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अर्थी बाबा की आत्माओं ने भी ईवीएम में गड़बड़ी होता देखा

चौरीचौरा से चुनाव लड़े अर्थी बाबा ने चुनाव को ईवीएम घोटाला करार दिया

जल सत्याग्रह करने के बाद जंतर मंतर पर अनशन की तैयारी
गोरखपुर, 16 मार्च। ईवीएम टेम्परिंग का सवाल उठाने वालों में अब अर्थी बाबा भी शामिल हो गए हैं। चौरीचौरा  विधानसभा से चुनाव लड़े अर्थी बाबा ने विधानसभा चुनाव को ईवीएम घोटाला करार दिया है। अर्थी बाबा का कहना है कि उन्होंने आत्महत्या करने वाले किसानों की आत्माओं को पोलिंग एजेंट बनाया था और आत्माओं ने साफ तौर पर देखा कि ईवीएम में किसी को वोट दो लेकिन वोट भाजपा में ही जा रहा था।
अर्थी बाबा को 383 मत मिले थे।
अर्थी बाबा ने कहा कि चुनाव में ईवीएम घोटाला कर ईवीएम का जनाजा निकाला गया है। इस जनाजे को लेकर उन्होंने राजघाट पर राप्ती नदी पर 15 मार्च को एक दिन का जल सत्याग्रह किया।
अर्थी बाबा ने कहा- उनके पोलिंग एजेंट आत्महत्या करने वाले किसानों के भूत-प्रेत व आत्माएं थीं। ये आत्माएं पूरे प्रदेश के पोलिंग बूथों का दौरा कर रही थी। आत्माओं ने देखा कि ईवीएम में गड़बड़ी हो रही है। वोट किसी को दो, वोट कमल के फूल पर ही जा रहा था। हमारी आत्माएं गड़बड़ी रोकने में इसलिए असमर्थ थीं क्योंकि उनको इलेक्टानिक मशीन से शार्ट सर्किट से भस्म होने का खतरा था। हम ईवीएम में गड़बड़ी के खिलाफ आज सत्याग्रह कर रहे हैं। यदि ईवीएम घोटाले की जांच नहीं हुई और आने वाले चुनाव बैलट पेपर से नहीं कराए गए तो हम जंतर मंतर पर अनशन करेंगे और लोकतंत्र की हत्या करने वालों को पर्दाफाश करेंगें।

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कौन हैं अर्थी बाबा

अर्थी बाबा का नाम राजन यादव है और एमबीए हैं। कुछ वर्षों से वह अर्थी पर ही चलते हैं जिसके कारण लोग उन्हें अर्थी बाबा कहने लगे। उनका ठिकाना राजघाट स्थित राप्ती नदी का तट है और वह वही पाए जाते हैं। उनका सत्याग्रह, प्रेस कान्फ्रेस वहीं होता है। अपने अजीबोगरीब कार्यों से मीडिया की सुर्खी में रहते हैं।
इस बार वह चौरीचौरा से चुनाव लड़े। नामांकन करने भी अर्थी पर आए। उनका चुनावी नारा था राम नाम सत्य है। दफ्तर का पता श्मशान घाट था। उनका कहना था कि उनके कार्यकर्ता भूत-प्रेत हैं। उन्हें बालीवुड अभिनेता राजपाल यादव की पार्टी सर्व संभाव पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था। सर्व संभाव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभिनेता राजपाल यादव के भाई श्रीपाल यादव हैं। इससे पहले वह कई बार निर्दलीय चुनाव लड़ चुके थे।
राजन यादव का कहना है कि एमबीए करने के दौरान उन्होंने सीखा कि लोगों का ध्यान कैसे आकर्षित किया जाता है। वह मानते हैं कि अर्थी पर सवार होकर प्रचार करने में कुछ गलत नहीं है। उन्होंने कहा था कि यदि वह चुनाव जीते तो विधायक निधि का बड़ा हिस्सा गरीब गन्ना किसानों देंगे। चुनाव तो नहीं जीते लेकिन अब उन्हें आंदोलन का एक नया मुद्दा जरूर मिल गया है।

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