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समीक्षा अधिकारी 2014 की परीक्षा में सिसवा के विजय को प्रदेश में तीसरा स्थान

 सिंदूरिया के विवेक ने 42वां स्थान प्राप्त किया

सिसवा बाजार,महराजगंज। सिसवा नगर के प्रमुख पुस्तक व्यवसायी वेदप्रकाश तिवारी के पुत्र विजय प्रकाश तिवारी ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की समीक्षा अधिकारी 2014 की परीक्षा में प्रदेश की सूची में तीसरा स्थान प्राप्त कर सिसवा की माटी का मान बढ़ाया है। सिसवा क्षेत्र के लेखपाल सिन्दुरिया निवासी छैल बिहारी दूबे के पुत्र विवेक प्रकाश दूबे ने 42 वां स्थान प्राप्त कर जनपद का परचम लहराया है।
वेद प्रकाश तिवारी के तीन पुत्रों में दूसरे विजय प्रकाश तिवारी ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा चोखराज तुलस्यान सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टरमीडिएट कालेज से प्राप्त की। विजय ने चोखराज से वर्ष 2003 में हाईस्कूल तथा वर्ष 2005 में इण्टरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण किया। वर्ष 2008 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक और 2011 में परास्नातक की डिग्री लिया। और इसी विश्वविद्यालय से 2013 में पी एच डी करने के बाद विजय ने समीक्षा अधिकारी के लिये अपनी तैयारी शुरू की। 2 साल के अथक परिश्रम के पश्चात 2014 में परीक्षा के उपरान्त विजय को उसकी परिश्रम का फल मिला। सोमवार को समीक्षा अधिकारी 2014 के घोषित परिणाम में विजय के प्रदेश में तीसरा स्थान मिलते ही क्षेत्र में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी। विजय की  इस सफलता पर पिता वेदप्रकाश तिवारी, माता श्रीमती प्रियम्बदा तिवारी, बड़े भाई सत्यप्रकाश तिवारी, छोटे भाई आनन्द प्रकाश तिवारी ने हर्ष व्यक्त कर मिठाई बांटकर अपनी खुशी का इज़हार किया।

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इलाहाबाद से विजय ने फोन पर अपनी इस सफलता का श्रेय माता-पिता गुरुजनों को देते हुये कहा कि सच्ची मेहनत और लगन से की गयी परिश्रम का फल जरूर मिलता है।
इधर सिसवा क्षेत्र में लेखपाल पद पर तैनात सिन्दुरिया निवासी छैल बिहारी दूबे के पुत्र विवेक प्रकाश दूबे ने प्रदेश की सूची में 42वां स्थान प्राप्त किया है। विवेक की भी प्रारम्भिक शिक्षा चोखराज कालेज से हुई। यहाँ से 2008 में हाईस्कूल, 2010 में इण्टरमीडिएट करने के उपरान्त इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 2011 में बी कॉम तथा 2015 में विवेक ने एल एल बी किया। इसके बाद पी सी एस लोअर में विवेक का ऑडिटर पद पर चयन हुआ। विवेक ने वर्ष 2014 में समीक्षा अधिकारी का परीक्षा दिया था। जिसमें सोमवार को सांय घोषित परिणाम में विवेक ने 42वां स्थान प्राप्त कर जिले का मान बढ़ाया है। फोन पर विवेक ने अपनी इस सफलता का श्रेय माता-पिता व गुरुजनों को दिया।⁠⁠⁠⁠

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