लोकसभा चुनाव 2019

मैं UP 55 तू UP 53

गोरखपुर-बस्ती मंडल की पांच सीटों पर खूब चल रहा है बाहरी बनाम स्थानीय प्रत्याशी का मुद्दा

गोरखपुर और बस्ती मंडल की नौ सीटों के लिए हो रहे चुनाव में पांच सीटों पर स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा खूब चल रहा है। बस्ती मंडल के दो सीटों डुमरियागंज और संतकबीरनगर में तथा गोरखपुर मंडल में गोरखपुर, देवरिया व सलेमपुर में यह मुद्दा चुनाव प्रचार का केन्द्रीय विषय बन गया है। बाहरी बनाम स्थानीय प्रत्याशी के मुद्दे में भाजपा के ही तीन प्रत्याशी बुरी तरह फंसे हुए हैं।

बस्ती मंडल की तीन सीटों-बस्ती, डुमरियागंज और संतकबीरनगर में 10 मई को चुनाव प्रचार बंद हो गया। यहां के मतदाता अपना सांसद चुनने के लिए 12 मई को वोट डालेंगे। इन तीन सीटों में से दो-डुमरियागंज और संतकबीरनगर में बाहरी बनाम स्थानीय मुद्दा चुनाव प्रचार में खूब उछला।

डुमरियागंज में भाजपा प्रत्याशी जगदम्बिका पाल ने महागठबंधन प्रत्याशी आफताब आलम को बाहरी बताया तो कांग्रेस प्रत्याशी चन्द्रेश उपाध्याय ने भाजपा और महागठबंधन दोनों को बाहरी प्रत्याशी बताया। महागठबंधन प्रत्याशी आफताब आलम गोरखपुर के रहने वाले हैं और उन्होंने 2017 का विधानसभा चुनाव गोरखपुर जिले के पिपराइच विधानसभा क्षेत्र से लड़ा था। वह चुनाव हार गए थे। इसके बाद से ही उन्होंने डुमरियागंज से चुनाव तैयारी शुरू कर दी। उन्हें बसपा से टिकट मिला और पूरी दमदारी से वह चुनाव लड़े। विरोधी प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार में उनके बाहरी होने का मुद्दा जोर शोर से उछाला। भाजपा प्रत्याशी जगदम्बिका पाल यूं तो दो बार से डुमरियागंज से सांसद चुने गए हैं लेकिन उनकी राजनैतिक कर्मभूमि बस्ती रहा है। वह बस्ती से कई बार विधायक बने। चुनाव प्रचार में उन्हें भी बस्ती वाला प्रत्याशी बताया गया। कांग्रेस प्रत्याशी चन्द्रेश उपाध्याय दोनों को बाहरी बताते हुए अपने का सिद्धार्थनगर का बेटा बताते रहे। वह कहते रहे कि वह अकेले यूपी 55 (आरटीओ कोड ) हैं. भाजपा प्रत्याशी यूपी  51 है तो महागठबंधन प्रत्याशी यूपी 53 वाला है.

यही हाल संतकबीरनगर में भी है। यहां महागठबंधन से कुशल तिवारी चुनाव लड़ रहे हैं तो भाजपा से प्रवीण निषाद। कुशल तिवारी पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के बेटे हैं और दो बार यहां से सांसद रह चुके हैं। इसके बावजूद उन्हें बाहरी प्रत्याशी बताया जाता है क्योंकि वह मूल रूप से गोरखपुर के रहने वाले हैं। भाजपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद गोरखपुर उपचुनाव में सपा से सांसद चुने गए थे। वह निषाद पार्टी के राष्टीय अध्यक्ष डा. संजय कुमार निषाद के बेटे हैं। निषाद पार्टी का भाजपा से गठबंधन होने के बाद प्रवीण निषाद भाजपा में शािमल हो गए। भाजपा ने उन्हें सतकबीरनगर से प्रत्याशी बना दिया। प्रति़द्वंदी प्रत्याशी चुनाव प्रचार के दौरान पर उन पर बाहरी बोल हमला करते रहे। संतकबीरनगर से दो बार सांसद रह चुके कांग्रेस प्रत्याशी भालचन्द्र यादव तो भाजपा और महागठबंधन दोनों प्रत्याशी को बाहरी बताते हुए चुनाव को बाहरी बनाम संतकबीरनगर का बेटा बताते रहे। उन्होंने तो नारा भी गढ़ दिया है ‘ बाहरी भगाओ -जिला बचाओ ‘ .

गोरखपुर संसदीय क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी फिल्म अभिनेता रवि किशन शुरू से विरोधियों के निशाने पर हैं और उन्हें बाहरी बताया जा रहा है। रवि किशन हर भाषण में अपने को गोरखपुर जिले के मामखोर का निवासी होने का हवाला दे रहे हैं और कह रहे हैं कि उनके पूर्वज मामखोर से जौनपुर गए थे। वह कहते हैं कि हमारी जड़ गोरखपुर की मिट्टी में ही है। महागठबंधन प्रत्याशी रामभुआल निषाद और कांग्रेस प्रत्याशी मधुसूदन एडवोकेट अपने भाषणों में भाजपा प्रत्याशी को बाहरी बताकर हमला कर रहे हैं। दोनों कह रहे हैं कि रवि किशन चुनाव खत्म होते ही मुम्बई चले जाएंगे। उनका गोरखपुर में कोई घर तक नहीं है। होटल में रहकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं।

देवरिया के भाजपा प्रत्याशी डा.रमापति राम त्रिपाठी भी इस हमले को झेल रहे हैं। देवरिया में भाजपा और महागठबंधन प्रत्याशी दोनों बाहरी हैं। डा. रमापति राम त्रिपाठी गोरखपुर से चुनाव लड़ने गए हैं तो महागठबंधन प्रत्याशी बिनोद जायसवाल पटन से यहां चुनाव लड़ने आए हैं। विनोद जायसवाल की ससुराल देवरिया में है। कांग्रेस प्रत्याशी नियाज अहमद अपने प्रचार में बाहरी प्रत्याशी के मुद्दे को जोर शोर से उठा रहे हैं। देवरिया के लोग फेसबुक व सोशल मीडिया पर भी यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या भाजपा और महागबंधन को देवरिया से कोई सुयोग्य प्रत्याशी नहीं मिला।

सलेमपुर में बाहरी प्रत्याशी होने का मुद्दा भाजपा प्रत्याशी उठा रहे हैं और वे कांग्रेस प्रत्याशी राजेश मिश्रा व महागठबंधन प्रत्याशी आरएस कुशवाहा को बाहरी बता रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी राजेश मिश्र का राजनैतिक कार्यक्षेत्र वाराणसी रहा है और वह पहली बार यहां से चुनाव लड़ने आए हैं। हालांकि उनका पुश्तैनी घर बरहज क्षेत्र के कसिली में है। वह बाहरी प्रत्याशी होने का जवाब अपने पैतृक गांव का हवाला देते हुए दे रहे हैं। आरएस कुशवाहा भी देवरिया और सलेमपुर के रहने वाले नहीं हैं। इसलिए उन्हें भी बहारी प्रत्याशी बताया जा रहा है।

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