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जिला महिला अस्पताल के एसएनसीयू में 19 महीने में 2404 नवजातों का हुआ इलाज

प्री-मैच्योर, हाइपोथर्मिया, कम वजन समेत 24 लक्षणों वाले बच्चों को दी जाती है यह सुविधा

गोरखपुर. जिला महिला अस्पताल में मई 2018 से संचालित सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) मई 2018 से लेकर अब तक 2404 नवजातों की जान बचा चुका है।

प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आनंद प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि इस यूनिट में 24 घंटे आक्सीजन सिलेंडर की उपलब्धता रहती है। यहां पर प्री-मैच्योर, हाइपोथर्मिया, कम वजन समेत 24 बीमारियों के लक्षणों वाले नवजातों को भर्ती कर इलाज व देखभाल की जाती है। स्वस्थ होने के बाद ही नवजात डिस्चार्ज किये जाते हैं।

प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक का कहना है कि 18 बेड के एसएनसीयू में प्रति माह औसतन 139 नवजात बच्चे भर्ती कर स्वस्थ होने तक रखे जाते हैं। इन बच्चों को आक्सीजन देने के लिए प्रति माह औसत तौर पर 40-45 आक्सीजन सिलेंडर इस्तेमाल किये जा रहे हैं। चिकित्सालय में न्यू बोर्न केयर यूनिट (एनआईसीयू) की सुविधा फिलहाल नहीं है, लेकिन एसएनसीयू इस कमी को पूरा कर रहा है।

पॉली ब्लॉक की वंदना यादव को 03 फरवरी को बच्चा हुआ था। बच्चे का वजन काफी कम था। चिकित्सकों ने उन्हें जिला महिला अस्पताल ले जाने की सलाह दी। वंदना का नवजात अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती कराया गया है। वह यहां की व्यवस्था से संतुष्ट हैं। उनका कहना है कि नवजात का वजन बढ़ने के बाद अस्पताल से डिस्चार्च करने को कहा गया है। चिकित्सक यहां राउंड लगाने आते हैं और बच्चे की नियमित जांच की जाती है।

शहर के देवनाथपुर की रहने वाली मानसी का बच्चा जिला महिला अस्पताल में ही पैदा हुआ है। उनका कहना है कि बच्चा काफी कमजोर था, इसलिये चिकित्सकों ने एसएनसीयू में भर्ती करने का सुझाव दिया। उनके बच्चे की यहां नियमित देखभाल हो रही है। स्टॉफ सहयोगी प्रवृत्ति का है।

इन बच्चों को रखते हैं एसएनसीयू में

प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि 34 सप्ताह से पहले पैदा, 1800 ग्राम से कम वजन, 4 किलो वाले या 40 सप्ताह में पैदा बच्चों के लिए एसएनसीयू की सुविधा अनिवार्य है। इसके अलावा पेरीनेंटल एफीक्सिया, नियोनेटल जुआंडिस, रेस्प्रेटरी डिस्ट्रेस, रेफ्यूजल टू फीड, सेंट्रल क्यूनोसिस, एप्निया या गैस्पिंग, नियोनेटल कंवल्सन, बेबी ऑफ डायबिटिक मदर, डायरिया समेत 24 स्थितियों में नवजात को यहां रख कर इलाज देते हैं।

क्या है एसएनसीयू

एसएनसीयू नवजातों को समर्पित यूनिट होती है। जन्म लेने से 28 दिन तक बच्चे को नवजात माना जाता है। जन्म के तुरंत बाद अगर बच्चे में कोई भी स्वास्थ्य संबंधित दिक्कत है तो उसे भर्ती कर लिया जाता है। नवजात तब तक चिकित्सक व स्टॉफ की देखभाल में रहता है जब तक कि वह स्वस्थ न हो जाए।

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