत से पूरा परिवार सदमे में है। जब यह घटना हुई तब शब्बीर का बेटा रईस भी वहां मौजूद था। वह पिता की एवज में लाइन में लगा था। वह जब बैंक के अंदर पहुंचा तो चैनल बंद कर दिया गया और पिता बाहर ही रह गए। वह अंदर आने की कोशिश कर ही रहे थे कि भगदड़ मच गई। धक्के से शब्बीर गिर गए और कई लोग उनके शरीर को कुचलते गुजर गए। रईस बेबस अंदर यह सब देखता रहा लेकिन पिता की मदद नहीं कर पाया। वह कुछ देर बाद उन्हें अस्पताल ले जाने में सफल तो रहा लेकिन उनकी जान नहीं बचा सका।
बृजमगनगंज थाना क्षेत्र के बचगंगपुर के नरायानजोत निवासी शब्बीर रेलवे में गेटमैन थे। वह 31 दिसम्बर 2010 को रिटायर हुए थे। उनके तीन पुत्रों व एक पुत्री की शादी हो चुकी है। दो पुत्र मुम्बई में रहते हैं जबकि बड़ा बेटा रईस साथ में रहता है। वह खेती संभालता है। पिता का पेंशन शब्बीर, उनकी पत्नी, बेटा रईस और उसकी पत्नी व बच्चों का बड़ा सहारा थी। हर महीने की आखिर तक शब्बीर के खाते में पेंशन के 12 हजार रूपए आ जाते थे। यह रकम वह निकाल कर घर की जरूरतों, खेती में लगाते थे। नोटबंदी के बाद पेंशन की रकम समय से खाते में तो आ गई लेकिन उसे निकालने के लिए एक दिसम्बर से उन्हें तीन बार आना पड़ा। हर बार घंटों लाइन लगने पर दो हजार रूपए ही मिले। इसीलिए वह चौथी बार 20 दिसम्बर को बैंक आए लेकिन उनकी यह बैंक यात्रा, उनके जीवन की आखिरी यात्रा बन गई।

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गोरखपुर न्यूज लाइन से बात करते हुए रईस ने बताया कि वह हर बार पिता के साथ घर से चार किलोमीटर दूर बैंक आता था। चैथी बार पैसा निकालने के लिए दोनों गुरूवार यानि 15 दिसम्बर को बैंक पहुंचे लेकिन पूरे दिन बैंक पर गुजारने के बावजूद उन्हें पैसा नहीं मिला। शुक्रवार को नमाज के कारण वे बैंक नहीं आए। शनिवार को दोबारा बैंक आए लेकिन पैसा नहीं मिल पाया। बैंक से करेंसी की कमी बतायी गई। सोमवार को वे भीड़ से बचने के लिए बैंक नहीं आए। मंगलवार को पैसा मिलने की आस पर दोनों आठ बजे ही बैंक पहुंच गए। पिता को किनारे बिठाकर रईस लाइन में लग गया। बैंक खुला तो करीब 100 लोगों को चैनल गेट के अंदर आने दिया गया। रईस अंदर आने में सफल हो गया। अंदर आने के बाद बावचर पर दस्तखत व कैशियर के सामने मौजूदगी की अनिवार्यता के चलते शब्बीर चैनल गेट के अंदर आने का प्रयास करने लगे जबकि वहां मौजूद पुलिस कर्मी लोगों को अंदर आने से रोकने लगा। इसी आपधापी में अचानक भीड़ बेकाबू हो गई और भगदड़ मच गई। भगदड़ में घिर शब्बीर गिर पड़े और कुचल गए। उन्हें पेट में चोट लगी। शोर सुन ने बैक के अंदर से झांका तो पिता को गिरते देखा लेकिन जब तक वह बाहर निकल पाता उसके पिता बुरी तरह चोटिल हो चुके थे। वह उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाने की कोशिश करने लगा लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे। उसकी मिन्नत पर गार्ड ने बैंक से दो हजार रूपए दिलाए तो वह मोटरसाइकिल पर पिता को बिठाकर सीएचसी ले जाने की कोशिश करने लगा लेकिन उसके पिता बार-बार बेहोश हो जा रहे थे। यह देख उसने 108 नम्बर की एम्बुलेंस को फोन किया। एम्बुलेंस आने के बाद वह पिता को लेकर सीएचसी पहुंचा। चिकित्सकों के इलाज शुरू किया लेकिन करीब आधे घंटे बाद रईस के नजरों के सामने शब्बीर ने दम तोड़ दिया।

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