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ख्वाजा ग़रीब नवाज़ का उर्स-ए-पाक मनाया गया, बंटा लंगर व खीर

गोरखपुर। नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद, मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार, धर्मशाला स्थित दरगाह हजरत नक्को शाह बाबा व नूरी जामा मस्जिद अहमदनगर चक्शा हुसैन में महान सूफी संत हजरत मोईनुद्दीन हसन चिश्ती अलैहिर्रहमां (ख्वाजा ग़रीब नवाज़) का 807वां उर्स-ए-पाक गुरुवार को अकीदत के साथ मनाया गया। कुरआन ख्वानी, नात ख्वानी व कुल शरीफ की रस्म अदा की गयी। दरगाहों पर लंगर बंटा तो मदरसे में खीर बांटी गयी। चादरपोशी भी की गयी। सुबह से ही दरगाहों पर अकीदतमंदों का तांता लगा रहा। अकीदतमंदों ने उलेमा-ए-किराम की जुब़ानी ख्वाजा ग़रीब नवाज़ के जिंदगी के वाकयात, करामात, तकवा व परहेजगारी के बारे में  सुना।
मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार में मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी ने कहा कि सरजमीनें हिंद पर वलियों का राज है और हिंद के वलियों के सरदार ख्व़ाजा ग़रीब नवाज़ है। ग़रीब नवाज़ हिन्दल वली, हिन्द के बादशाह है। आपने सभी का दिल जीता। ग़रीब नवाज़ आज से कोई आठ सौ साल पहले सैकड़ों मील का कठिन सफर तय करते हुए अल्लाह का पैगाम लिए जब ईरान से हिन्दुस्तान के अजमेर में पहुंचे तो जो भी आपके  पास आया वह आपका होकर रह गया। आपके दर पर आने वालों में दीन-ओ-धर्म, अमीर-गरीब, बड़े-छोटे किसी भी तरह का भेदभाव नहीं है। सब पर आपके रहम-ओ-करम का नूर बरसता है।
मदरसे में तिलावत-ए-कुरआन पाक हाफिज अलकमा ने किया। नात शरीफ  हाफिज महमूद रजा कादरी व गुलाम एमामुद्दीन ने पेश की। कुल शरीफ की रस्म अदा कर शांति, तरक्की व भाईचारगी की दुअा मांगी गयी। अंत में खीर व मिठाई बांटी गयी। कार्यक्रम के दौरान हाफिज सद्दाम, मौलाना रियाजुद्दीन, मो.तसव्वुर, मोईन, साबिर अली हुसैन, मो. कलीमुल्लाह, इमाम हसन, महमूद रजा सहित तमाम लोग मौजूद रहे।
नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद में मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही ने कहा कि ख्वाजा ग़रीब नवाज़ के नाम से लोगों के दिलों में बसने वाले महान सूफी संत मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह का बुलंद दरवाजा इस बात का गवाह है कि सुल्तान मुहम्मद-बिन-तुगलक, सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी और मुगल बादशाह अकबर से लेकर बड़े से बड़ा हुक्मरान यहां पर पूरे अदब के साथ सिर झुकाए ही आया। वह दरवाजा इस बात का भी गवाह है कि ग़रीब नवाज़ आपसी प्यारो मोहब्बत की मुत्तहिदा हिन्दुस्तान में एक ऐसी मिसाल हैं जिनका कोई सानी नहीं है।
कारी शराफत हुसैन कादरी ने कहा कि महान सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की अजमेर स्थित दरगाह सिर्फ इस्लामी प्रचार का केंद्र ही नहीं बनी, बल्कि यहां से हर मजहब के लोगों को आपसी प्रेम का संदेश मिला है। इसकी मिसाल ख्वाजा के पवित्र आस्ताने में राजा मानसिंह का लगाया चांदी का कटहरा है, वहीं ब्रिटिश महारानी मेरी क्वीन का अकीदत के रूप में बनवाया गया वुजू का हौज है। दरगाह पर दोपहर एक बजे कुल शरीफ की रस्म अदा की गयी। सलातो सलाम पढ़कर कौमों मिल्लत व मुल्क में अमनो अमान, भाईचारे की दुआ की गयी। हर खासो आम में लंगर बांटा गया। इस मौके पर कारी नूरुलऐन, इकरार अहमद, जमशेद अहमद, कारी अबू हुजैफा, हाफिज अशरफ रजा, मंजूर आलम, हाफिज अब्दुल अजीज, मो. रजा, गुलाम जीलानी, रमजान, कुतबुद्दीन, साजिद सहित बड़ी संख्या में अकीदतमंद शामिल हुए।
नूरी जामा मस्जिद अहमदनगर चक्शा हुसैन में मौलाना सैफ अली फैजी ने कहा कि ख्वाजा ग़रीब नवाज़ बड़े ही नर्म दिल खुश मिज़ाज़ और मिलनसार थे। आपको गुस्सा नहीं आता था। जिंदगी बहुत सादा थी। सखावत आपके खानदान की खासियत थी। तिलावत हाफिज अरशद हसन ने की। नात मौलाना शादाब अहमद रजवी, मो. दारैन ने पेश की। सदारत हाफिज मो. जमालुद्दीन ने की। सलातो सलाम पढ़कर एक और नेक बनने की दुआ मांगी गयी।
धर्मशाला बाजार स्थित दरगाह हजरत नक्को शाह बाबा में सुबह फज्र की नमाज के बाद कुरआन ख्वानी हुई। सुबह तकरीरी प्रोग्राम हुआ। जिसमें उलेमा ने ग़रीब नवाज़ की जिंदगी पर रौशनी डाली। इसके बाद चादरपोशी की रस्म अदा की गयी। उसके बाद कुल शरीफ की रस्म अदा करके दुआ मांगी गयी। अंत में लंगर बांटा गया।

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