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डॉ मुस्तफा की मेहनत से गोरखपुर को मिला 10 कायाकल्प एवार्ड और दो एनक्वास सर्टिफिकेशन

जिला क्वालिटी कंसल्टेंट हैं डॉ. मुस्तफा खान, स्वास्थ्यकर्मियों का नजरिया बदलने के लिए की कड़ी मेहनत

गोरखपुर. एक अच्छी लीडरशीप, सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों की सशक्त टीम और डॉ. मुस्तफा सरीखे जिला क्वालिटी कंसल्टेंट से गोरखपुर को सेहत के क्षेत्र में एक गौरवशाली पहचान मिल चुकी है। प्रदेश में सर्वाधिक 10 कायाकल्प एवार्ड, दो एनक्वास सर्टिफिकेशन के लिए मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. श्रीकांत तिवारी, सभी अपर मुख्य चिकित्साधिकारी व सीएचसी-पीएचसी के अधीक्षक व प्रभारी चिकित्साधिकारी जिले की टीम और खासतौर से क्वालिटी सेल का योगदान अहम मानते हैं। सभी का कहना है कि उच्चाधिकारियों के निर्देशन-सहयोग के साथ-साथ जिला क्वालिटी कंसल्टेंट डॉ. मुस्तफा व उनकी टीम के सहयोग से भी परिवर्तन संभव हो पाया।

जनपद की डेरवा पीएचसी और बसंतपुर यूपीएचसी के एनक्वास प्रमाणन से पूरा स्वास्थ्य महकमा इन दिनों उत्साह से लबरेज है और जिला क्वालिटी सेल को भी खूब सराहा जा रहा है।

इस सेल से जुड़े महज 33 साल के नौजवान और जिला क्वालिटी कंसल्टेंट डॉ. मुस्तफा खान की कहानी भी दिलचस्प है। वह बदलाव के लिए कभी सरकारी बस से दौड़े तो कभी ऑटो व बाइक से ही दूरदराज के स्वास्थ्य केंद्रों का दौरा किया। अधीक्षकगण और प्रभारी चिकित्साधिकारीगण के साथ समन्वय स्थापित कर उन्हें भरपूर सहयोग दिया।

पहले तो डॉ. मुस्तफा और क्वालिटी से जुड़े कार्यों को स्वास्थ्यकर्मी अतिरिक्त बोझ के तौर पर लेते थे लेकिन सतत प्रयासों से उनका नजरिया बदला तो गोरखपुर के खाते में एक के बाद एक उपलब्धियां शामिल होने लगीं।

सीएमओ भी स्वीकार करते हैं कि कायाकल्प एवार्ड और एनक्वास प्रमाणन के बाद जिले में एक सकारात्मक वातावरण तैयार हुआ है। कई हैल्थ फैसिलिटी के अधिकारियों ने खुद आकर कहा है कि वह अपनी फैसिलिटी को एनक्वास के मानकों के हिसाब से तैयार करना चाहते हैं।

बदलाव की यह कहानीं वर्ष 2016 से से ही शुरू हुई थी। डॉ. मुस्तफा ने 09 जून 2016 को बतौर जिला क्वालिटी कंसल्टेंट गोरखपुर में ज्वाइन किया। अपर मुख्य चिकित्साधिकारी आरसीएच डॉ. नंद कुमार के साथ उन्होंने करीब 10-15 स्वास्थ्य केंद्रों का दौरा किया। डॉ. मुस्तफा बताते हैं-जब इन केंद्रों पर पहुंचे और क्वालिटी संबंधित भारत सरकार के दिशा निर्देशों के बारे में बताया तो पहली प्रतिक्रिया थी कि पहले से ही इतना काम है और अब काम और बढ़ जाएगा। इस प्रतिक्रिया को देखते हुए एसीएमओ आरसीएच का मार्गदर्शन था कि पहले एक-एक फैसिलिटी को मॉडल के तौर पर विकसित किया जाए ताकि बाकी लोग भी प्रेरित हों।

सबसे पहले पिपराईच सीएचसी और ब्रह्मपुर पीएचसी को कायाकल्प एवार्ड के सभी सात मानकों के हिसाब से तैयार करने की योजना बनी। इसके लिए डॉ. मुस्तफा कई बार अकेले वहां गए और दिन-रात रुक कर टीम के साथ काम किया। नतीजा रहा कि दोनों फैसिलिटी कायाकल्प एवार्ड के लिए चुन लिये गये। डॉ. मुस्तफा के अनुसार दो फैसिलिटीज के चुनाव के बाद तय किया गया कि अब जिले की बाकी फैसिलिटीज के लोगों की यहां विजिट करायी जाए। जिन केंद्रों में संभावना दिखी उनसे संबंधित मीटिंग वगैरह इन्हीं दो केंद्रों पर हुई। एसीएमओ आरसीएच की सोच थी कि एक टीम भावना विकसित की जाए और इसके लिए हमने सद्भावना क्रिकेट कमेटी का गठन किया और खेलों के जरिए टीम भावना का बेहतर विकास होने लगा।

दूसरे चरण में कैंपियरगंज सीएचसी, जंगल कौड़िया, कौड़ीराम और डेरवा पीएचसी को कायाकल्प एवार्ड के लिए तैयार किया गया। कैंपियरगंज को छोड़कर सभी फैसिलिटीज को एवार्ड मिला। डॉ. मुस्तफा का कहना है कि सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी, एसीएमओ डॉ. आईवी विश्वकर्मा, डॉ.एसके पांडेय, एसीएमओ आरसीएच डॉ. नंद कुमार, एनक्वास के नोडल अधिकारी डॉ. नीरज कुमार पांडेय के निर्देशन व मार्गदर्शन और सभी संबंधित सीएचसी-पीएचसी की टीम की कड़ी मेहनत का सुखद परिणाम सामने आया। नतीजा यह रहा कि तीसरे चरण में कैंपियरगंज सीएची को कायाकल्प में पूरे प्रदेश में पहला स्थान, डेरवा पीएचसी को भी पूरे प्रदेश में पहला स्थान जबकि गोरखपुर की बसंतपुर यूपीएचसी को अपनी श्रेणी में पूरे प्रदेश में पहला स्थान हासिल हुआ। इनके अलावा जिला अस्पताल, कौड़ीराम, खोराबार, जंगल कौड़िया पीएचसी, पिपराईच सीएचसी, दीवान बाजार और गोरखनाथ यूपीएचसी को कायाकल्प एवार्ड हासिल हुआ

डॉ. मुस्तफा के अनुसार कायाकल्प के लिए सबसे महत्वपूर्ण चुनौती थी कि अस्पताल का रखरखाव, स्वच्छता व साफ-सफाई, बायोमेडिकल बेस्ट मैनेजमेंट, इंफेक्शन कंट्रोल प्रैक्टिसेज, हाईजीन प्रमोशन और सपोर्ट सर्विसेज जैसे मानकों पर फैसिलिटीज को दुरुस्त किया जाए। इन चीजों को ठीक करने के लिए कई बार साथ रह कर अभ्यास करवाया। शुरू में थोड़ी दिक्कत हुई लेकिन बाद में भरपूर सहयोग मिलने लगा।

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