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आरक्षण की मांग को लेकर निषाद पार्टी का नौसढ़ से कमिश्नर आफिस तक मार्च, ज्ञापन दिया

गोरखपुर। निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल निषाद पार्टी ने निषाद वंशीय जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल कर उन्हें आरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर तीन दिसम्बर को नौसढ़ से कमिश्नर कार्यालय तक प्रदर्शन करते हुए मार्च निकाला और कमिश्नर को ज्ञापन दिया। मार्च का नेतृत्व पार्टी के राष्टीय अध्यक्ष डा. संजय कुमार निषाद ने किया।

यह मार्च मछुआ एस सी आरक्षण हुंकार जन आक्रोश यात्रा के पहले चरण की समाप्ति पर आयोजित किया गया था। पहले इस मौके पर गोरखपुर में रैली करने की योजना थी लेकिन प्रशासन द्वारा रैली की अनुमति नहीं मिलने पर प्रदर्शन कर और ज्ञापन देकर इस यात्रा के पहले चरण को सम्पन्न किया गया।

निषाद पार्टी ने आरक्षण, आजीविका के साधनों पर अधिकार आदि मुद्दों को लेकर 20 दिसम्बर से इलाहाबाद से मछुआ एस.सी. आरक्षण हुंकार जन आक्रोश यात्रा शुरू की थी।यह यात्रा पूर्वांचल के जिलों-जौनपुर, सोनभद्र, चंदौली, वाराणसी, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, अम्बेडकरनगर, आजमगढ़, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर आदि जिलों से गुजर चुकी है। यात्रा का दूसरा चरण पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में होगा।

तीन दिसम्बर को दोपहर नौसढ़ से डा. संजय निषाद की अगुवाई में बड़ी संख्या में निषादों ने प्रदर्शन करते हुए मार्च शुरू किया। यह मार्च रूस्तमपुर होते हुए अम्बेडकर चौक पहुंचा। यहां पर डा. संजय कुमार निषाद ने डाॅ. अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। यहां से मार्च प्रेस क्लब, कलेक्टेट, एमपी इंटर कालेज होते हुए कमिश्नर कार्यालय पहुंचा जहां कमिश्नर को ज्ञापन दिया गया।

इस मौके पर कमिश्नर कार्यालय परिसर में निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं, समर्थकों को सम्बोधित करते हुए डा. संजय कुमार निषाद ने कहा कि गरीबी एक बीमारी है जिसकी दवाई आरक्षण है। भगवान गरीबी बढ़ाते हैं, जबकि संविधान गरीबी दूर करता है। मोदी-योगी सरकार गरीबों को भगवान पकड़ाकर भाजपा-आरएसएस को सभी आर्थिक स्रोतों पर कब्जा करना चाहती है। निषाद पार्टी चाहती है कि संविधान में मिला आरक्षण मछुआरों, अति पिछड़ों और अति दलितों को मिले।

निषाद पार्टी की मुख्य मांग है कि निषाद वंशीय जातियों को अनुसचित जाति में शामिल किया कर आरक्षण दिया जाए। अभी निषाद वंशीय दो जातियां मझवार और तुरैहा देश के अनुसूचित जातियों की सूची में हैं लेकिन मझवार और तुरैहा की पर्यायवाची, वंशानुगत या उपजातियां ओबीसी में शामिल हैं। मझवार व तुरैहा की पर्यायवाची जातियों-केवट, माझी, मल्लाह, मुजाबिर, राजगौड़, गोंड़, गोड़िया, धुरिया, कहार, रायकवार, बाथम, रैकवार, सोरहिया, पठारी, धीवर, धीमर आदि को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी जैसा कि उत्तर प्रदेश द्वारा दिसम्बर 2017 में शासनादेश जारी किया गया है।

डा. संजय ने कहा कि देश के 14 राज्यों में निषाद वंशीय जातियां, अनुसूचित जाति में शामिल हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में हमारे साथ अन्याय हो रहा है। दिल्ली में मल्लाह एससी का आरक्षण पा रहा है लेकिन उत्तर प्रदेश में उसे अनुसूचित जाति का आरक्षण नहीं मिल रहा है। इस विसंगति को दूर नहीं किए जाने के कारण निषादों में आक्रोश है।

गाजीपुर की घटना पर दुख व्यक्त करते हुए उन्होंने इस घटना के लिए भाजपा को जिम्मेदार बतया। उन्होंने कहा कि बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा पथराव के कारण सिपाही को चोट लगी और उनकी मौत हुई। इस घटना को लेकर निषादों पर अत्याचार किया जा रहा है जिसे निषाद पार्टी बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने गाजीपुर की घटना की न्यायिक जांच की मांग की।

उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव सपा-बसपा के साथ महागठबंधन बना कर लडे़गी क्योंकि दोनों दल निषादों के आरक्षण के मुद्दे पर साथ हैं जबकि भाजपा इसका विरोध कर रही है। सभा को प्रदेश अध्यक्ष अरविंद मणि निषाद और जिलाध्यक्ष कन्हैयालाल निषाद ने भी सम्बोधित किया।

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