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एक से 15 अगस्त तक सभी वार्डों में भर्ती एवं मृत मरीजों की सूची फौरन सार्वजनिक करे सरकार-भाकपा माले

एक अगस्त से 15 अगस्त तक सभी वार्डों में भर्ती मरीजों का पूरा विवरण और इस अवधि में मृत मरीजों की सूची सार्वजनिक करने की भी मांग की

गोरखपुर, 23 अगस्त। भाकपा माले ने बीआरडी मेडिकल कालेज में आक्सीजन की कमी से मौतों के लिए योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए इस्तीफे की मांग की है। भाकपा माले ने बच्चों की मौत के मामले में पार्टी की जांच रिपोर्ट आज जारी करते हुए कहा कि बच्चो की मौत के लिए योगी सरकार और स्वास्थ्य व चिकित्सा विभाग के बड़े अफसर जिम्मेदार हैं लेकिन अपने को बचाने के लिए इसका दोष बीआरडी मेडिकल कालेज के कुछ चिकित्सकों व बाबुओं पर थोपा जा रहा हैं। पार्टी ने मुख्य सचिव की जांच रिपोर्ट, डीएम द्वारा गठित कमेटी की जांच रिपोर्ट और दिल्ली से आई एक्सपर्ट टीम की रिपोर्ट तथा एक अगस्त से 15 अगस्त तक सभी वार्डों में भर्ती मरीजों का पूरा विवरण और इस अवधि में मृत मरीजों की सूची फौरन सार्वजनिक करने की मांग की है।
भाकपा माले की जांच टीम ने 13 अगस्त को बीआरडी मेडिकल कालेज का दौरा किया था। इस टीम में सेनटल कमेटी की सदस्य कृष्णा अधिकारी, ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा, भाकपा माले गोरखपुर के जिला सचिव राजेश साहनी और इंकलाबी नौजवान सभा के नेता बजरंगी लाल निषाद थे। मेडिकल कालेज का दौरा करने के बाद जांच टीम ने 10, 11 और 12 अगस्त को बीआरडी मेडिकल कालेज में आक्सीजन की कमी से मरे बच्चों के परिजनों से मुलाकात की। जांच टीम ने घटना की रिपोर्ट कर रहे पत्रकारों से भी बातचीत की।
भाकपा माले की जांच कमेटी की रिपोर्ट के निष्कर्ष
1. ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली फर्म का समय से भुगतान न होने के लिए मेडिकल कालेज के प्राचार्य से ज्यादा योगी सरकार जिम्मेदार है क्योकि उसने चार महीने बाद देर से भुगतान भेजा। बीआरडी मेडिकल कालेज के प्राचार्य आक्सीजन का भुगतान चार दिन देर से करने के जिम्मेदार हैं जबकि सरकार ने चार महीने देर से बजट भेजा। चार दिन देरी करने वाले पर कार्रवाई हो गई लेकिन चार महीना देर करने वाले मंत्रियों, बड़े अफसरों पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई ?

2. मेडिकल कालेज के इन्सेफेलाइटिस वार्ड में काम करने वाले चिकित्सा कर्मियों का भुगतान 5 महीने, पीएमआर सेंटर के चिकित्सा कर्मियों का भुगतान 28 महीने से रोकने के लिये केंद्र और प्रदेश सरकार जिम्मेदार है क्योंकि बार-बार मेडिकल कालेज द्वारा पत्र लिखने और चिकित्सा कर्मियों द्वारा ज्ञापन देने के बावजूद बजट जारी नहीं किया गया। पीएमआर सेंटर के चिकित्सा कर्मियों को तो अभी तक वेतन नहीं मिला है।

3-नियोनेटल आई सी यू और पीडियाट्रिक आई सी यू के विस्तार के लिए 28 अगस्त 2016 को केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल को प्रस्ताव दिया गया था ताकि बच्चो की अत्यधिक संख्या को देखते हुए उन्हें ठीक से चिकित्सा मुहैया कराई जा सके लेकिन केंद्र सरकार ने इसे कभी तक मंजूर नहीं किया जिससे बच्चों की मौतें बढ़ीं। इसकी सीधी जिम्मेदारी केन्द्र और प्रदेश सरकार पर है।

4-एक महीने में दो -दो बार मुख्यमंत्री के मेडिकल कालेज आने और बैठक करने के बावजूद ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली फर्म के भुगतान सहित बच्चो के वार्ड में जरूरी उपकरण व सुबिधायें मुहैया न होने के लिए मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और चिकित्सा शिक्षा मंत्री जिम्मेदार नहीं हैं तो और कौन है ? आखिर बैठक में किस बात की चर्चा हो रही थी ?

