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पूर्व प्रधानाचार्य डा. राजीव मिश्र को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली

गोरखपुर, 3 जुलाई. आक्सीजन हादसे में जेल में बंद बीआरडी मेडिकल कालेज के पूर्व प्रधानाचार्य  डा. राजीव मिश्र को आज सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई. चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद डॉ राजीव मिश्र की जमानत मंजूर कर ली. डॉ मिश्र  29 अगस्त 2017 से अपनी पत्नी डॉ पूर्णिमा शुक्ल के साथ जेल में बंद हैं.

इसी बीच कल रात को डॉ मिश्र की तबियत गोरखपुर जेल में फिर बिगड़ गई. उन्हें इलाज के लिए लखनऊ स्थित राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट ले जाया गया है.बताया जा रहा है कि उनका हीमोग्लोबिन का स्तर 7 से भी कम हो गया था. यह तीसरा मौका है जब डॉ मिश्र को इलाज के लिए मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट ले जाया गया है. इसके पूर्व  उन्हें इलाज के लिए 5 मई को लखनऊ के राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज में भर्ती कराया गया था.

63 वर्षीय डॉ राजीव मिश्र कई गंभीर रोगों से पीड़ित हैं. वह 27 वर्ष पुराने मधुमेह रोगी है और उन्हें इंसुलिन लेना पड़ता है. उन्हें कोरोनरी आर्टलरी डिजीज है. काफी प्रयास के बाद जेल प्रशासन ने इलाज के लिए लखनउ के राम मनोहर लोहिया इंस्टीच्यूट में भेजा तो वहां उनकी एंजियोग्राफी हुई. वहीं जांच में पता चला कि उनके आहार नाल में गांठे बन गई हैं. उन्हें ग्रेड 4 फाईब्रोसिस के साथ नान अल्कोहलिक लीवर सिरोसिस भी है.

सुप्रीम कोर्ट में डॉ राजीव मिश्र की ओर से जमानत पर वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने बहस की.

आक्सीजन हादसे में पुलिस ने डॉ मिश्र के विरूद्ध 409, 308,120 बी आईपीसी, 7/13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत और उनकी पत्नी डा. पूर्णिमा शुक्ल के विरूद्ध 120 बी आईपीसी, 7/13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया है. दोनों को 29 अगस्त को कानपुर से गिरफ्तार किया गया था। डॉ राजीव मिश्र की जमानत अर्जी 30 अप्रैल को हाई कोर्ट ने ख़ारिज कर दी थी.उसके बाद पूर्णिमा शुक्ल की भी जमानत अर्जी हाई कोर्ट से ख़ारिज हो गई थी.

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