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विश्व पर्यावरण दिवस साईकिल रैली निकाली, शहर को हरा-भरा करने का संकल्प लिया

गोरखपुर , 5 जून। आज गोरखपुर एनवायरन्मेन्टल एक्शन ग्रुप, महानगर पर्यावरण मंच एवं यूथ स्ट्रेन्थ सोसाइटी के संयुक्त तत्वाधान में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर साईकिल रैली न्किकली गई और संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

साईकिल रैली को पंत पार्क से जिला वनाधिकारी डा0 जर्नादन शर्मा ने हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। रैली पन्त पार्क से होते हुए बजाज पार्क पर आ कर समाप्त हुई उसके बाद वहाॅ संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय -‘ गोरखपुर महानगर का हरा-भरा एवं खुला क्षेत्रः संरक्षण एवं नागरिक दायित्व ‘ था।

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संगोष्ठी  को सम्बोधित करते हुए जिला वनाधिकारी डा0 जर्नादन शर्मा ने कहा कि पार्क एवं खुला क्षेत्र किसी नगर में व्याप्त पर्यावरणीय प्रदूषण एवं अवांछित गैसों को सोखने के लिए अपरिहार्य होते हैं। पार्क, बाग-बगीचों तथा खुले क्षेत्रों के पेड़ पौधे नगर के वातावरण का शुद्ध करने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। ये जहां एक ओर स्वच्छ वायु प्रदान करते हैं वहीं ध्वनि प्रदूषण को रोकने तथा धूल को रोककर मानव एवं जीव-जन्तुओं को स्वास्थकर जीवन बिताने के लिए वातावरण प्रदान करते हैं। बढ़ती जनसंख्या के कारण नगरों में सर्वाधिक क्षति पार्कों, खुले क्षेत्रों, बाग-बगीचों, ताल-तलैयों आदि की हुई है जो नगर के फेफड़े कहे जाते हैं क्योंकि गंदी वायु को सोखकर स्वच्छ वायु हमें प्रदान करते हैं।

 

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गोरखपुर एनवायरन्मेन्टल एक्शन ग्रुप के अध्यक्ष डा0 शीराज़ वजीह ने कहा कि महानगर में 70 के दशक में छोटे-बड़े हरे-भरे कुल 66 पार्क के साथ-साथ शहर के कई इलाकों में अमरूद, पनियाला, शहतूत, आम आदि के बाग-बगीचे फैले हुए थे जिनका कुल क्षेत्रफल शहर का 7.3 प्रतिशत था आज इनका क्षेत्रफल बहुत तेजी से घटा है और अब यह घट कर मात्र 4.3 प्रतिशत रह गया है। यह शहर तालों का शहर कहा जाता था। इस शहर में स्वतंत्रता प्राप्ति के समय तक 103 ताल थे जो घट कर मात्र 18 रह गये हैं। उनका भी क्षेत्रफल क्रमशः बहुत घट गया है। ये ताल तलैये हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के एक प्रमुख भाग हैं। इतना ही नहीं हरित क्षेत्र के तेजी से घटने के कारण शहरी पर्यावरणीय प्रदूषण भी तीव्र गति से बढ़ा है।

महानगर पर्यावरण मंच के वरिष्ठ सदस्य राकेश श्रीवास्तव ने कहा कि गोरखपुर नगर में भी विकास के नाम पर पार्कों एवं सड़कों के किनारे खाली भूमि, काॅलोनियों, आवासीय क्षेत्रों, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों, कार्यालय के खुले क्षेत्र, बाग-बगीचे तथा पेड़-पौधे, शहर के सन्निकट स्थित जंगल आदि पर ग्रहण लग गया है। हम शहरवासी ही इन क्षेत्रों पर अवैध कब्जा कर इनकी हरियाली को समाप्त करने के साथ-साथ इनके क्षेत्र घटाते जा रहे हैं जो शहर के पर्यावरण के लिए अभिशाप है। इन सभी कारणों से आज नगर का पर्यावरण बहुत प्रदूषित हो चुका है। पूरे शहर में जहरीली गैसों विशेषकर कार्बन की मात्रा मानक 0.04 प्रतिशत से बहुत अधिक हो गयी है जो कि खतरनाक स्थिति में है। ध्वनि प्रदूषण जो दिन में आवासीय क्षेत्र में 55-45 डेसिबल होना चाहिए वह बढ़ कर 73.9 डेसिबल तक पहुंच चुका है जबकि शांत क्षेत्र में 50-40 डेसिबल के मानक के विपरीत यह 77.4 डेसिबल के आस-पास रिकार्ड किया गया है यह आश्चर्यजनक तो है ही लेकिन आंकड़ा किसी बड़ी चेतावनी का इशारा है। सड़कों के किनारे लगे घने वृक्ष ध्वनि प्रदूषण को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। इसीलिए जरूरत है कि ज्यादा से ज्यादा वृक्षों का रोपण किया जाये।

इस अवसर पर लोगों ने शहर की खाली भूमि, पार्क, बाग-बगीचों, ताल-तलैया पर अवैध कब्जा हटाकर या हटवाकर या हटाने के लिए प्रयास करने,  शहर के पार्कों एवं हरित क्षेत्रों को पुनर्जीवित करने,  पार्कों एवं खाली भूमि पर पेड़-पौधों को लगाने व्यक्तिगत खाली भूमि पर बागबानी के लिए लोगों को प्रेरित करने, सड़कों के किनारे, खुले स्थान, आवासीय, कार्यालय एवं व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के परिसरों में वृक्षारोपण करने, अपने मुहल्ले के पार्क को विकसित करने का संकल्प लिया।

कार्यक्रम के अन्त में बजाज पार्क में पौध रोपण भी किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डा0 सुमन सिन्हा, जितेन्द्र श्रीवास्तव, एजाज रिजवी, पी0के0लाहिड़ी, कनक हरि अग्रवाल, ए0के0जायसवाल,अतीक अहमद, के0एम0गोपीकृष्णन, जितेन्द्र द्विवेदी, के0के0सिंह, के0सी0पाण्डेय, आर0आर0यादव, विजय सिंह, अजय सिंह, अंजू पाण्डेय, अर्चना गौड़, नन्दू, अजय कुमार, अक्षय कुमार, गौतम गुप्ता आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

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