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हाईकोर्ट ने नगर आयुक्त से पूछा -जमीन मिले तो कब तक बना देंगे गोरखपुर में माडर्न स्लाटर हाउस

याचिकाकार्ता मिर्जा दिलशाद बेग द्वारा प्रस्तावित जमीन पर नगर आयुक्त से राय देने को कहा

स्लाटर हाउस के तैयार होने तक मीट कारोबारियों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने के बारे में भी अदालत को हलफनामा देने को कहा

-अगली सुनवाई 29 को

सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर, 18 मई । गोरखपुर में 16 वर्ष बाद स्लॉटर हाउस खुलने की उम्मीद बनती दिख रही है। गुरुवार को हाईकोर्ट इलाहाबाद ने मीट कारोबारियों की तरफ से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए नगर आयुक्त को याचिकाकर्ताओं द्वारा स्लाटर हाउस के लिए प्रस्तावित भूमि के बारे में और स्लाटर हाउस को विकसित करने के समय के बारे में बताने को कहा है। हाईकोर्ट ने स्लाटर हाउस के तैयार होने तक मीट कारोबारियों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने के बारे में भी अदालत को बताने का निर्देश दिया है।

याचिकाकार्ता मिर्जा दिलशाद बेग के अधिवक्ता वीएम जैदी व एमजे अख्तर ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता मार्डन स्लॉटर हाउस के लिए उपयुक्त जमीन देने को तैयार हैं। जिस पर  हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दिलीप बी. भोंसले व जज यशवंत वर्मा ने याचिकाकर्ता को निर्देश  दिया कि वह  गोरखपुर नगर आयुक्त को 22 मई से पहले जमीन की डिटेल उपलब्ध करा दें। गोरखपुर नगर आयुक्त जमीन का निरीक्षण कर कोर्ट को शपथ पत्र के माध्यम से अवगत करायें कि उक्त जमीन  मार्डन स्लॉटर हाउस खोलने के लिए उपयुक्त हैं कि नहीं। अगर जमीन उपयुक्त हैं तो मार्डन स्लॉटर हाउस कितने दिनों में बन कर तैयार हो जायेगा। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि मार्डन स्लॉटर हाउस जब तक बनकर तैयार नहीं हो जायेगा तब तक नगर निगम मीट कारोबारियों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था कहा करेगी। अगली सुनवाई 29 मई को होगी।
याचिकाकर्ता मिर्जा दिलशाद बेग ने कहा कि हम लोग मार्डन स्लॉटर हाउस बनाने के लिए जमीन देने को तैयार है। इलाहीबाग, गीडा व नौसढ़ पर जमीन देखी ली गई हैं। इलाहीबाग बंधे के पास 78 डिस्मील जमीन देखी गई हैं। वहीं नौसढ़ पुलिस चौकी के निकट भी जमीन देखी गई हैं। दो जमीन के कागज आ गये हैं। शुक्रवार को गीडा के जमीन कागज भी आ जायेंगे। अगर नगर निगम का सहयोग रहा तो मार्डन स्लॉटर हाउस बनाने में पूरी मदद की जायेगी। वहीं अगर जमीन नगर आयुक्त को पसंद आ जाती हैं तो करीब 1 हफ्ते के अंदर मीट कारोबारियों के भरण पोषण के लिए वैकल्पिक व्यवस्था नगर निगम को करनी पड़ेगी।

राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद बड़ा जानवर ( भैंस)  काटने व उसका मीट बेचने पर पूरी तरह पाबंदी लगी हुई हैं। शहर में बूचड़खाने बंद हैं।  सारी कार्यवाहियां बड़ा जानवर (भैंस) काटने वालों पर हुई हैं। सरकार के फरमान के बाद बड़े जानवर के मीट कारोबारियों के हालत खराब हैं। मीट कारोबारियों की मानें तो उन्हें हर दिन लाखों का नुकसान हो रहा है। मीट कारोबारियों का कहना हैं कि पुश्तैनी धंधे पर रोक लगा कर प्रदेश सरकार हम लोगों के साथ नाइंसाफी कर रही हैं। स्लॉटर हाउस न बनाकर नगर निगम ने अपने दायित्व के प्रति संवेदनहीनता दिखायी है।

मीट कारोबारियों का कहना हैं कि सन् 2001 में जब स्लाटर हाउस बंद किया गया, तब हम लोगों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।उस समय हाई कोर्ट ने 3 सप्ताह के अंदर स्लॉटर हाउस बनवाने के लिए नगर निगम को आदेश दिया था। नगर निगम ने वैकल्पिक व्यवस्था शहर से 27 किलोमीटर दूर भटहट बाजार में अस्थाई स्लॉटर हाउस के रूप में दिया और मीट कारोबारियों से कहा कि जब तक वे वहाँ नहीं जाएंगे लाइसेंस नहीं दिया जाएगा।
वर्ष 2002  से आज तक बूचड़खानों के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं किया गया। नई सरकार ने बूचड़खानों पर रोक लगा दिया तो मीट कारोबारियों ने हाईकोर्ट में रिट दाखिल कर स्लॉटर हाउस खोलने की मांग की।
16 मई को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में रिट याचिका 15664/2017 दिलशाद अहमद व 12 अन्य बनाम राज्य व अन्य 06 आदि में याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता वीएम जैदी व एमजे अख्तर रिजवानुल्लाह कुरैशी उर्फ संजय ने पक्ष रखा था। उन्होंने कहा था कि 16 साल तक गोरखपुर शहर में न्यायालय के आदेश पर भी स्लॉटर हाउस का निर्माण नहीं कराया गया। मुख्य न्यायमूर्ति ने याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं की दलील पर गोरखपुर नगर आयुक्त को गुरुवार को तलब किया था।

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