लोकसभा चुनाव 2019

आखिरी चरण की 13 सीटों पर 40 फीसदी से अधिक नामांकन खारिज किए जाने से उठे सवाल

वाराणसी में 88, गोरखपुर में 30 प्रत्याशियों के नामांकन रद

गोरखपुर/ वाराणसी. लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण की सीटों पर बड़ी संख्या में प्रत्याशियों के नामांकन खारिज करने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। छोटे दलों व निर्दलीय प्रत्याशियों का आरोप है कि निर्वाचन अधिकारी प्रदेश सरकार और भाजपा के इशारे व दबाव में काम कर रहे हैं। अधिकतर नामांकन पत्र बिना कारण खारिज किए गए हैं। ऐसे में चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा हो गया है।

आखिरी चरण की सीटों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वाराणसी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर सीट पर चुनाव होना है और दोनों सीटों पर सबसे अधिक प्रत्याशियों के नामांकन खारिज किए गए हैं। आरोप है कि नामांकन पत्रों को खारिज करने के तरीके मनमाना पूर्ण हैं। इससे प्रत्याशियों में आक्रोश है।

वाराणसी में राम राज्य परिषद के संत श्री भगवान का नामांकन रद किए जाने पर संतों ने स्वामी अविमुक्ततेश्वरानंद की अगुवाई में कलेक्ट्रेट के बाहर धरना दिया तो गोरखपुर में हिन्दुस्थान निर्माण दल के प्रत्याशी सुनील सिंह ने जिला निर्वाचन अधिकारी के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए कैंट थाने में तहरीर दी है।

आखिरी चरण के 13 सीटों पर 40 फीसदी से अधिक नामांकन रद

लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में यूपी की 13 सीटों पर चुनाव होना है। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर आज सुबह तक दर्ज विवरण के अनुसार इन 13 सीटों पर 546 प्रत्याशियों में से 111 के नामांकन खारिज कर दिए गए हैं हालांकि यह विवरण अपूर्ण है। इसमें देवरिया, घोसी, महराजगंज, मिर्जापुर व वाराणसी सीटों पर खारिज किए गए नामांकन पत्रों की संख्या व विवरण अभी अपलोड नहीं है। वाराणसी में 119 में 30 प्रत्याशियों के नामांकन स्वीकृत होने की सूचना है।

अन्य सीटों के बारे में जो जानकारी दी गई है, उसके अनुसार बलिया में 35 में से 16, चंदौली में 42 में से 19, गाजीपुर में 31 में 7, गोरखपुर में 45 में से 30, कुशीनगर में 28 में से 2, रार्बट्सगंज में 24 में से 12, सलेमपुर में 38 में से 12 नामांकन निरस्त कर दिए गए हैं।

इस तरह 13 सीटों पर करीब 40 फीसदी नामांकन खारिज कर दिए गए हैं जो एक बड़ी संख्या है। अभी दो और सीटों पर नामांकन पत्रों के खारिज होने के विवरण इसमें जोेड़े जाने हैं। जाहिर है कि यह संख्या और बढ़ेगी।

गोरखपुर में नामांकन ख़ारिज होने के बाद प्रत्याशी सुनील सिंह द्वारा जिला निर्वाचन अधिकारी के खिलाफ दी गई तहरीर

हर चरण में नामांकन पत्रों को खारिज होने की संख्या बढ़ती गई है

यदि यूपी में चरण वार नामांकन पत्रों के खारिज होने के विवरण को विश्लेषित करें तो पता चलता है कि हर चरण के बाद नामांकन पत्रों के खारिज होने की संख्या बढ़ती गई है। पहले फेज में 29 फीसदी, दूसरे चरण में 29 फीसदी, तीसरे में 32 फीसदी, चौथे चरण में 32.77 फीसदी, पांचवे चरण में 44 फीसदी, छठवें चरण में 40 फीसदी नामांकन रद कर दिए गए हैं।

