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संगोष्ठी में एक समान और पड़ोसी स्कूल व्यवस्था की मांग उठी

देवरिया. महात्मा गांधी के शहादत दिवस के अवसर पर समान शिक्षा आंदोलन के तत्वावधान में श्री कृष्ण शिक्षण संस्थान मइल चौराहे पर “समान शिक्षा भाषा और महात्मा गांधी “विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया.

संगोष्ठी में महात्मा गांधी के शिक्षा और मातृभाषा की अनिवार्यता की मान्यता पर विस्तार से चर्चा करते हुए उसे स्वतंत्रता आंदोलन की मूल भावना के रूप में रेखांकित किया गया और उसके आलोक में वर्तमान में एक समान और पड़ोसी स्कूल की व्यवस्था पर आधारित पूर्णतया सरकारी खर्च पर आधारित शिक्षा व्यवस्था स्थापित करने को उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि बताया गया.

मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए संजयदीप कुशवाहा ने कहा कि गांधी के इस देश में सभी को समान शिक्षा देकर ही समान प्रतियोगिता आयोजित की जानी चाहिए. आज राष्ट्रपति हो या मजदूर की संतान सबकी शिक्षा एक समान होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह आज के समाज की पहली आवश्यकता बन गई है.

शिक्षक नेता बाबूराम शर्मा ने कहा कि गांधीजी जिस स्वावलंबी और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना चाहते थे, उसके लिए मातृभाषा में शिक्षा को अनिवार्य मानते थे. अंग्रेजी के प्रभुत्व से आज देश का आत्मविश्वास टूट गया है.

डॉक्टर चतुरानन ओझा ने अपने वक्तव्य में राष्ट्रीय स्तर पर चलाए जा रहे समान शिक्षा आंदोलन के लिए गांधी के शिक्षा विषयक विचारों को आज के दौर में सर्वाधिक प्रासंगिक बताया. उन्होंने कहा कि समान शिक्षा को समाज में लागू करने के लिए देशव्यापी आंदोलन चलाया जा रहा है. इसके लिए 18 फरवरी को दिल्ली में हुंकार रैली में आने के लिये देश भर से लोगों का आह्वान किया गया है.

सभा के अध्यक्ष पद से बोलते हुए कौशल किशोर चौधरी ने कहा कि आज अंग्रेजी माध्यम शिक्षा छात्रों एवं अभिभावकों के लिए शोषण एवं उत्पीड़न का माध्यम बन चुकी है. उन्होंने कहा कि गरिमा पूर्ण संस्कार युक्त शिक्षा मातृभाषा में ही संभव है.

 

गोष्ठी में ” सबको शिक्षा एक समान मांग रहा है हिंदुस्तान ” शीर्षक पर्चे का वितरण भी किया गया एवं नारे लगाए गए.  गोष्ठी को डॉक्टर लालबचन, श्रीमती फूला देवी, चंदन कुमार, रामप्यारे यादव, सुदर्शन यादव, गुड्डू चौधरी, राजदेव प्रसाद, गुलाब यादव आदि ने मुख्य रूप से संबोधित किया.  गोष्ठी का संचालन अनिल शर्मा ने किया.

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