साहित्य - संस्कृति

‘ परों को खोल जमाना उड़ान देखता है, जमीं पर बैठ के क्या आसमां देखता है ’

इस्लामियां इण्टर कॉलेज बक्शीपुर में ऑल इंडिया मुशायरा व कवि सम्मेलन

गोरखपुर। मियां साहब इस्लामियां इण्टर कॉलेज बक्शीपुर के मैदान पर ऑल इंडिया मुशायरा एवं कवि सम्मेलन रविवार को हुआ। स्टार चैरिटेबिल ट्रस्ट की ओर से हुआ पांचवा सैयद मजहर अली शाह मेमोरियल मुशायरा गीतकार गोपाल दास नीरज को समर्पित रहा। संचालन डा. कलीम कैसर ने किया।

शायरा सबा बलरामपुरी स्टेज पर आयीं तो तालियों की गड़गडाहट सुनने को मिली। सबा ने अपने अंदाज में अपने लोकप्रिय शेर ‘दौलत के जो नशे में यहां चूर हो गये,  वो लोग दुनिया से बहुत दूर हो गये, दुनिया हमारे नाम को पहचानती नहीं हम तो तुम्हारे नाम से मशहूर गये’ को पेश कर हर किसी को खुश कर दिया। फिल्मी दुनिया में अपने गीतों से पहचान बनाने वाले शायर-गीतकार शकील आजमी ने अपने जोरदार इस्तकबाल के बाद ‘परों को खोल जमाना उड़ान देखता है, जमीं पर बैठ के क्या आसमां देखता है’ शेर को पेश कर हर किसी को उड़ान भरते रहने की हिदायत दी।

मशहूर शायरा शबीना अदीब ने ‘जो खानदानी रईस है वो मिजाज रखते हैं नर्म अपना, तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई-नई है, जरा सा कुदरत ने क्यां नवाजा के आके बैठे हो पहली सफ में, अभी क्यो उड़ने लगे हवा में अभी तो शोहरत नई-नई है’  गजल को पेश कर सुनने वालों के दिलों को गहराई तक छू लिया। शायर ताहिर फराज ने ‘बांध रखा है जहन में जो ख्याल, उसमें तरमीम क्यों नहीं करते, बेसबब उलझनों में रहते हो मुझको तसलीम क्यों नहीं करते’ शेर को पेश कर अपनी मौजदगी का अहसास कराया।

गजल और नज्म की फेहरिस्त को सुर्खरू रंग देते हुए नैनीताल से आयीं शायरा नाजिया सहरी ने ‘हमने वफा की हर रस्म निभ्रायी है, गम भी उठाये हैं चोटे भी खायीं हैं’, राम प्रकाश बेखुद ने ’ हम आये बाई जानिब से, तुम आओ दायीं जानिब से, हिन्दी उर्दू की तरह मिल जाये कोई ताकत हमें अलग ही नहीं कर सकती’,  शाद देवरयाबी ने ‘मेरी होने को हर रिश्तें को चाकू मार देती है, वो अपनी जिंदगी के सारे पहलू मार देती है’, डा. चारूशीला सिंह ने ‘अब बात इश्क-विश्क की करता नहीं कोई, सब नौजवान लगता है मी-टू से डर गये’,  वैशाली शुक्ला ने ‘प्रेम की राह में कुछ ख्वाब सलौने देना, रात बाकी है अभी मुझको सोने न देना’ जैसे कलाम को पेश कर मुशायरे को परवान चढ़ाया।

मुशायरे में अज्म शाकिरी, हाशिम फिरोजाबादी, परवेज अशरफ, नदीमउल्लाह अब्बासी नदीम, आचार्य मुकेश,  सुनील कुमार तंग, अरशी बस्तवी, अजय अटल, विकास बौखल ने भी अपने कलाम पेश किये। मुशायरे में  शायर शकील फराज, डा. कलीम कैसर, हांगकांग से मुशायरा सुनने आये डेविड निकोडी, बीआर विप्लवी, सरदार जसपाल सिंह को साहित्य जगत में योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

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