5-जाँच समिति ने पाया कि 10 और 11 अगस्त में 34 बच्चों की मौत तो हुई ही वार्ड नंबर 14 में 18 व्यस्क मरीजों की भी ऑक्सीजन की कमी के कारण मौत हुई है जिसको अब तक सरकार द्वारा छुपाया गया है। अंदेशा है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण ट्रामा सेंटर व अन्य वार्डों में भी मरीजों की मौत हुई है। जाँच समिति मांग करती है कि एक अगस्त से 15 अगस्त तक सभी वार्डों में भर्ती मरीजों का पूरा विवरण और इस अवधि में मृत मरीजों की सूची सार्वजनिक करे ताकि सचाई सामने आ सके।
6-सरकार का दावा है कि लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई रुकने पर उसके पास पर्याप्त ऑक्सीजन सिलेंडर थे और ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई लेकिन जाँच दाल ने मीडिया रिपोर्टों का अध्ययन कर और उन दिनों रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकारों से बातचीत कर जाना कि आधी रात के बाद से इन्सेफेलाइटिस वार्ड , 54-54 बेड वाले वार्ड नंबर 12 और 14 में ऑक्सीजन की सप्लाई पूरी तरह से बाधित हो गई थी और मरीजों के परिजनों को अम्बू बैग दिए गए ताकि वे अपने मरीजों को उनसे ऑक्सीजन दे सकें। गोरखपुर शहर के बिछिया निवासी जाहिद जिनकी बेटी खुशी की 11 अगस्त की शाम मौत हुई थी और खोराबार ब्लाक के बेलवार गांव के श्रीकिशुन गुप्त के 4 दिन के बेटे की मौत हुई, ने बताया कि उन्हें अम्बू बैग से अपने बच्चों को ऑक्सीजन देने के लिए कहा गया और वे पांच-पांच घंटे तक अम्बू बैग चलाते रहे। आम दिनों में अम्बू बैग का इस्तेमाल नहीं होता। आखिर ऑक्सीजन की कमी नहीं थी तो अम्बू बैग का इस्तेमाल क्यों हो रहा था। यह साबित करता है को करीब 24 घंटे तक कई वार्डों में ऑक्सीजन की आपुर्ति नहीं के बराबर थी और इस बारे में प्रशासन और सरकार झूठ बोल रहे हैं।
7-जाँच समिति ने पाया कि वार्ड संख्या 14 और इन्सेफेलाइटिस वार्ड के प्रथम तल वाले जनरल पीडिया वार्ड के ए सी खराब थे और मरीज गर्मी से बेहाल थे। यह स्थिति 13 अगस्त को हादसे के तीन दिन बाद की थी जब उसी दिन खुद मुख्यमंत्री वहां आने वाले थे। वार्ड नंबर 12 में गन्दा पानी घुस जा रहा था क्योंकि सफाई न होने से सीवर लाइन ओवर फ्लो कर रही थी।
8-जाँच समिति को पता चला कि ऑक्सीजन प्लांट को ऑपरेट करने वाले ऑपरेटरों ने मेडिकल कालेज के प्राचार्य व अन्य जिम्मेदारों को 10 अगस्त की सुबह 11.20 बजे प्लांट में ऑक्सीजन की उपलब्धता की रीडिंग लेने के बाद फौरन अवगत करा दिया था कि ऑक्सीजन की शार्टेज होने वाली है लेकिन इसके बावजूद वैकल्पिक इंतेजाम नहीं किये गए। मेडिकल कालेज की स्थिति के बारे में रोज रिपोर्ट लेने वाले कमिश्नर और डीएम ने भी इस मामले में सक्रियता नहीं दिखाई जिसके कारण बच्चों की मौत की बड़ी त्रासदी घटित हुई।
9-यदि 10 अगस्त की रात को ऑक्सीजन की कमी नहीं हुई तो 11 अगस्त की सुबह सशत्र सीमा बल ( एस एस बी ) के सेक्टर हेडक्वार्टर से क्यों वाहन और जवानों की मांग की गई और उसकी मदद से खलीलाबाद से ऑक्सीजन सिलेंडर मंगाए गए ।
10– जाँच समिति इस घटना की न्यायिक जांच को मांग करती है और मेडिकल कालेज के सभी रिकॉर्ड को तत्काल जब्त करने की मांग करती है क्योंकि ऑक्सीजन की कमी को छुपाने के लिए उसमें फेरबदल करने की सूचनाएँ मिल रही हैं
11-इस घटना के लिए मुझयमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, चिकित्सा शिक्षा मंत्री, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य, प्रमुख सचिव चिकित्स शिक्षा, गोरखपुर के कमिश्नर, डीएम, सीएमओ, मेडिकल कालेज के प्राचार्य सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं क्योंकि इन लोगों ने जरूरी बजट देने में देरी की और सभी जानकारी होने के बावजूद समय रहते कार्रवाई नहीं की। इन सभी लोगों को उनके पद से हटाते हुए इनके ऊपर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए।

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