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राप्ती नदी में मिला सिसवां के डॉक्टर का शव

सिसवा बाजार (महराजगंज),15 जुलाई। मंगलवार से लापता सिसवा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के जनरल फिजिशियन डॉक्टर आशीष रंजन (35) का शव बृहस्पतिवार की देर शाम गोरखपुर के राजघाट स्थित राप्ती नदी से निकाला गया। डॉ आशीष कुछ दिनों से डिप्रेशन में थे। चिकित्सक के मौत की खबर सुनते ही सिसवा सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक व कर्मचारियों में शोक की लहर दौड़ गई।

मंगलवार को दिन में 11 :30 के करीब बुद्ध विहार पार्ट सी गोरखपुर स्थित अपने घर से डॉ आशीष रंजन यह कह कर निकले की छात्र संघ चौराहे पर किसी डॉक्टर के पास परामर्श लेने जा रहे है। परन्तु उस दिन से वह घर वापस लौट कर नही आये। परिजनों ने काफी खोज बीन के बाद कैंट थाने में बुधवार को गुमशुदगी का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज करने के बाद से ही डॉक्टर की लोकेशन सर्विलांस के आधार पर राजघाट पुल के पास पता चला जिसके बाद से ही तलाश जारी थी।11 जुलाई को ही ट्रांसपोर्ट नगर पुलिस चौकी ने बताया था कि पुल के पास एक लावारिश बाइक मिली थी जिसे परिजनों ने पहचान कर लिया और बताया कि वह बाइक डॉ आशीष रंजन की है।

पुलिस ने  बृहस्पतिवार की देर शाम राप्ती नदी से गोताखोरों की मदद से डॉक्टर आशीष रंजन शव को बरामद किया।

एमडी न कर पाने के कारण अवसाद में थे डॉक्टर आशीष

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर विगत दो वर्षों से तैनात डॉक्टर आशीष रंजन अपने चिकित्सकीय पेशे के साथ ही साथ जनरल फिजिशियन से पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री के पाने के लिए रात रात भर अपने कमरे पर पढ़ाई किया करते थे। डॉक्टर आशीष ने पोस्ट ग्रेजुएट की परीक्षा में पहली बार 2015 में शामिल हुए लेकिन सफलता उनके हाथ नही लगी और वे परीक्षा निकाल नही सके। लेकिन उन्होंने हार नही मानी और लगन व मेहनत जारी रखा। वे एक बार फिर 2016 में पोस्ट ग्रेजुएट परीक्षा में सम्मिलित हुए और उन्हें सफलता भी हाथ लगी लेकिन सीएमओ कार्यालय से एनओसी न लेने की वजह से उन्हें काउंसलिंग के समय अवकाश नही मिल सका जिससे वो पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री पाने से चूक गए। तभी से वह अवसाद में आ गए। उनके मन में टीस बन के रह गई कि वे अब कभी भी पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री नही प्राप्त कर सकेंगे।

सरल व मृदुभाषी थे डॉक्टर आशीष रंजन

सिसवा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात जनरल फिजिशियन डॉक्टर आशीष रंजन ने अपने सरल व मृदुभाषी स्वभाव की वजह से चकित्सकों, कर्मचारियों व मरीजों के बीच एक अलग छाप छोड़ रखा था।
मई 2014 में महराजगंज के परतावल सीएचसी से सिसवा सीएचसी पर स्थांतरित होकर आये डॉक्टर आशीष रंजन को मौजूदा सीएचसी व पीएचसी प्रभारी डॉक्टर सुमित कुमार महराज ने चिकित्सकों की कमी के कारण डॉक्टर आशीष को पीएचसी पर ही अटैच कर दिया। ठीक एक वर्ष के अपने कार्यकाल में डॉक्टर आशीष रंजन ने पीएचसी पर चिकित्सकों,कर्मचारियों व मरीजों के बीच अपनी एक अलग पहचान बना लिया था। आधे से उपर मरीजों की बीमारी तो इनके सरल व मधुर स्वभाव से ही संतुष्ट होकर ही ठीक हो जाती थी। लेकिन शासनादेश के बाद जून 2015 में इनका अटैचमेंट कैंसिल कर एक बार पुनः इन्हें सीएचसी पर तैनात कर दिया गया। तबसे इन्होंने सीएचसी पर अपनी एक अलग ख्याति स्थापित कर ली थी। लेकिन बृहस्पतिवार की देर शाम डॉक्टर आशीष रंजन के मौत की खबर आते ही पूरा हॉस्पिटल परिसर व नगर के लोगों में शोक की लहर दौड़ गई। जिसे लोग हमेशा अपने जेहन में ज़िंदा रखेंगे।यह खबर जैसे ही सिसवां के चिकित्सक व कर्मचारियों को पता चली पूरे परिसर में शोक की लहर दौड़ उठी। सीएचसी व पीएचसी परिसर में चिकित्सकों ने दो मिनट का मौन रखकर मृत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना किया। इस दौरान सीएचसी प्रभारी डॉक्टर केके झा, पीएचसी प्रभारी डॉक्टर ओमशिव मणि त्रिपाठी, डॉक्टर बालकेश्वर, फार्मासिस्ट उमेश चंद गुप्ता, अवधेश यादव, मुकेश गुप्ता, आयुष चिकित्सक डॉ. मनोज दूबे, डॉ. अतुल रंजन, डॉ. आशुतोष पटेल, डॉ.शिवानंद उपाध्याय, एलटी कमलेश सिंह, रमेश यादव, अविनाश सिंह, पिंटू मौर्या, कीर्ति तिवारी, अंजू राय, माधुरी राय आदि कर्मचारी उपस्थित रहे।

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