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13.73 करोड़ रूपये से बनेगा गोरक्षनाथ शोध पीठ का भवन

गोरखपुर. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कल गोरखपुर विश्वविद्यालय में जिससे गोरक्षनाथ शोध पीठ का शिलान्यास किया उसके निर्माण के लिए प्रदेश सरकार ने 13.73 करोड़ रूपये मंजूर किया है. इस रकम से राजकीय निर्माण निगम 3 मंजिला शोध पीठ भवन का निर्माण करेगा.

यह शोध पीठ विश्वविद्यालय के पुराने वाणिज्य विभाग के जर्जर भवन को ध्वस्त करा कर बनाया जाएगा. शोध पीठ के लिए उत्तर प्रदेश की कैबिनेट ने 28 पदों की मंजूरी दी है. इसमें निदेशक, उपनिदेशक, शोध अध्येता, रिसर्च एसोसिएट तथा लाइब्रेरियन आदि के 19 पद स्थाई होंगे जबकि शेष 9 पद आउटसोर्सिंग से भरे जाएंगे. चतुर्थ श्रेणी के सभी पद आउटसोर्सिंग से भरे जाएंगे. शोध पीठ के तीन मंजिला भवन में गेस्ट हाउस, लाइब्रेरी और साउंड लाइट रूम भी बनेगा.

शोध पीठ के संचालन के लिए अधिशाषी समिति का गठन कर दिया गया है जिसकी पहली बैठक 11 नवंबर को हुई थी. यह समिति अस्थाई रूप से प्रशासनिक भवन परिसर के संग्रहालय भवन में कार्य कर रही है. आठ सदस्यीय समित में अध्यक्ष गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी के सिंह है जबकि विशेष कार्यअधिकारी विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो रविशंकर सिंह को इसका सचिव बनाया गया है. अधिशासी समिति के चार बाह्य सदस्य- प्रो. सदानन्द प्रसाद गुप्त ( कार्यकारी अध्यक्ष, उ.प्र. हिन्दी संस्थान, लखनऊ), प्रो. संतोष शुक्ला (संस्कृत विभाग, जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ), प्रो. सुमन जैन ( प्राचीन इतिहास, पुरातत्व एवं संस्कृत विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी), डाॅ. प्रदीप राव ( प्राचार्य, महाराणा प्रताप महाविद्यालय, जंगल धूसड़) हैं.

महायोगी गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ छमाही शोध पत्रिका ‘‘नाथ-प्रज्ञा’’ का प्रकाशन करेगी

महायोगी गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ छमाही शोध पत्रिका ‘‘नाथ-प्रज्ञा’’ का प्रकाशन करेगी और मार्च 2019 में ‘ नाथपंथ: उद्भव एवं विकास ’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी करायेगी।

बैठक में कुलपति प्रो. विजय कृष्ण सिंह ने प्रस्ताव किया कि महायोगी गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ की वेबसाइट तैयार किया जाय। इस शोधपीठ के सदस्यों के लिए रजिस्ट्रेशन फार्म का प्रारूप तैयार कर तथा सदस्यता शुल्क रु. 100/- निर्धारित किया जाय। इस शोधपीठ का सदस्य आम से खास विश्व का कोई भी व्यक्ति हो सकता है। बैठक में निर्णय लिया गया कि सम्पूर्ण देश का प्रतिनिधित्व करने वाली एक साधारण समिति का गठन किया जाय। इस साधारण समिति में नाथपंथ पर अनवरत अध्यवसायी विद्वान, देश भर में व्याप्त नाथपीठ के पूज्य महन्त श्री, नाथपंथ के अनुशीलक, अधिशासी समिति के सभी सदस्यगण, महायोगी गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ से सम्बन्धित विषय के विभागाध्यक्षगण बतौर सदस्य रहेगें। इस साधारण समिति की कम से कम वर्ष भर में दो बैठकें भी सुनिश्चित हुई। साधारण समिति शोधपीठ के उद्देश्यों एवं कार्यों का समय-समय पर अवलोकन कर भावी दिशा तय करेगी।
यह भी निर्णय हुआ कि महायोगी गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ द्वारा षाड्मासिक शोध पत्रिका प्रकाशन किया जाय। प्रो. संतोष शुक्ल द्वारा इस षाड्मासिक शोध पत्रिका का नाम- ‘‘नाथ-प्रज्ञा’’ प्रस्तावित किया गया। प्रथम षाड्मासिक शोध पत्रिका चैत्रप्रतिपदा पर तथा द्वितीय षाड्मासिक शोध पत्रिका विजयदशमी के अवसर पर लोकार्पित किया जाय। ‘‘नाथ-प्रज्ञा’’ शोध पत्रिका के संरक्षक प्रो. विजय कृष्ण सिंह ( कुलपति, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर), सम्पादक डाॅ. प्रदीप राव (प्राचार्य, महाराणा प्रताप महाविद्यालय, जंगल धूसड़, गोरखपुर), प्रबन्ध सम्पादक प्रो. रविशंकर सिंह (विशेष कार्याधिकारी, महायोगी गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ) होंगे. सम्पादक मण्डल का कार्य अधिशासी समिति करेगी।
बैठक में यह भी निर्णय हुआ कि महायोगी गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ द्वारा कम से कम 11 पुस्तकमालाओं का हिन्दी में एवं इन पुस्तकों का अंगे्रजी और संस्कृत में अनुवाद प्रकाशित किया जाय। इन पुस्तकों के लेखकों से आग्रह करना कि तीन माह में उक्त कार्य सम्पन्न हो जाय। सभी सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से सुनिश्चित किया गया कि इस शोधपीठ द्वारा प्रकाशित कृतियों का मुखपृष्ठ का डिजाइन एक होगा जिस पर लोगो अवश्य होगा।

इसके अलावा  मार्च, 2019 के मध्य में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी कराने के बारे में निर्णय लिया गया । इस संगोष्ठी का विषय- नाथपंथ: उद्भव एवं विकास निर्धारित किया गया।