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मानवाधिकार दिवस पर मरीजों को उनका अधिकार दिलाने के लिए मुहिम शुरू करने का संकल्प

गोरखपुर. बाबा रामकरन दास ग्रामीण विकास समिति,  महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच, अम्मा सेवा संस्थान और भारत ज्ञान विज्ञान समिति के संयुक्त तत्वावधान में अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर आज स्वास्थ्य अधिकार और क्लीनिकल स्टैब्लिश्मेंट एक्ट पर जिला स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन बार असोसिएशन सभागार सिविल कोर्ट गोरखपुर में किया गया.

संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश बार काउन्सिल के सदस्य मधुसूदन त्रिपाठी ने कहा की क़ानूनी सहयोग दिलाकर मरीजो के अधिकार सुनिश्चित किया जा सकता है. अस्पताल में मरीजो के लिए बनाये गये नियमों का पालन कराना न्यायपालिका की जिम्मेदारी है जिसको क्रियान्वित करने में अधिवक्ताओं का रोल महत्वपूर्ण है.

वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च जीडीपी का सात फीसदी कराने के लिए मजबूत आन्दोलन की जरूरत है. स्वास्थ्य सेवाओं पर अत्यधिक खर्च के कारण लोगों को अपनी गाढ़ी कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा खर्च करना पड़ रहा है. स्वास्थ्य केन्द्रों के माध्यम से मरीजो को मिलने वाली गुणवत्ता परख स्वास्थ्य सेवाओ को सुनिश्चित कराना सरकार की पूरी जिम्मेदारी है.

एडवोकेट कमल श्रीवास्तव ने बताया मरीजो के अधिकार सुनिश्चित कराने केलिए अधिवक्ता साथियो का फोरम बनाया जा रहा है जिसके माध्यम से मरीजो को निशुल्क क़ानूनी मदद दिलाने के लिए काम किया जायेगा.

लखनऊ स्थित संगठन सहयोग की मनमीत भाटिया ने कहा कि आज भी मरीजो को सरकारी अस्पतालों से बहर से दवा लेने के मजबूर किया जाता है. प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में क्लिनिकल स्टैब्लिश्मेंट एक्ट के अंतर्गत बनाये गए नियमो का पालन नही हो रहा जिससे आम आदमी स्वास्थ्य पर होने वाले खर्चे के बोझ से दबा हुआ है.

प्रगतिशील अधिवक्ता समिति जुड़े एडवोकेट श्याममिलन, सुबाष पाल ,विनोद यादव, अजय नन्दन मुन्ना, शक्ति श्रीवास्तव, प्रमोद धर दुबे,रौनक श्रीवास्तव,अनिल पासवान , प्रवीण शुक्ला, सती कुमार वर्मा, नफीस अख्तर, सत्येन्द्र श्रीवास्तव, ध्रुवनारायण सहित कई अधिवक्ताओ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में ‘क्लीनिकल स्टैब्लिश्मेंट एक्ट 2010 को  प्रभावी तरीके से लागू किया जाये जिससे लोगों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण सेवा मिल सके. इस कानून के बारे में लोगों को जानकरी दी जाय जिससे लोग अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकें.

 

संगोष्ठी में राज्य व जिला पर क्लीनिकल स्टैब्लिश्मेंट रजिस्ट्रेशन ऑथोरिटी के अलावा जिला स्तर पर एक ऐसी कमेटी बनाने की मांग की गयी जिसमें डॉक्टर, मरीज,  सामाजिक संगठन, पंचायती राज व्यवस्था के प्रतिनिधि शामिल हों . इस कमेटी को जिला क्लीनिकल स्टैब्लिश्मेंट रजिस्ट्रेशन ऑथोरिटी के निर्णय के खिलाफ अपील की सुनवाई करने का अधिकार हो. निजी व सरकारी अस्पतालों के दीवार या बोर्ड पर सभी दवाओं व सभी तरह की सेवाओं के रेट को प्रदर्शित करने की भी मांग की गई .

कार्यक्रम का संचालन संचालन अवधेश कुमार ने करते हुए बताया की आज भी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर मरीजो से अवैध वसूली की जाती है. प्रसव के नाम पर 500 से 1000 रुपया वसूला जाता है. मंच से जुडी सरस्वती, कमलावती सहित अनेक महिलाओं ने सरकारी अस्पतालों से जुड़े अपने अनुभव साझा किये. एडवोकेट एम के जायसवाल व सरदार दलजीत सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया.

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