स्वास्थ्य

देवरिया के पोषण पुनर्वास केंद्र में 230 बच्चों को मिला नया जीवन

देवरिया। जिला अस्पताल में बने पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों को नया जीवन मिल रहा है. इस वार्ड में कुपोषित बच्चों को प्रारंभिक रुप से 14 दिन भर्ती कराकर उन्हें पोषणयुक्त आहार देकर डाक्टरों की टीम उनका इलाज करती है. अब तक यहां 230 बच्चों को नया जीवन मिल चुका है.

जिला अस्पताल में 2016 में पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) खोला गया था पर इसका संचालन 2017 से  शुरू हो सका. इस केंद्र में 2017 से जनवरी 2019 तक 230 बच्चे भर्ती हुए और स्वस्थ होकर घर लौटे. दस बेड वाले वातानुकूलित इस केंद्र में रोजाना कुपोषित बच्चे आते है.

केंद्र प्रभारी डॉ. आरके श्रीवास्तव ने बताया कि इस केंद्र में छह माह से पांच साल तक के कुपोषित बच्चे रखे जाते हैं. यहां शुरुआती दौर में 14 दिन रखकर बच्चों का इलाज व पोषक तत्वों से युक्त आहार दिया जाता है. इस दौरान भर्ती होने वाले बच्चों के लिए स्पेशल डाइट तैयार की जाती है. दूध, खिचड़ी, हलवा सहित कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन एवं वसा जैसे जरूरी पोषक तत्व दिया जाता है. यह भोजन शुरुआती दौर में बच्चे को दो-दो घंटे बाद दिया जाता है. यह प्रक्रिया रात में भी चलती है. इसके अलावा बच्चे के साथ आने वाली बच्चे की मां या अन्य परिजन को भोजन के अलावा पचास रुपये रोजाना भत्ता भी दिया जाता है. बच्चों के खेलने के लिए खिलौनों की पूरी व्यवस्था की गई है.

डॉ  श्रीवास्तव ने बताया कि इलाज कराकर गए बच्चों का परिजन द्वारा फालोअप के लिए लेके आने पर भी उनके भत्ता दिया जाता है. यदि वह 15 दिन में इलाज का अपडेट कराने आते है तो उन्हें 140 रुपये मिलते है. यह भत्ता उन्हें दो महीने तक मिलता है। केंद्र पर 8 कर्मचारियों की तैनाती है. चार स्टाफ नर्स ब्यूटी मिश्रा, शशि तिवारी, स्वेता चौहान, तृप्ति भारती व डाइटीशियन अनामिका मिश्रा, कुक बृजनारायण चौहान, केयर टेकर ओमप्रकाश, सफाईकर्मी फूलमती अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं और बच्चों की देखभाल करते हैं। इसके साथ ही विशेषज्ञ चिकित्सक भी आकर बच्चों को देखते हैं.

एनआरसी वार्ड में भर्ती 22 माह के आदर्श की माँ कुबेरवा निवासी कुसुम ने बताया कि आदर्श का वजन कम होने पर उसे यहां भर्ती किया गया. अब उसका वजन बढ़ रहा है. चुडिया नदौली निवासी मंजू ने बताया कि उसकी ढाई माह की बेटी गुड़िया का 3 किलोग्राम वजन होने पर यहां भर्ती कराया गया था लेकिन दस दिन में ही उसका एक किलो से ज्यादा वजन बढ़ गया. बगुआ निवासी मनोरमा की तीन साल की सोना पासवान अति कुपोषण की श्रेणी में थी, जिनको एनआरसी केंद्र में भर्ती कराया गया है.

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