साहित्य - संस्कृति

‘ भेाजपुरी की उपेक्षा अब असहनीय, आन्दोलन का रुख अपनाना होगा ‘

राष्ट्रीय  भोजपुरी जनचेतना अभियान की बैठक

लखनऊ, 8 नवम्बर। राष्ट्रीय  भोजपुरी जनचेतना अभियान की बैठक इन्दिरा नगर स्थित दयालविनायक के कार्यालय में हिन्दी भेाजपुरी साहित्यकार डा0 भगवान सिंह भाष्कर की अध्यक्षता में हुई। बैठक में भोजपुरी भाषा एवं संस्कृति के विकास हेतु चलाए जा रहे देशव्यापी भोजपुरी जनचेतना अभियान को सफल बनाने का संकल्प लिया गया।
बैठक में राष्ट्रीय  भोजपुरी जनचेतना अभियान के संयोजक डा0 जनार्दन सिंह ने बताया कि भोजपुरी भाषा के विकास हेतु भोजपुरी जनचेतना अभियान की शुरुआत लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जन्म दिन के पूर्व संध्या 10 अक्टूबर 16 को उनके गांव लाला टोला सिताब दियर छपरा से हुई थी। अभियान के तहत एक प्रतिनिधि मंडल क्रमिक मार्च करते हुए विभिन्न जनपदो से होते हुए दिल्ली पहुंचेगा। इस मौके पर जन्तर मंतर पर 23 अप्रैल 2017 वीर कुवर सिंह के जन्म दिन पर विशाल धरना-प्रदर्शन करेगा। इस प्रदर्शन के माध्यम से सरकार को भोजपुरी भाषा को आठवी अनुसूची में शामिल करने के लिए बाध्य किया जाएगा। उन्होने बताया कि अभी क्रमिक मार्च के क्रम में बिहार के छपरा, पूर्वी चमपारन, सीवान, गोपालगंज होते हुए देवरिया, बलिया, वाराणसी तक अभियान के साथी गांव-गांव जा कर बैठक के माध्यम से भेाजपुरी भाषा के उत्थान के लिए जनमत एकत्र किया जा रहा है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री को पोस्टकार्ड के माध्यम से भोजपुरी भाषा के विकास व अनसूची में शामिल करने के लिए मांग की जा रही है।
बैठक में भोजपुरी साहित्यकार व पत्रकार रामायण यादव ने बताया कि डेढ हजार साल पुरानी भोजपुरी भाषा विश्व की अन्य भाषओं की भांति एक समृद्ध भाषा है, इस भाषा को बोलने वाले देश के हर कोने में मौजूद है भारत के साथ साथ ये भाषा मारीशस, फिजी सूरीनाम व्रिटिस गुयाना, त्रिनिनाद व टोबैगो, नेपाल, सिंगापुर थाईलैण्ड आदि बीस देशों तथा 25 करोड़ लोगो की जुबान होने के बावजूद भी यह भाषा उपेक्षित व तिरष्कृत है । उत्तर प्रदेश सरकार ने भोजपुरी अकादमी की पहल तो की किन्तु यह केवल घोषणा मात्र बन कर रह गया। इस दशा में डा0 जनार्दन सिंह के नेतृत्व में भेाजपुरी जनचेतना अभियान आम जनमानस को जागरुक करने का एक सार्थक पहल है, जिसका स्वागत करना चाहिए।
इस मौके पर समाजसेवी सुश्री प्रीति राय ने कहा कि पिछले वर्ष डा0 जनार्दन के नेतृत्व में एक प्रतिधि मंडल उत्तर प्रदेश के राज्यपाल से इस भाषा को आठवी अनूसूची में शामिल करने सहित आठ सूत्रीय मांग पत्र सौपा था जिसपर आज तक पहल न होना दुर्भाग्य पूर्ण है। अंत में डा0 भगवान सिंह भाष्कर ने कहा कि भेाजपुरी भाषा की उपेक्षा अब असहनीय होता जा रहा है।  इसके लिए आन्दोलन का रुख अपनाना होगा।
बैठक में ओमप्रकाश यादव, अमरेश पाण्डेय, संजीत कुमार सिंह, शिवजी विश्वकर्मा, अनुप श्रीवास्तव, मनीष कुमार कुशवाहा, देवेन्द्र त्रिपाठी, शशांक सिंह, कुसुम लता सिंह, पत्रकार पीयूष पाण्डे, पूजा जोशी, जाकीर हुसैन, मुहममद तारीक, डा0 नाजीर हसन, आदि ने अपना विचार रखा।

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