चन्द्रशेखर आजाद रावण को रिहा करने, दिलीप सरोज के परिजनों को 50 लाख मुआवजा, पदोन्नति में आरक्षण बहाल करने, सच्चर कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की मांग उठाई
गोरखपुर, 26 फरवरी। रविवार को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग पर बढ़ते अत्याचार के खिलाफ अम्बेडकरवादी जागरण मंच ने बशारतपुर से अम्बेडकर चौराहे तक जुलूस निकाला और प्रदर्शन-सभा कर 18 सूत्रीय मांग पत्र जिला प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री, यूपी के राज्यपाल और एससी आयोग, एसटी आयोग, महिला आयोग को दिया।
ज्ञापन में भीम आर्मी के संस्थापक चन्द्रशेख्र रावण को रिहा करने, पदोन्नति में आरक्षण को बहाल करने और इस सम्बन्ध में लोकसभा में लम्बित आरक्षण बिल को पास करने, पदावनत कर्मचारियों को पुनः उनके मूल पद पर बहाल करने, सच्चर कमेटी की सिफारिशों को लागू करने, देश में एक समान शिक्षा नीति लागू करने, दलित छात्र दिलीप सरोज की हत्या करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने और उसके परिजनों को 50 लाख मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने, भीमा कोरेगांव में दलितों पर हमला करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने, जनसंख्या के हिसाब से दलितों के आरक्षण का कोटा बढाने, पिछड़ा वर्ग को भी पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देने, दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों पर अत्याचार रोकने व एससी-एसटी एक्ट को सख्ती से लागू करने की मांग की गई है।
झंडा-बैनर व लाउडस्पीकर हटाने को लेकर अम्बेडकर चौराहे पर प्रदर्शनकारियों की पुलिस से बहस भी हुई। मंच ने प्रदर्शन की अनुमति पहले से ले रखी थी लेकिन पुलिस का कहना था कि प्रदर्शन में झंडा-बैनर व लाउडस्पीकर की अनुमति नहीं है।
अम्बेडकरवादी जागरण मंच की रैली बशारतपुर के विष्णुपुरम से शुरू हुई जो असुरन, धर्मशाला पुल, काली मंदिर, गोलघर होते हुए अम्बेडकर चौक पर समाप्त हुई। रैली का नाम ‘ आरक्षण बचाओ, दलित सम्मान बचाओ, संविधान बचाओ ’ दिया गया था। रैली में दलित छात्र दिलीप कुमार सरोज के हत्यारों पर कड़ी कार्रवाई करने, भीम आर्मी के संस्थापक चन्दशेखर रावण को अविलम्ब रिहा करने, पदोन्नति में आरक्षण बहाल करने, दलिजों-अल्पसंख्यकों पर हिंसा रोकने सम्बन्धित नारे लगा रहे थे।
अम्बडेकर चौक पर दिलीप कुमार सरोज को श्रद्धांजलि देने के बाद सभा शुरू हुई। सभा को सम्बोधित करते हुए मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष चन्द्रशेखर ने कहा कि आज जितना अन्याय और अत्याचार अनुसूचित जातिए जनजाति, कमजोर वर्ग और अल्पसंख्यक वर्गों के ऊपर हो रहा है उतना अंग्रेजों के समय में भी नहीं हुआ था। उन्होंने महाराष्ट्रा के भीमा कोरेगांव, सहारनपुर दंगा, गुजरात का ऊना गांव कांड, इलाहाबाद में दिलीप कुमार सरोज की हत्या सहित अन्य घटनाओं का जिक्र किया और कहा कि मजलूमों की हत्याएं हो रही है। प्रदेश सरकारों द्वारा संविधान के अनुरूप कार्यवाही नहीं किए जाने के कारण पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है। इससे साथ ही अपराधियों के हौसले भी बढ़ते जा रहे हैं। आज मजलूमों को मजबूर होकर सड़कों पर उतरना पड़ रहा है।
उन्होंने इस बात पर भी आक्रोश व्यक्त किया कि अनुसूचित जाति व जनजाति के विधायक और सांसद अपने समाज के उत्पीड़न के खिलाफ चुप हैं। उन्होंने कि अम्बडेकर की सोच थी कि आरक्षित सीटों से निर्वाचित विधायक व सांसद अपने समाज के हितों व हक की आवाज बुलंद करेेगें लेकिन आज वे अपनी पार्टियों के गुलाम हो गए हैं और अपने समाज के लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया है।
प्रदर्शन-सभा में मंच के कार्यकारी अध्यक्ष ई. विक्रम प्रसाद, शर्मिला सिंह, पुन्नी लाल निषाद, संजय सत्यम, श्रवण निषाद, अमर सिंह पासवान, धीरेंद्र प्रताप, अन्नू प्रसाद, ग्यासुद्दीन, कल्पनाथ प्रसाद, गिरिजाशंकर, रामदुलारे, अंकित कुमार, गौरव शेखर, बिस्मिल्लाह, चन्द्रमोहन, एस टेटे, अतवारी बौद्ध, सुपिया भारती, शिखा भारती, संजय गौतम, रामवृक्ष, ओपी दीपक, मो. यूनुस, मो. मुनीर, मो. बशीर, एम जेड अंसारी आदि शामिल रहे।