जीएनएल स्पेशल

100 वर्ष में रामगढ़ ताल और उसका वेटलैंड 4 हजार हेक्टेयर से सिकुड़ कर 750 हेक्टेयर हुआ

एनजीटी में दायर याचिका में प्रो राधेमोहन मिश्र ने विस्तार में बयां किया है रामगढ़ ताल की व्यथा
ताल और इसके वेटलैंड को नुकसान पहुंचाने में जीडीए की बड़ी भूमिका
गोरखपुर, 11 अगस्त। अंधाधुंध स्थायी निर्माण और अतिक्रमण ने 100 वर्ष में रामगढ़ ताल और इसके वेटलैंड को 4 हजार हेक्टेयर से सिकोड़ कर 750 हेक्टेयर तक पहुंचा दिया। ताल और इसके वेटलैंड पर अतिक्रमण लोगों ने तो किया ही, गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने भी आवासीय और कामर्शियल निर्माण करा कर इस शानदार प्राकृतिक धरोहर को काफी नुकसान पहुंचाया।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में अपनी याचिका में पूर्व कुलपति प्रो राधे मोहन मिश्र ने विस्तार से रामगढ़ ताल और इसके वेटलैंड के साथ हुए छेड़छाड, अतिक्रमण की जानकारी दी है। 79 वर्षीय प्रो मिश्र की याचिका पर एनजीटी ने नौ अगस्त को उत्तर प्रदेश सरकार को रामगढ़ ताल के वेटलैंड के निर्धारित और वर्गीकृत करने और इसके दायरे में स्थायी निर्माण की अनुमति नहीं देने का आदेश दिया है।

Pr Radhemohan mishra
प्रो राधेमोहन मिश्र

प्रो मिश्र ने अपनी याचिका में कहा है कि रामगढ़ ताल राप्ती नदी की छाड़न है। वर्ष 1916-1917 में रामगढ़ ताल और इसका वेटलैंड 3990 हेक्टेयर था। इसके साक्ष्य के तौर पर उन्होंने सर्वे आफ इंडिया का 1916-17 का मैप भी दिया है। इस क्षेत्र में 780 हेक्टेयर वाटर बाडी, 45 हेक्टेयर आवासीय क्षेत्र, 76 हेक्टेयर सड़क, 169 हेक्टेयर छोटे पोखरे और 2967 हेक्टयेर कैजुअल क्रापलैंड था। ताल का वेटलैंड पश्चिम में दाउदपुर, दक्षिण में गोपालपुर, रूस्तमपुर तक था। वर्ष 1928 तक इसके पानी से मोहद्दीपुर के पास बिजली बनायी जाती थी। यह एक शानदार जैवविविधता वाला क्षेत्र था जिसमें सैकड़ों प्रजातियों की मछली, पक्षियां, कछुए, मेंढक, केकड़े, प्रान, सांप आदि पाए जाते थें। वर्ष 1980 में 40 प्रजातियों की मछली पाए जाने का जिक्र मिलता है।

IMG_20160811_134004
रामगढ़ ताल के पास बना सर्किट हाउस

याचिका में कहा गया है कि रामगढ़ ताल और उसके वेटलैंड पर पहला बड़ा अतिक्रमण 1954 में तब हुआ जब एनएच 28 का निर्माण हुआ। इसमें ताल के कैचमेंट एरिया की 470 हेक्टेयर भूमि चली गई।
फिर तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरबहादुर सिंह के ड्रीम प्रोजेक्ट रामगढ़ ताल परियोजना में ताल क्षेत्र की 500 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहीत की गई। मूल परियोजना में बुद्धिस्ट काम्पलेक्स, रिसर्च सेंटर, सर्किट हाउस, टूरिस्ट बंग्ला, एम्यूजमेंट पार्क, शापिंग सेंटर का ही निर्माण था लेकिन इस मूल परियोजना को एकदम से बदल दिया गया और इसमें तमाम आवासीय कालोनियां बना दी गई। मूल परियोजना में हाइवे से सटे हरित क्षेत्र विकसित करना था लेकिन इसमें भी आवासीय कालोनियां बनीं। वर्ष 1998 की बाढ़ के बाद तो इस क्षेत्र में आवासीय और व्यावसायिक निर्माण की बाढ़ आ गई। इससे झील का वेटलैंड पूरी तरह डैमेज हुआ।
आवासीय व व्यावसायिक निर्माण से ताल क्षेत्र में आबादी का दबाव बहुत बढ़ गया। पहले से पूरे शहर का गंदा पानी नालियों से होकर रामगढ़ ताल में गिर रहा था। गोरखपुर इन्वायरमेंटल एक्शन ग्रुप की रिपोर्ट के मुताबिक ताल क्षेत्र में रोज 800 क्विंटल कचरा डम्प हो रहा था। इससे रामगढ़ ताल की गहराई कम हुई और यह बुरी तरह प्रदूषित हो गया। इसका पानी जलीव जीव जंतुओं के लिए भी घातक हो गया। मछलियों की 40 प्रजातियों में से 22 विलुप्त हो गईं। अतिक्रमण से रामगढ़ ताल का वाटर बाडी भी 200 एकड़ कम हो गया।

IMG_20160811_134152
रामगढ़ ताल क्षेत्र में वर्तमान में हो रहा निर्माण कार्य

याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2010 में रामगढ़ ताल को राष्टीय झील संरक्षण योजना में लिया गया और करीब 200 करोड़ की लागत से ताल को साफ करने व सीवेज पम्पिंग स्टेशनद आदि बनाने का कार्य हो रहा है लेकिन इस योजना में भी रामगढ़ ताल और उसके वेटलैंड की उपेक्षा की गई। सीवेज पम्पिंग स्टेशन ताल के बाहर बनाने के बजाय ताल के अंदर बनाए गए जबकि इसी वर्ष वेटलैंड कन्जर्वेंशन एंड मैनेजमेंट रूल्स लागू किया गया था। इस नियम के अनुसार रामगढ़ ताल के वेटलैंड को निर्धारित करने का काम भी नहीं हुआ।

Related posts