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आदिवासी-वनवासी समाज की महिलाओं ने देखा पोषण पुनर्वास केंद्र

बहराईच। दो दशक से बहराईच समेत कई पिछडे जिले में बच्चों के अधिकारों को लेकर काम कर रही स्वैच्छिक संस्था- डेवलपमेन्टल एसोसिएश फार ह्यूमन एडवान्समेन्ट (देहात) द्वारा बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिये आगामी 4 वर्षों के लिये “ सुपोषण परियोजना ” की शुरुआत की गयी है।

उक्त परियोजना में बहराईच जिले के सर्वाधिक कुपोषण ग्रस्त मिहींपुरवा विकास खण्ड के आदिवासी एवं वनवासी बाहुल्य आबादी वाले 21 गांवों के 2590 कुपोषण एवं एनीमिया ग्रस्त परिवारों को अगले 4 वर्ष में कुपोषण से मुक्त किये जाने के लिये क्रम बद्ध एवं सुनियोजित गतिविधियों का क्रियान्वयन किया जायेगा।

प्रयासों के इसी क्रम में आज आदिवासी-वनवासी समुदाय की 16 नेतृत्वकर्ता महिलाओं का एक दल संस्था के परियोजना समन्वयक रमाकान्त पासवान के समन्वयन में बहराईच स्थित राजकीय मेडिकल कालेज के पोषण पुनर्वास केन्द्र में शैक्षिक भ्रमण हेतु पहुंचा। दल की महिलाओं ने यहां पहले से भर्ती कुपोषित बच्चों और उनकी माताओं से बातचीत करने उनके कुपोषित होने से लेकर पोषण पुनर्वास की वर्तमान स्थिति तक की प्रक्रिया को जाना समझा।

पोषण पुनर्वास केन्द्र की डायटीशियन भाग्यश्री, स्टाफ नर्स नीलम एवं एस0 एन0 सिंह एवं केयर टेकर नेहा सिंह ने पोषण पुनर्वास केन्द्र की गतिविधियां की जानकारी दी और उन्हें कुपोषित बच्चों के चिन्हांकन एवं उनके पोषण पुनर्वास केन्द्र तक रेफरल के लिये प्रशिक्षित किया।

देहात संस्था के संस्थापक व मुख्य कार्यकारी जितेन्द्र चतुर्वेदी ने बताया कि गम्भीर कुपोषित बच्चों का जीवन बचाना आसान नहीं और इस सम्बन्ध में सरकारी प्रयासों के बारे में भी दूर-दराज़ के क्षेत्रों में समुदायों को पर्याप्त जानकारी नहीं है। देहात संस्था इस दिशा में कुपोषण के खात्मे के लिये समुदाय में नेतृत्व क्षमता विकसित कर रही है जो इस दिशा में कुपोषण ग्रस्त गांवों के लिये मील का पत्थर साबित होगा।

दल में देहात संस्था की ओर से ललिता, गीताप्रसाद जबकि समुदायिक संगठनों के नेतृत्वकर्ताओं में बाजपुर बनकटी, मंगलपुरवा, जयश्री पुरवा, कारीकोट, भट्ठा बरगदहा, लोहरा, फकीरपुरी, रमपुरवा, बर्दिया, आम्बा, विशुनापुर आदि गांवों की महिलाएं शामिल रहीं।

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