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‘ रहमते आलम जलसा ‘ में शादियों में दहेज न लेने की अपील

गोरखपुर। गुलशने रज़ा कमेटी की ओर से शनिवार को लतीफ़नगर कालोनी, पादरी बाज़ार में चौथा सालाना ‘रहमते आलम जलसा’ अदब व एहतराम के साथ संपन्न हुआ।

जलसे के मुख्य अतिथि देवरिया के मौलाना अज़हरुल क़ादरी ने मुसलमानों से अपील किया कि पैगंबर-ए-आज़म के बताये रास्ते पर चलिए। मस्जिदों को अपने सज़दों से आबाद कीजिए। बुराई, नशा, फिजूल बातों से दूरी अख्तियार कीजिए। पैगंबर-ए-आज़म की तालीमात पर अमल करके दुनिया वालों के लिए बेहतरीन नमूना बनिए। जिन कामों से पैगंबर-ए-आज़म ने मना किया है उससे दूर रहिए। वह काम कीजिए जिसे पैगंबर-ए-आज़म ने पसंद फरमाया है। दीन-ए-इस्लाम का कानून, पैगंबर-ए-आज़म की शिक्षा व इस्लामी जीवन शैली के जरिए ही दुनिया में खुशहाली व अमन मुमकिन है। शादियों में दहेज लेना-देना बंद कीजिए। नौजवान बुरे कामों से दूरी अख्तियार करें, सब के लिए रहमत बनें।

अध्यक्षता करते हुए गुलाम खैरुल बशर ने कहा कि पैगंबर-ए-आज़म हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की सुन्नतों के मुताबिक अपनी लाइफ स्टाइल बदलिए, आपका खाना-पीना, सोना, उठना, बैठना, चलना, पहनना आदि सब इबादत में गिना जायेगा। मुसलमानों को चाहिए की पैगंबर-ए-आज़म की सुन्नतों को अमली तौर पर जिंदगी में अपनाएं। मुसलमानों को पैगंबर-ए-आज़म की सुन्नत पर अमल करते हुए एकजुट होकर रहना चाहिए। आपस में किसी तरह का भेदभाव नहीं करना चाहिए।

मौलाना कमरुज़्ज़मा अलीमी ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम में माह-ए-रबीउल अव्वल खुशियों भरा एक यादगार मुबारक महीना है। खुशियों के इस मुबारक महीने में अल्लाह ने अपने महबूब पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को दुनिया में अपना आखिरी पैगंबर, मालिको मुख्तार व गैब (छुपी बातों) का इल्म देकर भेजा, साथ ही दीन-ए-इस्लाम की पाक व सबसे अफजल किताब कुरआन-ए-पाक उन्हीं पर नाजिल फरमायी और उसी से दुनिया भर के लोगों को अच्छाई और बुराई के साथ इंसानियत व भाईचारे की पहचान हुई।

नात शरीफ मुमताज कादरी टांडवीं, इकबाल फैजी व मौलाना गुलाम जिलानी ने पेश की। संचालन मौलाना रज्ज़ब अली ने किया। अंत में सलातो-सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो चैन व खुशहाली की दुआ मांगी गई। अकीदतमंदों ने लंगरे हुसैनी भी खाया। इस मौके पर नईम अरशद, इकबाल वारसी सोनू, अनवर, सलीम, आरिफ हाशमी, शेरु, आफताब, सोहेल, पप्पू, डा. जैदी, शहजादे, मुख्तार, सलमान, मो. नईम, कासिम, मुख्तार, इकरार अहमद, अब्दुल्लाह, हाजी कलीम फरजंद, कय्यूम, राजा, आफताब सिद्दीकी, मुन्ना अली सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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