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सम्राट अशोक ने जनभाषा को दिया था महत्त्व : चतुरानन

सम्राट अशोक की विरासत को बचाना होगा :संजयदीप

देवरिया. सम्राट अशोक के प्रताप के सामने आज के सभी शासक बौने नजर आते हैं. विश्व का सबसे बड़ा साम्राज्य स्थापित करने का काम अशोक ने किया था. आज के शासक अशोक महान की विरासत को नष्ट कर रहे हैं.

उक्त उदगार देवानंद पीजी कॉलेज के हिंदी प्रवक्ता व जनवादी लोक मंच के नेता डॉक्टर चतुरानन ओझा ने व्यक्त किया. वे सोमवार को कहां स्थित कबीर पुरुषार्थ पूर्व माध्यमिक विद्यालय के प्रांगण में आयोजित सम्राट अशोक की जयंती पर विचार गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक ने अपने समय के आतताई शासकों को नष्ट कर अपना साम्राज्य स्थापित किया था. देश आजाद होने के बाद अशोक चक्र को राष्ट्रीय प्रतीक तो बनाया गया लेकिन शासकों ने उनके विचारों को महत्व नहीं दिया.

डॉ ओझा ने कहा कि सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल में शासक वर्गीय भाषा संस्कृत का परित्याग कर पाली को शासन एवं विचार का माध्यम बनाया और सभी क्षेत्रों में वर्चस्व स्थापित किया. आज मातृभाषा की हत्या कर विदेशी भाषा को शासन एवं शिक्षा का माध्यम बनाया जा रहा है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है.

विचार गोष्ठी में बोलते हुए अनिल शर्मा ने कहा कि अशोक ने पूरे समाज में समरसता का प्रचार किया था,  उन्होंने साम्राज्य विस्तार के बड़े संग्राम में जीत हासिल करने के बाद धम्म विजय का अभियान चलाया था. गुड्डू चौधरी ने कहा कि अशोक ने सत्य, अहिंसा के माध्यम से समाज को बेहतर बनाया था.

विचार गोष्ठी में बोलते हुए चक्रपाणि ओझा ने कहा कि आज जब पूरी दुनिया में हिंसा और युद्ध का माहौल बनाया जा रहा है तब अशोक के अहिंसक विचार आज प्रासंगिक नजर आते हैं. अशोक एक ऐसे शासक हैं जो महान सम्राट कहे जाते हैं, उनका त्याग ही उन को महान बनाता है. अशोक ने अपने बेटे बेटी को विदेशों में बौद्ध धर्म में सत्य, अहिंसा के विचारों का प्रचार करने के लिए भेजा था. आज के शासक अपने पाल्यों को सेना और दूसरे कठिन जगहों तक में नहीं भेजते. उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत के गौरवमई पक्ष को आज आत्मसात कर ही हम भारत को खूबसूरत बना पाएंगे. अशोक के विचारों से नौजवानों, छात्रों को परिचित करा कर ही हम उनकी विरासत को बचा पाएंगे.

सम्राट अशोक के विचारों की प्रासंगिकता विषय पर विचार गोष्ठी के बतौर अध्यक्ष सम्राट अशोक आर्मी के राष्ट्रीय संयोजक संजयदीप कुशवाहा ने कहा कि अशोक के विचारों में अहिंसा का विशेष महत्व है. आज हमें तय करना है कि हमारा भारत नफरत फैलाने वालों का रहेगा या अशोक के प्रेम और अहिंसा के विचारों को मानने वालों का रहेगा. आज समाज को उन्मादी लोगों से बचाना होगा.

उन्होंने कहा कि अशोक ने न्याय और समानता की भावना के लिए सर्वस्व त्याग कर दिया. उन्होंने मांग की कि सम्राट अशोक की जयंती को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाए तथा पूरे देश में मनाया जाए. उन्होंने कहा कि आज अशोक महान की विरासत खतरे में है. उसे बचाने का गंभीर प्रयास करना होगा. उन्होंने कहा कि भारत के बहुआयामी संस्कृति को एक परती संस्कृति में बदलने की साजिश को नाकाम करना होगा. यही सम्राट अशोक को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

इस अवसर पर मनोज मौर्या, रामनिवास, धनंजय, प्रवीण, मनु कुशवाहा, आदि ने भी विचार व्यक्त किया.  इस मौके पर मुख्य रूप से लालजी प्रसाद, चंद्रिका, माया, सुमेर, अशोक उपाध्याय, अखिलेश चौधरी, मनोज विश्वकर्मा, राहुल सिंह, चंदन कुमार, धनंजय कुशवाहा, सत्य प्रकाश कुशवाहा, रामनिवास, मन्नू, मनोज कुशवाहा, पुरुषोत्तम कुशवाहा, आदि मौजूद रहे.  गोष्ठी का संचालन अनिल शर्मा ने किया.

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