वाराणसी में 88 और गोरखपुर में 30 नामांकन खारिज

वाराणसी संसदीय क्षेत्र में नामांकन पत्रों की जांच के बाद 119 में से 88 नामांकन अवैध कर दिए गए। सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी तेज बहादुर यादव को कल दो बार नोटिस दी गई है और उन्हें आज 11 बजे तक निर्वाचन आयोग से चुनाव लड़ने के लिए एनओसी देने को कहा गया है। तेज बहादुर के अधिवक्ता राजेश गुप्ता ने कहा कि उन्होंने पहले लोक प्रतिनिधित्व की धारा 9 के तहत नोटिस दी गई जिसका उन्होंने जवाब दाखिल कर दिया। दो घंटे बाद उन्हें लोक प्रतिनिधित्व की धारा 33 (3) तहत एक और नोटिस दी गई। उन्होंने कहा कि उनसे कहा गया कि सरकारी नौकरी से बर्खास्त व्यक्ति को चुनाव लड़ने के लिए निर्वाचन आयोग से एनओसी लेनी पड़ती है। वह भी भ्रष्टाचार के मामले में। हमने हलफनामे के साथ पहले से बताया था कि बर्खास्तगी का मामला हाईकोर्ट में है। हमारा केस भ्रष्टाचार का नहीं अनुशासनहीनता का है। इसलिए लोक प्रतिनिधित्व की धारा 33 उन पर लागू नहीं होता।

उन्होंने कहा कि तेजबहादुर के नामांकन पत्र को जिला निर्वाचन अधिकारी ने ओके कर दिया लेकिन वहां विशेष विमान से आए विशेष पर्यवेक्षक ने नामांकन पत्र पर आपत्ति करते हुए नोटिस जारी किया गया। जब नामांकन पत्र दाखिल किया गया, उसके बाद से कभी भी किसी कोई डाक्यूमेंट की मांग नहीं की गई। आखिरी वक्त में नोटिस देकर एक मई को पूर्वान्ह 11 बजे तक चुनाव आयोग से एनओसी दाखिल करने को कहा गया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के राष्टीय अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इशारे पर तेजबहादुर का नामांकन खारिज करने की कोशिश हो रही है।

वाराणसी में राम राज्य परिषद के संत श्री भगवान का पर्चा खारिज होने से संत नाराज हो गए और कलेक्टेट के बाहर धरने पर बैठ गए। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने आरोप लगाया कि श्री भगवान का नामांकन लिखने के तरीके के आधार पर निरस्त किया गया।

गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से हिन्दुस्थान निर्माण दल से चुनाव लड़ रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बागी शिष्य सुनील सिंह सहित 24 प्रत्याशियों का नामांकन खारिज कर दिया गया। बांसगांव सुरक्षित संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कुश सौरभ सहित सात प्रत्याशियों के नामांकन खारिज कर दिए गए। देवरिया में सीपीआई माले रेड स्टार के प्रत्याशी चतुरानन ओझा सहित 18 प्रत्याशियों के नामांकन खारिज कर दिए गए।

गोरखपुर से नामांकन करने वाले हिन्दू युवा वाहिनी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इशारे पर जिला निर्वाचन अधिकारी ने उनके नामांकन को खारिज किया। नामांकन खारिज करने के लिए उनके नामांकन पत्र के दस्तावेज बदले गए। उन्होंने कैंट थाना जाकर जिला निर्वाचन अधिकारी के खिलाफ तहरीर भी दी। वह कल सुबह नौ बजे अपनी शिकायत को लेकर गोरखपुर संसदीय क्षेत्र के पर्यवेक्षक से मिलेंगे।

उन्होंने कहा कि जिला निर्वाचन अधिकारी ने उनके नामांकन खारिज करने का कारण हलफनामे पर दस्तखत न होना बताया जबकि निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर अपलोड उनके नामांकन पत्र के सभी पन्नों पर उनके दस्तखत मौजूद हैं जिन्हें अब भी देखा जा सकता है।

