पर्यावरणसमाचार

पर्यावरणीय असंतुलन की मुख्य वजह अनियंत्रित और बेतहाशा उपभोग- प्रो राम गोपाल

गोरखपुर: वरिष्ठ वैज्ञानिक और पर्यावरणविद प्रो राम गोपाल ने कहा है कि पर्यावरणीय असंतुलन  की मुख्य वजह अनियंत्रित और बेतहाशा उपभोग की बढ़ती प्रवृत्ति है. हमने अपनी नदियों, जंगल और पहाड़ को नष्ट कर दिया है. जीवनदायी हवा जहरीली हो रही है. नयी नयी बीमारियां पैदा हो रही हैं. नवजात शिशुओं की 80 फीसदी मौत प्रदूषित जल की वजह से हो रही है. भारत जैसे देश में प्रतिवर्ष डेढ मिलियन बच्चे इसी वजह से कालकवलित हो जाते हैं.

डीआडीओ के पूर्व निदेशक प्रो राम गोपाल ने गोरखपुर क्लब में स्वतंत्रता सेनानी व विधान परिषद सदस्य स्व़ नागेन्द्र नाथ सिंह की छठवीं पुण्य तिथि पर ‘पर्यावरणीय चुनौतियां और जल के पौराणिक ज्ञान द्वारा समग्र स्वास्थ्य’ विषय पर अपना वक्तव्य देते हुये उक्त विचार व्यक्त किये. इस मौके पर नेत्र चिकित्सा में उत्कृष्ट योगदान के लिये वयोवृद्ध चिकित्सक डा नरेन्द्र मोहन सेठ, शिक्षक और पत्रकार डा एसपी त्रिपाठी, समाजसेवी गौरी शंकर राय, गोरखनाथ यादव, सुभाष चंद्र सिंह, दलितों के लिये अरसे से संघर्ष करने वाले ओम प्रकाश द्रविड़, इमरजेंसी में जेल जाने वाले मिसवाहुद्दीन वारसी, स्वर्ण व्यवसायी व समाजसेवी पुष्पदंत जैन को सम्मानित किया गया.

गोरखपुर क्लब में स्वतंत्रता सेनानी व विधान परिषद सदस्य स्व नागेन्द्र नाथ सिंह की छठवीं पुण्य तिथि पर स्मृति व्याख्यान  का आयोजन

समाज के लिये उत्कृष्ट योगदान देने वाले दस लोगों को सम्मान

प्रो राम गोपाल ने लगभग एक घंटे के अपने वक्तव्य में भारतीय परंपरा में प्रकृति से मानव के रिश्ते, वेदों से लेकर उपनिषदों तक में प्रकृति से मनुष्य के साहचर्यपूर्ण जीवन के दृष्टांतों का हवाला देते हुये जोर दिया कि हम दुनिया को तभी बचा सकते हैं जब अपनी परंपरा की ओर लौंटें. उन्होंने विज्ञान, परंपरा और धर्म के रिश्तों की भी विस्तार से व्याख्या दी. मौजूदा राजनीतिक व सामाजिक व्यवस्था पर तंज भी कसे तथा सामाजिक सद्भभाव को मजबूत बनाने की जरूरत बताई. उन्होंने कहा कि मुनाफे की होड़ ने मानव सभ्यता को खतरे में डाल दिया है. आज जो दवायें लाभकर लगती हैं वह कल को विस्फोटक नुकसानदायी हो सकती हैं. हर दवा किसी अगले रोक का कारण बन जाती है.

उन्होंने गुरु गोरक्षनाथ, बुद्ध और कबीर को याद किया और कहा कि इन संतों और महापुरुषों ने मन, कर्म और वचन की साधना से मनुष्यता के मानक गढ़े. इन संतों के समय समाज का प्रकृति से सामंजस्य कायम था और तमाम आपदाओं के बावजूद प्रकृति के साथ मनुष्य का चोली दामन का नाता था. उन्होंने कहा कि मानव शरीर से बड़ी दुनिया में कोई फैक्ट्री नहीं है. शरीर की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली है जिसका मुकाबला  दुनिया में अब तक ईजाद कोई भी एंटीबायोटिक दवा नहीं कर सकती.उन्होंने कहा कि औषधिविहीन चिकित्सा पद्धति की समाज को जरूरत है.

उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि धरती पर पीने लायक पानी बहुत कम है. यह संकट काफी गहरा है. पश्चिमी दुनिया में सीवर और समुद्र के पानी को शोधित कर मीठा पानी बनाया जा रहा है. सिर्फ पानी की शुद्धता मनुष्य को 99 फीसदी रोगों से छुटकारा दिला सकती है. इसलिये संकल्प लेने की जरूरत है कि पानी के स्रोतों की हर हाल में रक्षा की जाय और किसी कीमत पर उसे प्रदूषित होने से बचाया जाय. उन्होंने वर्षा जल के संरक्षण की जरूरत बताई और कहा कि इसके लिये गांव गांव अपने पुराने तालाबों को पुनजीर्वित किया जाये.

कार्यक्रम के प्रारंभ में न्यास के अध्यासी और सपा नेता राजेश सिंह ने स्व़ नागेन्द्र नाथ सिंह के जीवन व कृतित्व के बारे में बताया और अतिथियों का स्वागत किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता एनसीपी के अध्यक्ष प्रो रमेश दीक्षित व संचालन डा मुमताज खान ने किया. इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व पुलिस महानिरीक्षक प्रवीण सिंह मौजूद रहे.

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