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गोरखपुर विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग की पढाई के बजाय कृषि शिक्षा की व्यवस्था करे : नगर विधायक

गोरखपुर. गोरखपुर नगर के भाजपा विधायक डॉक्टर राधामोहन दास अग्रवाल ने गोरखपुर विश्वविद्यालय की कार्य परिषद द्वारा तकनीकी और इंजीनियरिंग की पढाई शुरू किये जाने के निर्णय पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि इन्जीनियरिंग विश्वविद्यालय के होते गोरखपुर विश्वविद्यालय को इंजीनियरिंग की पढाई करने के बजाय कृषि-विषयक रूरल एवं एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग और गैर-इंजीनियरिंग विषयों के पाठ्यक्रम संचालित करना चाहिए जो पूर्वी उत्तर प्रदेश की पारिस्थितिकी के अनुरूप है. डॉ अग्रवाल ने इस सम्बन्ध में राज्यपाल को पात्र भी लिखा है.

अपने पत्र में नगर विधायक डॉ राधामोहन दस अग्रवाल ने लिखा है कि  गोरखपुर विश्वविद्यालय से तीन किलोमीटर की दूरी पर मदन मोहन मालवीय तकनीकी एवं इन्जीनियरिंग विश्वविद्यालय स्थित है. यह एक राष्ट्रीय स्तर का विश्वविद्यालय है तथा तकनीकी तथा इंजीनियरिंगके क्षेत्र में उच्चतम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे रहा है । गोरखपुर विश्वविद्यालय में पहले से ही ढेरों विषयों के पाठ्यक्रम ( स्नातक,स्नात्कोत्तर तथा शोध ) संचालित हो रहे हैं । इन पाठ्यक्रमों की गुणवत्ता के लिये बहुत कुछ किया जाना आवश्यक है ,लेकिन इस दृष्टि से उठाये गए प्रभावी कदम बहुत अल्प हैं । यंहा तक की कई वर्षों से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा आवश्यक रूप से निर्देशित ग्रेडिंग तक नहीं कराई गई है ।

डॉ अग्रवाल ने लिखा है कि विश्वविद्यालय की प्राथमिकता नये कोर्स शुरू करने के पहले , पहले से संचालित हो रहे पाठ्यक्रमों की गुणवत्ता विस्तार तथा उन विषयों में उच्चतम राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के शोध कार्यो को तीव्रता के साथ करने की होनी चाहिये ,जिससे क्षेत्र आधारित शोध-कार्यों को प्राथमिकता मिल सके. विश्वविद्यालय परिसर पहले से ही पूरी तरह से कन्जेस्टेड हो चुका है और मदनमोहन मालवीय तकनीकी एवं ईन्जीनियरिंग विश्वविद्यालय के स्तर की शिक्षा देने के लिए जितने स्थान की जरूरत होगी ,शायद ही उतना स्थान विश्वविद्यालय के पास हो । यदि इसके बावजूद नये विषयों का प्रारम्भ किया जाना आवश्यक ही हो तो विश्वविद्यालय को पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र की आवश्यकता की दृष्टि से  व्यापक रूप से विचार करने के उपरांत ही निर्णय लेना चाहिए था ।

उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश को 9 एग्रो-क्लाईमेटिक जोन में बांटा गया है । पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ,देवरिया ,कुशीनगर ,महाराजगंज ,संत कबीर नगर ,सिद्धार्थ नगर तथा बस्ती अपने आप में एक स्वतंत्र एग्रो-क्लाईमेटिक जोन है और इस पूरे जोन में कृषि -सम्बंधित विभिन्न विषयों के स्नातक ,स्नात्कोत्तर तथा उच्चस्तरीय शोध की कोई स्टैण्डर्ड सुविधा उपलब्ध नहीं है । यदि विश्वविद्यालय कार्यसमिति को नये पाठ्यक्रम प्रारंभ करने ही थे तो मदनमोहन मालवीय तकनीकी एवं इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय के विषयों के अनावश्यक दोहराव की जगह ,कृषि-विषयक रूरल एवं एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग और इंजीनियरिंग विषयों के पाठ्यक्रम संचालित करने पर विचार करना चाहिए था । इससे यह विश्वविद्यालय पूर्वी उत्तर प्रदेश की पारिस्थितिकी के अनुरूप शैक्षणिक एवं शोध कार्य करके पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास में अपना योगदान कर पायेगा.

नगर विधायक ने कहा कि  अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् ( AICTE ) के चेयरमैन अनिल सहस्त्रबुद्धे के द्वारा NASSCOMM के निवर्तमान चेयरमैन बी.वी.आर.मोहन रेड्डी की अध्यक्षता में तकनीकी एवं इंजीनियरिंग शिक्षा के भविष्य को लेकर गठित उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि AICTE को वर्ष 2020 से कोई नया तकनीकी एवं एन्जीनियरिंग संस्थान नहीं स्थापित करना चाहिए और पहले से स्थापित तकनीकी एवं इंजीनियरिंग संस्थाओं की क्षमता वृद्धि पर प्रत्येक दो वर्ष पर गहन अध्ययन के बाद निर्णय लेने चाहिए ।

इंजीनियरिंग के सामान्य विषयों की 60 % तथा कम्प्यूटर साइन्स ,एयरक्राफ्ट इंजीनियरिंग तथा मिकैनोट्रिक्स की 40% सीटें खाली जा रही हैं । इस आधार पर नये संस्थाओं को खोलने की आवश्यकता नहीं है । इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्थापित तकनीकी एवं इंजीनियरिंग संस्थाओं को Traditional Discipline के पाठ्यक्रमों को बन्द करके नये विकसित हुए तकनीकि विषयों के पाठ्यक्रम शुरू करने चाहिए ।  कमेटी ने AICTE को यह भी सुझाव दिया है कि इंजीनियरिंग के परम्परागत विषयों की जगह Artificial intelligence ,Block Chain ,Robotics ,Data Science तथा Quantum Computing आदि विषयों के पाठ्यक्रम संचालित करने चाहिये ।

डॉ अग्रवाल ने कहा कि समिति की रिपोर्ट पर AICTE में उच्च स्तर पर विचार चल रहा है । हमारा मानना है कि विश्वविद्यालय कार्यसमिति को अन्तिम रूप से निर्णय लेने के पूर्व AICTE के द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट पर विचार करना चाहिए था । नगर विधायक ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्विद्यालय के कार्य परिषद के निर्णय पर विचार करते समय हमारे द्वारा उपरि-उल्लिखित विन्दुओं पर विचार किया जाये तथा विशेष रूप से AICTE के चेयरमैन अनिल सहस्त्रबुद्धे की औपचारिक राय ली जाये ।

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