गोरखपुर. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कारण गोरखपुर लोकसभा सीट वीवीआईपी मानी जाती है. पिछले साल उपचुनाव में सपा ने बसपा और निषाद पार्टी के सहयोग से भाजपा के इस मजबूत किले को ढाह दिया था. सपा के जीत और योगी आदित्यनाथ के गढ़ में भाजपा की हार की चर्चा सात समंदर पार तक सुनाई दी थी.
अब तो सपा और बसपा का गठबंधन हो चुका है जिसे ‘साथी’ नाम दिया गया है। इसमें रालोद भी है और निषाद पार्टी भी. जातिगत आंकड़ों में अब भी ‘साथी’ बीजेपी से कहीं भी उन्नीस नहीं है. बीजेपी उम्मीदवार के लिए अभी मंथन जारी है. कई नामों की चर्चा है.
‘साथी’ वर्तमान सदर सांसद पर ही दांव आजमायेगी, इसकी पूरी उम्मीद है। कांग्रेस से एक दर्जन नेताओं ने इस सीट से टिकट की दावेदारी के लिए अर्जी दी हुई है.
पांच विधानसभा वाले गोरखपुर सदर लोकसभा के मतदाताओं के जातिवार अनुमानित आंकड़े इस बात की पुख्ता दलील हैं कि ‘साथी’ अब भी दमदार है. सदर लोकसभा सीट में एक अनुमान के मुताबिक करीब मुसलमान 2.02 लाख, निषाद 2.63 लाख, यादव 2.40 लाख, दलित 2.55 लाख, ब्राहमण 2.08 लाख, अन्य पिछड़ा 3.04 लाख, वैश्य 1.62 लाख, कायस्थ 0.75 लाख, अन्य 2.40 लाख की तादाद में वोटर हैं. पिछले 28 सालों में इस सीट पर 60 फीसद तक मतदान कभी नहीं हुआ.
‘साथी’ को मुस्लिम, दलित, यादव, निषाद, अन्य पिछड़ा वर्ग का भरपूर समर्थन मिलने की उम्मीद है.
पिछले लोकसभा उपचुनाव में 934761 वोट पड़े थे जबकि मतदाता 1949638 थे. मतदान प्रतिशत 47.94 तक पहुंचा था. बड़ा सवाल था कि 9 लाख 34 हजार 7 सौ 61 वोट आखिर मिलेगा किसको ? जातिगत आंकड़ों ने सपा के पक्ष में फैसला दिया और जीत हासिल हुई. सपा के प्रवीण कुमार निषाद को 456513 वोट, भाजपा के उपेंद्र दत्त शुक्ला को 434632 वोट व कांग्रेस को महज 2.1 फीसद वोट मिला था. दस में आठ की जमानत जब्त हो गई थी.
अबकी बार ‘साथी’ को पिपराइच, गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवां से एक बार फिर काफी उम्मीदें हैं। ‘साथी’ को अगर लीड मिलेगी तो यहीं से। उपचुनाव में पिपराइच विधानसभा से करीब 211172 लोगों ने वोट दिया था. यहां मतदान प्रतिशत सबसे ज्यादा 53.92 रहा था. यहां से सपा को 100391 (47.63%), भाजपा को 100634 (47.75%) और कांग्रेस को 1297 को वोट मिला था. इस बार भी निषाद-मुस्लिम बाहुल्य वाला यह क्षेत्र भाजपा की परेशानी का सबब बन सकता है. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा ने 47837, बसपा ने 37383, कांग्रेस ने 6384 व भाजपा ने 125316 वोट पाया था.
गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा भी ‘साथी’ के लिए जरखेज (उपजाऊ) क्षेत्र साबित हो सकती है. यहां भी निषाद-मुस्लिम-यादव-दलित समीकरण के आधार पर भाजपा को बेहद कड़ी टक्कर मिलेगी. उपचुनाव में यहां 193702 लोगों ने वोट डाला था. मतदान प्रतिशत 48.62 रहा था. यहां से सपा को 100948 (52.20%), भाजपा को 84667 (43.78% ) व कांग्रेस को 3606 वोट मिला था. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से सपा ने 53810, बसपा ने 40035, कांग्रेस ने 7872 व भाजपा ने 97482 वोट हासिल किया था.
उपचुनाव में सहजनवां विधानसभा में 178584 लोगों ने मतदान किया था। यहां भी वोट प्रतिशत 49. 93 रहा था. यहां से सपा को 93622 (52.92%), भाजपा को 77252 (43.25%) व कांग्रेस को 4356 वोट मिला था. यहां से भी ‘साथी’ लीड हासिल कर सकती है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा को 41052, बसपा को 43450, कांग्रेस को 11515 व भाजपा को 87406 वोट मिला था। ‘साथी’ का निषाद-मुस्लिम-दलित-यादव गठजोड़ यहां भी जबरदस्त प्रदर्शन कर सकता है.
उपचुनाव में कैंम्पियरगंज विधानसभा में 186034 मत पड़े. यहां मतदान प्रतिशत 50.62 रहा था. यहां से सपा को 95740 (53%), भाजपा को 81610 (45.17%) व कांग्रेस को 3093 वोट मिला था. यहां भी ‘साथी’ है दमदार. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा को 52462, बसपा को 34930, कांग्रेस को महज 7825 व भाजपा को 94508 वोट मिला था.
गोरखपुर शहर विधानसभा भाजपा का गढ़ माना जाता है. उपचुनाव में 165268 मत पड़े. मत प्रतिशत 38.05 सबसे कम यहीं हुआ था. यहां से सपा को 65736 (39.81%), भाजपा को 90313 (54.70) व कांग्रेस को 6506 वोट मिला था. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा ने 31055, बसपा ने 20479, कांग्रेस ने 12097 व भाजपा ने 133892 वोट हासिल किया था.
उपचुनाव सीएम योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर लड़ा गया था. इस बार भी यही होने वाला है. प्रेशर बीजेपी व सीएम पर ही है. उपचुनाव में हर सभा में सीएम ने यही कहा था कि उपेंद्र नहीं मैं चुनाव लड़ रहा हूं. जब 14 मार्च 2018 को रिजल्ट आया तो तहलका मच गया. इस बार यहां अंतिम चरण के तहत 19 मई को मतदान है. चार दिन 23 मई को परिणाम आयेगा.