सुनील सिंह ने बताया कि उन्हें 30 अप्रैल को दोपहर तीन बजे जिला निर्वाचन अधिकारी ने बुलाया। जब वह पहुंचे तो कुछ बताए बिना जिला निर्वाचन अधिकारी आदेश लिखने लगे और उनके नामांकन को अस्वीकृत कर दिया। जब उन्होंने नामांकन निरस्त करने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि हलफनामे पर दस्तखत नहीं हैं। उन्होंने तुरंत मोबाइल के जरिए चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड हलफनामे को देखा तो सभी पन्नों पर दस्तखत मौजूद थे। इस पर उन्होंने हंगामा किया तो पर्यवेक्षक बाहर आए और उन्होंने मेरी बात सुनी लेकिन फिर मुझे वहां से यह कहकर बाहर भेज दिया गया कि वह सुबह नौ बजे पर्यवेक्षक से मिलें।

गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से नामांकन करने वाले निर्दल प्रत्याशी नवल किशोर नाथानी का भी नामांकन खारिज कर दिया गया है। उन्होंने भी जिला निर्वाचन अधिकारी पर गलत तरीके से नामांकन खारिज करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि उनके नामांकन को खारिज करने का कोई कारण नहीं बताया गया।

बांसगांव के कांग्रेस प्रत्याशी कुश सौरभ का नामांकन नो ड्यूज सर्टिफिकेट दाखिल न करने के कारण खारिज होना बताया गया। प्रशासन की ओर से कहा गया कि सरकारी सेवा में रहते हुए वह सरकारी आवास में रहें। उन्हें सरकारी आवास की कोई देनदारी न होने का नो ड्यूज सर्टिफिकेट देना था जो उन्होंने नहीं दिया। इस बारे में सम्पर्क नहीं होने से कुश सौरभ का पक्ष नहीं जाना जा सका।

देवरिया सीट से नामांकन करने वाले सीपीआई एमएल रेड स्टार के प्रत्याशी चतुरानन ओझा ने बताया कि बिना कारण बताए देवरिया से 18 नामांकन खारिज कर दिए गए। इसमें मेरा भी पर्चा था। हमें नामांकन खारिज करने का कोई कारण नहीं बताया गया। दोपहर तीन बजे के बाद हमें फोन से सूचना देने की बात कह कर अपमानजक ढंग से जिला निर्वाचन अधिकारी के कक्ष से हटा दिया गया।

गोरखपुर से कुल 31 प्रत्याशियों ने 45 नामांकन पत्र दाखिल किए थे जिसमें से 21 प्रत्याशियों के 30 नामांकन खारिज कर दिए गए हैं। इनमें से कई प्रत्याशियों ने कई-कई सेट में नामांकन किया था। भाजपा प्रत्याशी रवि किशन ने तीन सेट में नामांकन किया था। जांच के बाद तीनों सही पाए गए हैं। कांग्रेस प्रत्याशी मधुसूदन तिवारी के भी सभी नामांकन सही पाए गए हैं। सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद ने तीन सेट में नामांकन पत्र दाखिल किया था जिसमें से एक खारिज हो गया है जबकि दो सही पाए गए हैं।

नामांकन पत्रों को खारिज करने के कारणों में हर जगह अलग-अलग तरीके अपनाए गए हैं। कुशीनगर में 28 नामांकन पत्रों में सिर्फ दो खारिज हुए हैं और 26 नामांकन पत्र वैध पाए गए हैं जबकि सबसे अधिक वाराणसी में 88 नामांकन रद किए गए हैं।

गोरखपुर में हलफनामे पर दस्तखत न होने पर हिन्दुस्थान निर्माण दल के सुनील सिंह का नामांकन रद कर दिया गया लेकिन भाजपा प्रत्याशी के नामांकन पर शिकायत के बावजूद उसे वैध करार दिया गया। कुशीनगर निवासी संतोष मणि त्रिपाठी ने जिला निर्वाचन अधिकारी के अलावा प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और चुनाव आयोग से शिकायत की है कि भाजपा प्रत्याशी ने अपने नामांकन पत्र में झूठी सूचना दी है। भाजपा प्रत्याशी ने 2014 में जौनपुर से चुनाव लड़ते हुए अपने को ग्रेजुएट बताया था जबकि इस बार चुनाव में उन्होंने अपने को इंटर पास बताया है। यही नहीं उनके हलफनामे पर दस्तखत भी नहीं हैं।

