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हजरत सैयदना इमाम जाफ़र सादिक की याद में हुई फातिहा ख्वानी

गोरखपुर. हजरत सैयदना इमाम जाफ़र सादिक रजियल्लाहु अन्हु की याद में शनिवार को कई मुस्लिम घरों में फातिहा ख्वानी (कुरआन की आयत व दरुद शरीफ पढ़ना) हुई। फज्र की नमाज के बाद मिट्‌टी के बर्तन में मिठाईयां रखकर फातिहा दी गई। हजरत सैयदना इमाम जाफ़र सादिक को शिद्दत से याद किया गया।

नार्मल स्थित मस्जिद हजरत मुबारक खां शहीद में एक महफिल सजी। जिसमें मुफ्ती मो. अजहर शम्सी ने कहा कि इस्लामी माह रजब बहुत ही बरकत वाला हैं। इसी माह की 15 तारीख को हजरत सैयदना इमाम जाफ़र सादिक की शहादत हुई। आपको दुश्मनों ने जहर दिया। हजरत सैयदना इमाम हुसैन के बेटे हजरत सैयदना जैनुल आबेदीन आपके दादा व हजरत इमाम मो. बाकर आपके वालिद हैं। इमाम-ए-आज़म हजरत इमाम अबू हनीफा आपके खास शार्गिद थे। आप बहुत बड़े वली, वैज्ञानिक, चिन्तक और दार्शनिक थे। आप आधुनिक केमिस्ट्री के पिता जाबिर इब्ने हय्यान के उस्ताद थे। आप अरबिक विज्ञान के स्वर्ण युग का आरंभकर्ता थे। आपने विज्ञान की बहुत सी शाखाओं की बुनियाद रखी।

इमाम जाफर अल सादिक हज़रत अली की चौथी पीढ़ी में थे। आपके पिता इमाम मोहम्मद बाक़र स्वयं एक वैज्ञानिक थे और मदीने में अपना कॉलेज चलाते हुए सैंकडों शिष्यों को ज्ञान अर्पण करते थे। अपने पिता के बाद जाफ़र सादिक ने यह कार्य संभाला और अपने शिष्यों को कुछ ऐसी बातें बताईं जो इससे पहले अन्य किसी ने नहीं बताई थीं। मदीना के मुकद्दस कब्रिस्तान जन्नतुल बकी में आपकी मजार शरीफ है। मस्जिद के इमाम मौलाना मकसूद आलम ने भी तकरीर की। अंत में दुआ-ए-खैर व बरकत मांगी गईं।

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