साहित्य - संस्कृति

लंबे संघर्ष के बाद अबूजर को मिला बालीवुड में बड़ा मुकाम

18 जनवरी को रिलीज होने जा रही ‘ लिटिल ब्वाय ‘ फिल्म में दिया है संगीत
1994 में मषहूर गायक मोहम्मद अजीज के लिए ‘ जन्नत  का दरवाजा ‘ एलबम से शुरू किया था अपना फिल्मी कैरियर

हाशिम रिजवी

डुमरियागंज। हल्लौर की मिट्टी से निकलकर मायानगरी मुम्बई में अपने नाम का डंका बजाने वाले गीतकार खुर्शीद हल्लौरी, अभिनेता अकबर रिजवी के बाद अब बतौर संगीतकार अबूजर रिजवी ने हल्लौर का ही नहीं बल्कि बुद्धनगरी का गौरव बढ़ाया है। अबूजर द्वारा तैयार किए गए संगीत से सजी फिल्म ‘ लिटिल ब्वाय ‘ 18 जनवरी को रिलीज होने वाली है. इस फिल्म का एक सप्ताह पहले रिलीज हुआ गाना ‘  मुरादों से मिलें हो ‘ ,’ अलविदा-अलविदा ‘  की धुन पर हर कोई झूम रहा है।

इससे पहले अबूजर ने ‘ हमसे है जहां ‘ का सुपरहिट गीत ‘ मरहबा ‘ का संगीत दे चुके हैं. डुमरियागंज तहसील क्षेत्र के हल्लौर निवासी अबूजर रिजवी सन 1992 में अपने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1993 में मुम्बई गए। वहां पर उनका रूझान फिल्मों में बतौर हीरो के बजाय संगीतकार के रूप में हुआ।उन्हें लोगों ने सुझाव दिया कि वे संगीत की शिक्षा हासिल करें। इसके बाद उन्होंने 1994 में  कानपुर में गुरू रामस्वरूप से संगीत की शिक्षा ली।

इसके बाद वे अपनी किस्मत अजमाने के लिए पुनः मुम्बई आ गए जहां पर उन्हें 1995 में मशहूर गायक मोहम्मद अजीज के एलबम ‘ जन्नत का दरवाजा ‘ के लिए संगीत देने का अवसर मिला। यह एलबम हालांकि ज्यादा चर्चित नहीं हुआ। लेकिन उनके संगीत की चर्चा जरूर हुई। जिसकेे बाद उन्होंने कमाल अमरोही प्रोडक्शन की फिल्म ‘ हमसे हैं जहां ‘ की गीतों के लिए संगीत दिया। उनके संगीत से सजे गीतों को अदनान शामी व सुनिधि चौहान ने स्वर दिया। इसका गीत ‘मरहबा‘ काफी हिट रहा जिससे उनका हौसला और बुलंद होता गया.

इसके बाद उन्होंने फिल्म जय-जय सुन्दर कांड में गायक जगदीश सिंह के लिए संगीत तैयार किया। फिल्म के गीत चर्चा में रहे। अबूजर हाॅलीवुड की फिल्म रिर्टन फ्राम इण्डिया व चार मराठी, एक कन्नड व एक गुजराती व मदरासी फिल्मों में संगीत दे चुके हैं। इसके अलावा उनका संगीत मशहूर म्यूजिक कंपनी बीनस टी सिरीज व नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कार्पोरेशन की फिल्म ‘ क्यों नहीं ‘ में भी संगीत शामिल हो चुका है।

उनके संगीत की चर्चा आगामी 18 जनवरी 2019 को रिलीज होने वाली फिल्म लिटिल ब्वाय को लेकर है। जिसके निर्माता एमलम अजूंग व सिराज हैनरी निर्देषक हैं और फिल्म में नायक येजु योगेन्द्र सिंह व रश्मि मिश्रा व नागालैण्ड की नायिका रोज लांगचर है जिसका गीत ‘ मुरादों से मिले हो तुमको ‘ सिंगर एस किंग ने स्वर दिया है। वहीं अलविदा-अलविदा गीत भी काफी चर्चा में है जिसे मशहूर गायक सोनू निगम ने गाया है। इसके गीतकार अराफात महमूद हैं।

मंगलवार को हल्लौर में एक निजी कार्यक्रम में शामिल होने आए अबूजर ने बताया कि उन्हें हाकी का खेल पसंद है। समय मिलने पर वे हाकी जरूर खेलते हैं। उनके पिता कम्बर अहमद रिजवी आगरा यूर्निवसिटी में भूगोल के प्रोफेसर थे। जिससे उन्हें उच्च शिक्षा हासिल हुई। अबूजर ने कहा कि लिटिल ब्वाय के गीत काफी अच्छे हैं, जो अभी से ही हिट हो चुके हैं। फिल्म भी जरूर सुपरहिट होगी।

इन्होने भी वालीबुड में अपना नाम किया है रोशन

हल्लौर की मिट्टी से निकलकर गीतकार खुर्शीद हल्लौरी ने फिल्म ‘ परिंदा ‘ के जरिए अपनी प्रतिभा का प्रदर्षन करके हल्लौर का नाम पूरी दुनियां में रोशन किया. खुर्शीद ने गहरा प्यार, मार्केट जैसी हिट फिल्मों  में गीत लिखे है तो वहीं अकबर रिजवी ने बतौर सह अभिनेता हैलो बद्रर, प्यार तो होना ही था, फिर भी है दिल है हिन्दुस्तानी, गार्ड एण्ड गन सहित कई धारावाहिको में भी अभिनय कर लोगों को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। हल्लौर के ही खुर्शीद जफर रिजवी ने सूर्यवंशी के सह निर्देशक काम कर हल्लौर को वालीबुड में पहचान दी। मशहूर म्यूजिक कैसेट कंपनी अल्ट्रा में कर्मी के तौर पर आफताब रिजवी ने भी हल्लौर का नाम मायानगरी में मशहूर किया है।

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