स्वास्थ्य

क्लिपल फेली सिंड्रोम के मरीज अमित के पैरों की हुई सर्जरी

दस से ज्यादा बार सर्जरी के बाद सामान्य हो पायेगा अमित

अति दुर्लभ बीमारी है क्लिपल फेली सिंड्रोम

देवरिया ।  राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत चलाया जा रहा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके ) जटिल बीमारियों से जूझ रहे बाल रोगियों के लिए वरदान साबित हो रहा है। नौ साल का मासूम अमित दूबे, न चल सकता है न बैठ पाता है। उसके शरीर की सभी हड्डियां आपस में जुड़ गई हैं। फ्यूज हो चुकी हड्डियों के जोड़ों में कोई हरकत नहीं होती। इसकी वजह से मांसपेशियों का भी विकास ठप हो गया है। आरबीएसके टीम उसे चिन्हित कर बीआरडी मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंची तब जांच में पता चला कि वह अति दुर्लभ बीमारी क्लिपल फेली सिंड्रोम से ग्रसित है। चिकित्सकों ने अभी उसका एक ऑपरेशन किया है। आगे 10 से ज्यादा ऑपरेशन और होंगे।
जिले के बैतालपुर क्षेत्र के रामपुर दूबे गांव के अमित के पिता अरुण मजदूरी करते हैं। मां सुनीता गृहिणी हैं। अमित को यह बीमारी जन्म से है। उसकी उम्र जब दो साल थी तब उसे इलाज के लिए परिजन जयपुर ले गए। चिकित्सकों ने इलाज पर भारी खर्च बताया। गरीब परिवार रकम जुटा न सका। ऐसे में परिजनों ने अमित को उसकी नियति पर छोड़ दिया। दुर्लभ बीमारी से ग्रसित अमित गांव के ही प्राथमिक स्कूल में चौथी में पढ़ता है। वह पढ़ने में काफी होनहार है। डेढ़ साल पहले देवरिया की राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम को डॉ. अल्पना राव व डॉ. जमाल अहमद को यह मासूम स्कूल में मिला। टीम उसे देवरिया के जिला अस्पताल ले गयी , जहां से बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया।

अमित का चलेगा लम्बा इलाज

अमित के पिता अरुण दुबे ने बताया बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मासूम की कई चक्रों में जांच हुई। प्लास्टिक सर्जन डॉ. नीरज नाथानी की अगुआई में बालरोग विभाग और आर्थो विभाग के डॉक्टरों की टीम ने जांच की। तीनों विभाग की टीम ने माना कि मासूम क्लिपल फेली सिंड्रोम से पीड़ित है। चिकित्सकों ने बताया यह उनके जीवन में यह पहला केस है। जांच के दौरान डॉक्टरों ने पाया कि मासूम के सिर से लेकर पैर तक की हड्डियां आपस में जुड़ी हैं। गर्दन व पैर टेढ़े हैं। रीढ़ की हड्डी चिपक चुकी है। हाथ मुड़ नहीं पा रहे हैं। हड्डियों के टेढ़ा होने से मांसपेशियों का विकास भी नहीं हुआ। कंधे की मांसपेशियों से सिर की मांसपेशियां जुड़ गई हैं। इस बीमारी का असर मासूम के चेहरे के दायें हिस्से पर भी हुआ है। इलाज के लिए डॉक्टरों ने कई चक्र में ऑपरेशन करने की योजना बनाई है। पहला ऑपरेशन पैर की मांसपेशियों का हुआ। इसमें कई चक्र में ऑपरेशन होंगे। हड्डी रोग विशेषज्ञ भी जांच कर ऑपरेशन करेंगे। इलाज लंबा चलेगा।

गंभीर रोगों से पीड़ित बच्चों का होता है निशुल्क इलाज

योजना के डीईआईसी मैनेजर राकेश कुशवाहा ने बताया आरबीएसके के तहत गंभीर रोगों से पीड़ित बच्चों का निशुल्क इलाज कराया जाता है। अप्रैल 2019 से दिसंबर तक 91 गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चे सर्जरी के लिए चिन्हित किये गए और 37 बच्चों की सर्जरी की गई है। शेष 54 बच्चों की सर्जरी करने का कार्य प्रक्रिया में है।कोई गंभीर बीमारी की जैसे दिल में छेद, कटे-फटे होंठ या तालू जन्म से बहरे बच्चे या चलने में असमर्थ बच्चे को आरबीएसके टीम न केवल गांव में जाकर स्वास्थ्य जांच के दौरान खोज रही हैं बल्कि उनके माता-पिता को सही सलाह परामर्श देकर बच्चों का नि:शुल्क इलाज और आपरेशन भी करवा रही है। आपरेशन के बाद स्वस्थ हुए अपनी संतानों को देख माता-पिता व परिजनों के चेहरों पर खुशियों के आंसू झलझला जाते हैं। सभी के चेहरों पर मुस्कान आ रही है।

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