इसी तरह की शिकायत आजमगढ़ से चुनाव लड़ने वाले भाजपा प्रत्याशी दिनेश यादव निरहुआ के खिलाफ भी की गई है।

सबसे ज्यादा छोटे दलों और निर्दलीयों के नामांकन निरस्त हो रहे हैं

चुनाव लड़ने वाले कई प्रत्याशियों ने बताया कि 2014 के बाद प्रत्याशियों के नामांकर रद करने की प्रवृति बढ़ी है और इसमें मनमाना रवैया अपनाया जा रहा है। विशेषकर छोटे दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों का सबसे अधिक नामांकन निरस्त किया जाता है। पूर्व के चुनावों में नामांकन पत्रों की जांच के दौरान नामांकन पत्रों में त्रुटि या गलती के बारे में रिटर्निंग अधिकारी प्रत्याशियों को अवगत कराते थे और उसे ठीक करने का मौका देते थे लेकिन अब ऐसा नहीं किया जाता। आखिरी वक्त में नामांकन पत्र में त्रुटि के बारे में बताया जाता है और बिना मौका या नोटिस दिए नामांकन निरस्त कर दिया जाता है।

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर इस तरह की घटनाएं हुईं। चूंकि इस ‘ सख्ती ‘ का असर बड़े राजनीतिक दलों पर कम पड़ता है, इसलिए वे इसके विरोध में आवाज नहीं उठाते हैं। छोटे दल या निर्दलीय प्रत्याशियों की आवाज को यह कहकर दबा दिया जाता है कि उन्होंने ठीक से नामांकन नहीं किया और वे चुनाव लड़ने के प्रति सीरियस नहीं हैं।

कई प्रत्याशियों ने बताया कि चुनाव में ईवीएम की एक से ज्यादा मशीनें न लगानी पड़े इसलिए भी प्रत्याशियों के पर्चे रद किए जा रहे हैं।

2017 के विधानसभा चुनाव में गोरखपुर ग्रामीण से 13 प्रत्याशियों का नामांकन अवैध कर दिया गया था

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से 13 प्रत्याशियों का नामांकन खारिज कर दिया गया था। इन प्रत्याशियों में गोरखपुर ग्रामीण क्षेत्र से भाकपा माले प्रत्याशी राजेश साहनी, निर्दलीय उम्मीदवार शादाब अंसारी, डा शैलेश सिंह आदि प्रमुख थे। राजेश सााहनी के नामांकन पत्र में उनके एक प्रस्तावक के वोटर क्रमांक को लेकर सवाल उठाया गया था। प्रस्तावक का एक स्थान पर नाम विलोपन सूची में था जबकि एक दूसरे स्थान पर वह दूसरे क्रमांक नम्बर के साथ था। यह जानकारी उन्होंने सबूत सहित उपलब्ध करायी, प्रस्तावक को भी उपस्थित किया फिर भी नामांकन खारिज कर दिया गया। उन्हें अपनी बात कहने का मौका भी नहीं दिया गया। किसी तरह उन्होंने प्रेक्षक को शिकायती पत्र दिया लेकिन उन्होंने भी उस पर कार्यवाही नहीं की गई।

शादाब अंसारी के नामांकन पत्र को यह कहते हुए खारिज किया गया कि उनके हलफनामे के कुछ पन्नों पर प्रत्याशी के दस्तखत नहीं है। जब उन्होंने उन पन्नों को दिखाने को कहा तो नहीं दिखाया गया। शादाब देर तक अपनी शिकायत पत्र देने के लिए इधर-उधर दौड़ते रहे लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी। डा. शैलेश सिंह का भी नामांकन इसलिए खारिज कर दिया गया क्योंकि उन कालमों के आगे शून्य लिखने के बजाय क्रास का निशान बनाया था, जो उन पर लागू नहीं होते। इसलिए उनका नामांकन खारिज कर दिया गया था।

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