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ऐसे में तो बंद हो जायेंगे मदरसा मिनी आईटीआई

मिनी आईटीआई के प्रति कम हुआ रुझान, एक ट्रेड में 12  प्रशिक्षु भी नहीं मिल रहे

गोरखपुर। मदरसा छात्रों को तकनीकी रूप से दक्ष बनाने के लिए शुरु की गई उत्तर प्रदेश सरकार की योजना ‘मदरसा मिनी आईटीआई’ अब दम तोड़ती नजर आ रही है। मिनी आईटीआई के कोर्स में छात्र रूचि नहीं दिखा रहे हैं और दिन प्रतिदिन प्रशिक्षुओं की संख्या कम होती जा रही है। छात्रों की संख्या में लगातार कमी को देखते हुये दीवान बाजार स्थित मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया में संचालित मिनी आईटीआई को बंद करने का निर्णय मदरसा प्रबंधक हाजी तहव्वर हुसैन ने लिया है और इस सम्बंध में उन्होंने जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को पत्र लिखा है।

 

मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया के प्रबंधक हाजी तहव्वर हुसैन द्वारा लिखा गया पत्र

पत्र में मिनी आईटीआई बंद करने की वजह प्रशिक्षुओं की कमी को बताया गया है। पत्र में ये भी कहा गया कि अगर नये सत्र में प्रशिक्षु नहीं मिलेंगे तो जबरदस्ती मिनी आईटीआई का संचालन नहीं किया जायेगा। मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया में ही सबसे पहले वर्ष 2005 में पहली मिनी आईटीआई का संचालन शुरू हुआ था।

प्रत्येक ट्रेड में 2 छात्र जरूरी

गोरखपुर में सात मिनी आईटीआई का संचालन अलग-अलग मदरसों में होता है। जिनमें तीन मिनी आईटीआई शहर में एवं चार ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित हो रही है।  सभी मिनी आईटीआई में तीन-तीन ट्रेड में सर्टिफिकेट कोर्स कराया जाता है। कम से छात्रों की संख्या प्रत्येक ट्रेड में 12 एवं अधिकतम 16 होनी चाहिए। मदरसों  पर छात्र-छात्राएं  वेल्डर, कटाई- सिलाई, रेफ्रीजिरेशन – एअरकंडीशनिंग,  कम्पयूटर ऑपरेटर, इलेक्ट्रीशियन, ड्राफ्ट मैन सिविल, वॉयर मैन,  मैकेनिक डीजल की ट्रेनिंग लेते हैं।

बिना मान्यता के प्रमाण पत्र का मतलब नहीं

मदरसा दारूल उलूम हुसैनिया के प्रबंधक हाजी तहव्वर हुसैन ने कहा कि सरकार के उदासीन रवैये से क्षुब्ध होकर मिनी आईटीआई बंद करने को पत्र लिखा है। मिनी आईटीआई के प्रमाण पत्र से सऊदी अरब में नौकरी मिल जाती है लेकिन देश में इस प्रमाण पत्र की कोई वैल्यू नहीं। सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं में नौकरी के लिए केंद्र व राज्य सरकार की पात्रता में अयोग्य ही माना जाता है। अगर इस योजना को अगर एनसीवीटी से मान्यता मिल जाए तो प्रशिक्षु देश में कहीं भी नौकरी के लिए अर्ह हो सकेंगे। मदरसों में मिनी आईटीआई को एनसीवीटी से मान्यता मिलने के बाद ही युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

कोर्स के बाद अरब में नौकरी करने वाले प्रशिक्षु

मिनी आईटीआई के प्रमाण पत्र की वैल्यू भले ही भारत में न हो लेकिन गल्फ देशो में इस प्रमाण पत्र के आधार पर प्रशिक्षुओं को अच्छी नौकरी मिल रही है और वो सम्मानजनक राशि कमा रहे हैं। मिनी आईटीआई कोर्स एनसीवीटी से मान्यता प्राप्त नहीं होने के कारण किसी सरकारी या गैर सरकारी संस्थानों में ये प्रमाण पत्र मान्य नहीं है।

तारिक अज़ीज़

साढ़े तीन हजार रियाल की नौकरी

गोरखपुर के रहने वाले तारिक अजीज ने मिनी आईटीआई डिप्लोमा रेफिजिरेशन ट्रेड में किया। कोर्स पूरा करने के बाद यहां नौकरी तलाशी लेकिन निराशा ही हाथ लगी। फिर तारिक ने अरब का रुख किया। जहां सऊदी अरब की एक प्रतिष्ठित कम्पनी ने उन्हें अपने यहां एसी टेक्निशियन पद पर नौकरी दी। तारिक को तीन हजार रियाल प्रतिमाह मिलता है। जो भारत के साठ हजार रुपये के बराबर है। तौकीर छह सालों से सऊदी अरब में हैं.

अबुलैस अंसारी

छह साल से सऊदी में कर रहे नौकरी

इसी तरह मिनी आईटीआई का कोर्स इलेक्ट्रिशियन ट्रेड में शहर के अबुलैस अंसारी ने भी किया। कोर्स करने के बाद अबु लैस भी सऊदी अरब रवाना हुये और वहां जाते भी उन्हे एक कम्पनी में टेक्निशियन के पद पर चार हजार रियाल प्रतिमाह वेतन पर नौकरी मिल गई। भारतीय रुपयों में चार हजार रियाल अस्सी हजार रुपये के बराबर होते हैं। अबुलैस पिछले 5 सालों से सऊदी अरब में नौकरी कर हैं।

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