साहित्य - संस्कृति

भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए अस्सी घाट पर सभा , हस्ताक्षर अभियान

वाराणसी, 26 सितम्बर । भोजपुरी के मान-सम्मान और उसे आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए रविवार की शाम अस्सी घाट पर जन भोजपुरी मंच व गंगा जगाओ अभियान के संयुक्त तत्वावधान मे हस्ताक्षर अभियान व सभा का आयोजन किया गया। इस दौरान युवा कवियों ने काव्य पाठ कर भोजपुरी के प्रति अपने लगाव और समर्पण को प्रदर्शित किया।

भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग को लेकर जन भोजपुरी मंच द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में काशी के अस्सी घाट पर हजारों भोजपुरी प्रेमियों ने हस्ताक्षर कर प्रधानमंत्री से कहा कि वह भोजपुरी के हृदयक्षेत्र काशी से सांसद हैं। इसलिए भोजपुरी को मान-सम्मान देने में कोताही क्यों ? सभा मे प्रो0 आफताब अफाकी ने भोजपुरी और उर्दू के अभिविन्यास संबंधों का हवाला देते हुए कहा कि भोजपुरी और गंगा के बिना काशी की परिकल्पना संभव नहीं। वहीं दीनबंधु तिवारी ने भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के पक्ष में तर्क रखे।

रामाज्ञा राय ने कविता के माध्यम से काशी की महत्ता और बाटी-चोखा के माध्यम से पाश्चात्य संस्कृति पर प्रहार किया। सभा मे वक्ताओं द्वारा काशी की महत्ता और भोजपुरी की विशेषता से लोगों को परिचित कराया गया। वक्ताओं ने प्रधानमंत्री से भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए पर्याप्त आधार होने के साथ ही इसकी लगातार उपेक्षा पर चिंता भी व्यक्त की।

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जन भोजपुरी मंच के संयोजक प्रो0 सदानंद शाही ने कहा कि भोजपुरी करोड़ो लोगों के हृदय की भाषा है। प्रधानमंत्री को इसकी उपेक्षा न कर उचित मान-सम्मान देते हुए आठवीं अनुसूची में अविलंब शामिल कर देना चाहिये। साथ हि उन्होने कहा कि मां गंगा ने प्रधानमंत्री जी को काशी मे बुलाया है तो अपनी भाषा भोजपुरी मे ही बुलाया होगा।काशी और गंगा के सम्मान के साथ इसकी मातृभाषा भोजपुरी भी तो जुड़ी है, तो भोजपुरी के साथ ऐसी अनदेखी क्यों ?

 जन भोजपुरी मंच लंबे समय से भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग करते हुए संर्घष करती रही है। भोजपुरी के लिये प्रधानमंत्री को एक करोड़ ट्वीट करने का अभियान देश के कई शहरों से लगातार जारी है। वहीं आज के कार्यक्रम के बाद हजारों लोगों द्वारा हस्ताक्षरयुक्त बैनर प्रधानमंत्री कार्यालय, वाराणसी के माध्यम से प्रधानमंत्री को प्रेषित किया जायेगा। आज के इस कार्यक्रम में मैथिली भाषी व उर्दू भाषी लोग भी शामिल रहे व भोजपुरी की माँग को जायज बताया। कार्यक्रम को सफल बनाने में गंगा जगाओ अभियान के निलय उपाध्याय, डाॅ0 अनिल कुमार सिंह, रामानंद तिवारी, डाॅ0 समीर पाठक, डाॅ0 सुभाष चंद्र यादव, डॉ0 अर्जुन तिवारी समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। सभा में तकरीबन 30 युवा कवियों ने काव्य पाठ किया, जिसमें अरमान आनंद, रत्नेष चंचल, विनय सिद्धार्थ, सौम्या झा, शिवम चौबे प्रमुख रूप से रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भोजपुरी लोक साहित्यकार पं0 हरिराम द्विवेदी ने कहा कि गंगा व भोजपुरी में अनोन्याश्रय संबंध है, इन्हें बचाकर ही हम अपनी संस्कृति को संरक्षित कर सकते हैं। कार्यक्रम का संचालन दीपा वर्मा और धन्यवाद ज्ञापन धीरज कुमार गुप्ता ने किया।⁠⁠⁠⁠

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