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आदिवासियों के अधिकार और न्याय की मांग को लेकर निकली यात्रा बिच्छी पहुंची

सोनभद्र. सोनभद्र में हुए जनसंहार, आदिवासियों पर बढ़ते हमले के खिलाफ और  जल- जंगल -जमीन पर आदिवासियों के अधिकार के लिए 9 अगस्त (भारत छोड़ो आंदोलन दिवस) से शुरू हुई आदिवासी अधिकार व न्याय यात्रा बिच्छी गांव पहुँच गई है.

यात्रा का दूसरा चरण 20 अगस्त से शुरू हुआ. यात्रा लालगंज मिर्जापुर, पटेहरा -राजगढ़ मिर्जापुर, घोरावल, रावर्ट्सगंज, चतरा -नगवां, दुद्धी सोनभद्र , जमालपुर-नारायणपुर, सक्तेशगढ़, को मड़िहान, नौगढ़, चंदौली होते हुए सात सितंबर को सोनभद्र के जिला मुख्यालय राबर्ट्सगंज पहुंचेगी. यहाँ पर आदिवासी अधिकार रैली होगी।

यात्रा में ऊम्भा गांव की संपूर्ण विवादित भूमि को आदिवासियों के कानूनी हक में विनियमित करने, मिर्जापुर ,सोनभद्र एवं नौगढ़ क्षेत्र में राजस्व अभिलेखों में हेरा -फेरी करके सोसाइटी, न्यासों, ट्रस्टों, मठों व अन्य नामों से अर्जित सभी जमीन को सरकारी कब्जे में ले कर उसे आदिवासियों व गरीबों के बीच वितरित करने का अभियान चलाने,  गरीबों -आदिवासियों के भूमि विवाद के निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट गठित करने, क्षेत्र के आदिवासी जातियों को जनजाति के दर्जे के लिए केंद्रीय कानून में संशोधन करने, भारतीय वन कानून 1927 में प्रस्तावित संशोधन वापस लेने, आदिवासियों के विकास व सामाजिक सुरक्षा के लिए विशेष आर्थिक पैकेज घोषित करने, वन विभाग द्वारा आदिवासियों पर दर्ज कराए गए सभी मुकदमें वापस लेने, भूमि आयोग का गठन करने की मांग की जा रही है.

दूसरे चरण की यात्रा के चौथे दिन यात्रा में शामिल लोग मगरदहां, पुरैनिया, निकारिका, बागपोखर, गुरेठ, खिरेटा, कुसिनिब्स,सिद्धि, बिच्छी पड़ाव,सुकृत गांव में पहुंचे।

इस दौरान उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए यात्रा का नेतृत्व कर रहे भाकपा माले राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गयी है। भाजपा आदिवासी समाज के साथ दुश्मन जैसा सलूक करती है। सोनभद्र जिले के उम्भा गांव के आदिवासियों का जनसंहार भूमाफियाओं व जिला प्रशासन की साजिश का परिणाम है। भाजपा की केंद्र व प्रदेश में सरकार होने के बावजूद आदिवासियों की विभिन्न जातियों को जनजाति की मान्यता नहीं दी जा रही है।

उन्होंने कहा कि भारतीय वन कानून 1927 का प्रस्तावित संशोधन विधेयक तो आदिवासी जीवन को ही तहस-नहस साबित करने वाला होगा। सरकार आदिवासी समाज का हक देने के बजाय उसे पुश्तैनी जमीन से जबरिया उजाड़ने में ही लगी है। भाकपा माले उजाड़ने के खिलाफ आदिवासियों के हक -अधिकार की लड़ाई को आगे बढ़ाएगी।

 भाकपा माले के राज्य सचिव कामरेड सुधाकर यादव के नेतृत्व में चल रही यात्रा में भाकपा माले के राज्य कमेटी सदस्य व इंक़लाबी नौजवान सभा के राज्य सचिव सुनील मौर्य, राज्य कमेटी सदस्य सुरेश कोल, जीरा भारती, धर्मराज कोल , आइसा राज्य कमेटी सदस्य रणविजय सिंह, कमलेश कोल शामिल हैं।

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